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Showing posts from November, 2022

साहित्यकार, लेखको एवं समाजसेवीयों को सम्मानित करेंगे

राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना केन्द्र उज्जैन के वार्षिक अधिवेशन 25 एवं 26 दिसंबर को राष्ट्रीय संचेतना समारोह में पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न श्री अटल बिहारी वाजपेयी के जन्म दिवस पर अनेक आयोजन होंगे। यह जानकारी राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. कृष्णा जोशी ने देते हुए बताया कि प्रतिवर्षानुसार वर्ष के अन्तिम सप्ताह में राष्ट्रीय अधिवेशन आयोजित होगा इस अवसर पर देश के साहित्यकार जिनका शिक्षा, साहित्य एवं संस्कृति के विकास में विशिष्ट योगदान रहा उन्हें 5 राष्ट्र रत्न अलंकरण हेतु चयन समिति नाम घोषित करेगी। समारोह में राष्ट्रीय संगोष्ठी में विद्वान, प्राध्यापक एवं शोधार्थी पत्रो का वाचन करेंगे। समारोह में राष्ट्रीय महासचिव डॉ. प्रभु चौधरी की नवीन पुस्तक ‘देवतुल्य मानव‘ के लेखकॊ को सम्मानित किया जावेगा। अतिथियों द्वारा पुस्तक का विमोचन होगा। अटल श्री काव्य  समारोह रात्रि में कवि श्री अटल जी की कविताओं का कविता पाठ एवं भारतमाता के गीत प्रस्तुत किये जावेंगे। दि. 26 दिसम्बर प्रातः अटलश्री काव्य सम्मान समारोह एवं संगठन कार्यविस्तार पर चर्चा गोष्ठी के साथ समारोह का समापन होगा।

वास्तुशास्त्रीय नगर नियोजन एवं राजा भोज पर केंद्रित त्रिदिवसीय अंतर्राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी का शुभारम्भ हुआ

भारतीय ज्ञान परम्परा के संवाहक हैं राजा भोज - प्रो पाण्डेय राजा भोज के वास्तुशास्त्रीय अवदान पर गहन शोध और नवाचारों की जरूरत – प्रो शर्मा प्राचीन ग्रन्थों के पुनः वाचन करने की आवश्यकता है – प्रो मेनन वास्तुशास्त्रीय नगर नियोजन एवं राजा भोज पर केंद्रित त्रिदिवसीय अंतर्राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी का शुभारम्भ हुआ महाराजा विक्रमादित्य शोधपीठ, उज्जैन, महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय उज्जैन एवं विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के संयुक्त तत्वावधान में वास्तुशास्त्रीय नगर नियोजन एवं राजा भोज पर केंद्रित त्रिदिवसीय अंतरराष्ट्रीय शोध संगोष्ठी का शुभारम्भ हुआ।  उद्घाटन सत्र में प्रभारी कुलपति, विक्रम विश्वविद्यालय प्रो. शैलेन्द्र कुमार शर्मा ने कहा कि राजाभोज पर अविराम शृंखला चल रही है। भारतीय विद्या एवं राजा भोज जैसा एक महत्वपूर्ण ग्रंथ पिछले वर्षों में आया है। राजा भोज के वास्तुशास्त्रीय अवदान से जुड़े अनेक पुरातात्विक साक्ष्य, सरोवर, देवालय की उपलब्धता, ऐतिहासिक साक्ष्य, साहित्यिक साक्ष्य, काव्य के माध्यम से रेखांकन, लोक साक्ष्य आदि मिलते हैं, जो अन्य शासकों से उनके वैशिष्ट्य को दर्शाते ह

वैचारिक और रचनात्मक दबावों से टकराते हुए रचनात्मकता को साकार करें साहित्यकार - प्रो शर्मा

वरिष्ठ नागरिक काव्य मंच महाराष्ट्र इकाई द्वारा काव्य एवं विचार संगोष्ठी सम्पन्न   वरिष्ठ नागरिक काव्य मंच महाराष्ट्र इकाई, पुणे द्वारा महात्मा ज्योतिबा फुले जी की पुण्यतिथि और संविधान दिवस के महत्व को मद्देनजर रखकर विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस अवसर पर विचार एवं  काव्य संगोष्ठी आयोजित की गई। यह आयोजन संस्थापक श्री नरेश नाज़ जी के मार्गदर्शन एवम् वरिष्ठ साहित्यकार और प्रभारी कुलपति प्रो शैलेन्द्र कुमार शर्मा के विशिष्ट आतिथ्य में संपन्न हुआ।। संयोजन श्रीमती सुवर्णा जाधव ने किया। विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के प्रभारी कुलपति प्रो शैलेन्द्र कुमार शर्मा ने महात्मा फुले जी के विचार, उनके  कार्य और अवदान पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि समय के वैचारिक और संवेदनात्मक दबावों से टकराते हुए अपनी रचनात्मकता को साकार करें साहित्यकार। रचनाकारों को शाश्वतता के साथ लोगों के विचार और संवेदना जगत् को प्रभावित करने वाली कालानुरूप रचनाएं भी लिखनी चाहिए। विशेष अतिथि अशोक जाधव,  पूर्व सहायक बिक्री कर आयुक्त, मुंबई ने महात्मा फुले जी के विचार और उनके द्वारा किया गए कार्यों के सम्बंध में जानकारी दी।

