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विक्रम विश्वविद्यालय में पर्यावरण हितैषी गणेश प्रतिमा निर्माण कार्यशाला जारी

विश्वविद्यालय के शिक्षकों और अधिकारियों ने सराहा कला कार्यशाला को  विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के गणेश हॉल में कलागृह, नीरज जोशी कला सम्मान मंच और सिसो ग्लोबल संस्था  संयुक्त उद्यम कला मंच उज्जैन के सहयोग से गणेश चतुर्थी इको-फ्रेंडली मूर्ति निर्माण कार्यशाला आयोजित की जा रही है। विश्वविद्यालय के प्रभारी कुलगुरु प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा, कुलसचिव डॉ अनिल कुमार शर्मा, डीएसडब्ल्यू प्रो एस के मिश्रा, विभागाध्यक्ष प्रो डी डी बेदिया, प्रो संदीप तिवारी, प्रो राजेश टेलर आदि ने कार्यशाला का अवलोकन कर सहभागिता कर रहे कलाकार विद्यार्थियों की सराहना की।   इस कार्यशाला का संचालन मुख्य आयोजक पंकज सेहरा (फाइन आर्ट्स), मृत्युंजय (बायोटेक्नोलॉजी) और राज भार्गव (आईसीएस) अपनी टीम के साथ कर रहे हैं। इनके साथ फाइन आर्ट्स विभाग से नंदिनी प्रजापति, प्रियांशी खरे, स्मृति गहलोत, प्रथा शाक्य; बायोटेक्नोलॉजी विभाग से भव्या चौहान, आईसीएस विभाग से ऋतिका कोस्टी, संस्कृत ज्योतिर्विज्ञान विभाग से पूजा शर्मा; फोरेंसिक विज्ञान विभाग से अमृता; सक्रिय रूप से सहयोग कर रहे हैं। छात्रों ने जानकारी देते ह...

विक्रम विश्वविद्यालय के प्राणिकी एवं जैव प्रौद्योगिकी अध्ययनशाला में अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस मनाया गया

उज्जैन: विक्रम विश्वविद्यालय की प्राणिकी एवं जैव प्रौद्योगिकी अध्ययनशाला में अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस मनाया गया। अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस हर साल 29 जुलाई को मनाया जाता है। यह दिन दुनिया भर में बाघों की सुरक्षा की तत्काल आवश्यकता की एक महत्वपूर्ण याद दिलाता है। बाघ केवल राजसी जीव ही नहीं हैं, बल्कि उनकी उपस्थिति पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने के लिए, विशेष रूप से एशिया में, अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसी दृष्टि से विक्रम विश्वविद्यालय की प्राणिकी एवं जैव प्रौद्योगिकी अध्ययनशाला में विद्यार्थियों को बाघ संरक्षण की जानकारी दी गई। विभागाध्यक्ष डॉ सलिल सिंह एवं शिक्षक डॉ संतोष ठाकुर, डॉ शिवी भसीन एवं डॉ पूर्णिमा त्रिपाठी ने विद्यार्थियों को बाघ संरक्षण की जानकारी देते हुए बताया कि लगभग 100 साल पहले, एशिया में लगभग 1,00,000 बाघ थे। हालाँकि, अवैध व्यापार, अवैध शिकार, जलवायु परिवर्तन और उनके प्राकृतिक आवास के विनाश के कारण यह संख्या काफी कम हो गई है। उन्होंने विद्यार्थियों को बताया कि आज, बाघ दुनिया भर में सबसे संकटग्रस्त प्रजातियों में से एक हैं। इस स्थिति से निपटने और इस शानदार जीव को विलुप्त होने से ...

सुमन जी की कविताओं में स्पंदित है पूरा युग जीवन – प्रो शर्मा

यशस्वी कवि पद्मभूषण श्री शिवमंगलसिंह सुमन स्मरण प्रसंग एवं अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी सम्पन्न  नॉर्वे से मुंशी प्रेमचंद अंतरराष्ट्रीय अलंकरण की घोषणा के लिए प्रो जगदीश चंद्र शर्मा का सारस्वत सम्मान हुआ विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन की हिंदी अध्ययनशाला द्वारा यशस्वी कवि पद्मभूषण डॉ शिवमंगलसिंह सुमन  स्मरण प्रसंग एवं अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। डॉ सुमन की जयंती अवसर पर आयोजित इस संगोष्ठी में ओस्लो नॉर्वे से वरिष्ठ साहित्यकार श्री सुरेश चंद्र शुक्ल शरद आलोक, मुख्य वक्ता प्रभारी कुलगुरु प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा, पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो हरिमोहन बुधौलिया, प्रो गीता नायक, डॉ मीरासिंह, फिलाडेल्फिया, यूएसए, प्रो जगदीश चंद्र शर्मा, डॉ उमा गगरानी, मन्दसौर, डॉ हरीशकुमार सिंह, डॉ प्रभु चौधरी आदि ने डॉ सुमन जी के साहित्य के विविध आयामों पर प्रकाश डाला।  मुख्य वक्ता प्रभारी कुलगुरु प्रो शैलेंद्र कुमार शर्मा ने कहा कि सुमन जी यद्यपि स्वच्छंदतावाद के दौर से काव्य रचना प्रारम्भ की थी, लेकिन वे अपने समय और परिवेश से विमुख नहीं रहे। उनकी कविताओं में पूरा का पूरा युग जीवन समाविष्ट होत...

मध्यप्रदेश के पूर्व दिवंगत विधानसभा अध्यक्षों एवं मुख्यमंत्रियों की जन्मजयंती एवं पुण्यतिथि विधानसभा में मनाई जाएगी

मध्यप्रदेश विधानसभा अध्यक्ष श्री नरेंद्र सिंह तोमर की पहल पर महान नेताओं के योगदान को स्मरण करने के लिए निर्णय 🙏 द्वारा, राधेश्याम चौऋषिया 🙏 भाेपाल, सोमवार, 28 जुलाई, 2025 । मध्यप्रदेश की 16 वीं विधानसभा के षष्टम सत्र की शुरूआत सोमवार को हुई। सत्र से पहले कार्यमंत्रणा समिति में विधानसभा अध्यक्ष श्री नरेंद्र सिंह तोमर की पहल पर सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया कि, अब मध्यप्रदेश के सभी दिवंगत पूर्व विधानसभा अध्यक्षों एवं मुख्यमंत्रियों की जन्मजयंती एवं पुण्यतिथि विधानसभा में मनाई जाएगी। विधानसभा अध्यक्ष, मुख्यमंत्री, नेता प्रतिपक्ष, मंत्रिगण एवं सदस्यगणों की उपस्थिति में पूर्व विधानसभा अध्यक्ष/मुख्यमंत्री को श्रद्धासुमन अर्पित कर उनके योगदान का स्मरण किया जाएगा।  विधानसभा अध्यक्ष श्री नरेंद्र सिंह तोमर के सभापतित्व में संपन्न हुई कार्यमंत्रणा समिति की बैठक में मानसून सत्र,2025 के कामकाज के संबंध में विचार विमर्श हुआ। बैठक में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, उप मुख्यमंत्री श्री जगदीश देवड़ा, नेता प्रतिपक्ष श्री उमंग सिंघार, संसदीय कार्य मंत्री श्री कैलाश विजयवर्गीय, पूर्व विधानसभा अध...

पने समाज और समय के स्पंदन को मुखरित किया है मीरा और महादेवी वर्मा ने – प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा

हिंदी की प्रमुख कवयित्रियों मीराबाई, सुभद्राकुमारी चौहान और महादेवी वर्मा के योगदान पर केंद्रित अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी सम्पन्न प्रतिष्ठित संस्था राष्ट्रीय शिक्षक संचेत‌ना, उज्जैन द्वारा अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। यह संगोष्ठी हिंदी की प्रमुख कवयित्रियों मीराबाई, सुभद्राकुमारी चौहान और महादेवी वर्मा के योगदान पर केंद्रित थी। संगोष्ठी में मुख्य वक्ता कुलानुशासक प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा ने व्याख्यान दिया। आयोजन में डॉ सुवर्णा जाधव, पुणे, श्री सुरेश चंद्र शुक्ल शरद आलोक, नॉर्वे, श्री ब्रजकिशोर शर्मा, डॉ प्रभु चौधरी, डॉ रश्मि चौबे गाजियाबाद आदि सहित अनेक वक्ताओं ने मीराबाई, महादेवी वर्मा और सुभद्रा कुमारी चौहान के योगदान पर प्रकाश डाला।  मुख्य वक्ता के रूप में सम्मिलित विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के कुलानुशासक एवं विभागाध्यक्ष प्रो शैलेन्द्र कुमार शर्मा ने कहा मीराबाई,  सुभद्रा कुमारी चौहान और महादेवी वर्मा ने अपने समाज तथा समय के स्पंदन को मुखरित किया है। मीराबाई ने समाज में भक्ति पंथ के प्रसार और भेदभाव से मुक्ति के साथ राज सत्ता और लोक सत्ता की सीमाओं को उद्घाटित...

चरक जयंती विशेष लेख - चरक संहिता : आयुर्वेद की अमूल्य धरोहर

चरक जयंती विशेष लेख चरक संहिता: आयुर्वेद की अमूल्य धरोहर आयुर्वेद की सर्वश्रेष्ठ कृति मानी जाने वाली चरक संहिता चिकित्सा शास्त्र का सर्वोत्कृष्ट ग्रंथ है। इस ग्रंथ में चिकित्सा विज्ञान के मौलिक तत्वों का जितना उत्तम विवेचन किया गया है, उतना अन्यत्र कहीं नहीं मिलता। प्राचीन विद्वानों ने कहा है – “चरकस्तु चिकित्सते” , अर्थात् चरक ही चिकित्सा करते हैं। महर्षि चरक का जन्म महर्षि चरक का जन्म किस काल में हुआ, इस संबंध में कोई पुख्ता साक्ष्य उपलब्ध नहीं है। भाव प्रकाश ग्रंथ के अनुसार आचार्य चरक को शेषावतार माना गया है। अर्थात, श्रावण मास शुक्ल पक्ष पंचमी को नाग पंचमी के दिन महर्षि चरक का जन्म हुआ था। आचार्य कपिष्ठल चरक का जन्म पंचनद प्रांत में इरावती एवं चंद्रभागा नदियों के बीच हुआ था। त्रिपिटक ग्रंथ के चीनी अनुवाद में उन्हें कनिष्क का राजवैद्य बताया गया है। यजुर्वेद के 86 भेदों में "चरका" नाम द्वादश भेदा के आधार पर चरक शाखा में 12 भेद बताए गए हैं। अग्निवेश तंत्र के प्रतिसंस्कारकर्ता आचार्य चरक, विशुद्ध के पुत्र वैशंपायन के शिष्य थे। यह ईसा से लगभग 3000 वर्ष...

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