सर्वे भवंतु सुखिनः के सूत्र को साकार करता है भारत का संविधान - प्रो शर्मा

महत्त्वपूर्ण जीवन सन्देश मिलते हैं प्राचीन भारतीय सामाजिक न्याय व्यवस्था में – डॉ पुराणिक संविधान दिवस पर परिसंवाद हुआ विक्रम विश्वविद्यालय की विधि अध्ययनशाला में उज्जैन। विक्रम विश्वविद्यालय की विधि अध्ययनशाला में संविधान दिवस के अवसर पर विशिष्ट परिसंवाद का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विश्वविद्यालय के प्रभारी कुलपति प्रो शैलेन्द्रकुमार शर्मा थे। अध्यक्षता कुलसचिव डॉ प्रशांत पुराणिक ने की। विशिष्ट अतिथि विधि संकायाध्यक्ष डॉ. अरुणा सेठी थीं। इस अवसर पर भारत : लोकतंत्र की जननी विषय पर विभिन्न वक्ताओं ने प्रकाश डाला। प्रभारी कुलपति प्रो शैलेन्द्र कुमार शर्मा ने अपने उद्बोधन में कहा कि प्राचीन काल से ही भारत में लोकतंत्र के महत्वपूर्ण साक्ष्य मिलते हैं। वैदिक काल, महाकाव्य काल, जनपद, महाजनपद, मौर्य, चोल, चालुक्य, परमार वंश और उत्तर मध्यकालीन भारत में गणतंत्र के मूल्यों को महत्त्वपूर्ण स्थान मिला है। अनेक पुरातात्विक साक्ष्य, पौराणिक साक्ष्य, साहित्यिक साहित्य और लोक साक्ष्य उपलब्ध हैं, जो सिद्ध करते हैं कि भारत लोकतंत्र की आधार भूमि है, लोकतंत्र की जननी है। सभी ने शासन तंत्र

संविधान दिवस पर हुआ भारत : लोकतंत्र की जननी पर केंद्रित विशिष्ट परिसंवाद

मौलिक कर्त्तव्यों का पालन निष्ठापूर्वक करना होगा - डॉ. ठाकुर वैदिक काल से लोकतंत्र के पक्ष में खड़ा है भारत – प्रो शर्मा संविधान दिवस पर हुआ भारत : लोकतंत्र की जननी पर केंद्रित विशिष्ट परिसंवाद उज्जैन। विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन की डॉ. अम्बेडकर पीठ और कृषि विज्ञान अध्ययनशाला के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित संविधान दिवस पर द्वारा संविधान दिवस के अवसर पर विशिष्ट परिसंवाद का आयोजन किया गया। यह परिसंवाद भारत लोकतंत्र की जननी पर केंद्रित था। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वक्ता अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त  पुरातिहासकार एवं मुद्राशास्त्री डॉ आर सी ठाकुर थे। अध्यक्षता विक्रम विश्वविद्यालय के प्रभारी कुलपति प्रोफेसर शैलेंद्र कुमार शर्मा ने की। मुद्राशास्त्री एवं पुरातिहासकार डॉ. आर.सी. ठाकुर ने भारत : लोकतंत्र की जननी विषय पर विचार व्यक्त करते हुए कहा कि भारतीय लोकतंत्र भारतीय जनता के हेतु भारतीय नागरिकों द्वारा निर्वाचित जनता का शासन। स्पष्ट है भारतीय लोकतंत्र भारतीय नागरिकों की सद्भावना, सद्इच्छा और लोक कल्याण का प्रतीक है। ऐसा शासन जिसमें लोक समाहित हो भेदभाव, जातिवाद से रहित तंत्र। और यह स

संविधान दिवस पर हुआ विशिष्ट व्याख्यान

  उज्जैन। राजनीति विज्ञान एवं लोक प्रशासन अध्ययनशाला विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन में दिनांक 26 नवंबर 2022 को संविधान दिवस मनाया गया। इस अवसर पर एक विशिष्ट व्याख्यान का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता विभाग की विभागाध्यक्षा प्रो. दीपिका गुप्ता ने की एवं विशेष व्याख्यान डॉ. साकेत व्यास (उप संचालक लोक अभियोजन उज्जैन) द्वारा दिया गया। सरस्वती माल्यार्पण  के पश्चात विशेष व्याख्यान में डॉ साकेत जी ने संविधान का अर्थ समझाते हुए कहा कि संविधान (सम+विधान) से बना है अर्थात सभी के लिए समान है, किंतु कुछ लोगों ने धन बल पर बड़े-बड़े न्याय विशेषज्ञों को अपनी ओर कर लिया है, जो चिंताजनक है। वैशाली में पहले गणतंत्र का जन्म भारतवर्ष में हुआ था। एक दौर में भारत में राजतंत्र भी रहा। इसके बाद ईस्ट इंडिया कंपनी आई जिन्होंने अपने अनुसार शासन चलाया । 1773 में पहला चार्टर एक्ट आया। 1857 के बाद इंडिया एक्ट आया । सन 1935 के अधिनियम का 75% भाग संविधान में अपनाया गया है, शेष अन्य देशों से लिया गया है । आपने संविधान में फंडामेंटल राइट की चर्चा की। आप ने बताया कि यह  संविधान की आन बान शान है कि सबसे खूबसूरत ल

महिलाओं के प्रति बढ़ रही हिंसा को नियंत्रित करने का संकल्प लेना जरुरी है- डॉ राका आर्य

भोपाल। एनआईटीटीटीआर भोपाल में, महिलाओं के खिलाफ हिंसा के उन्मूलन के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस मनाया गया।  इस विषय पर एक विशेषज्ञ व्याख्यान एनएलआईयू, भोपाल की प्रोफेसर डॉ राका आर्य द्वारा दिया गया। संस्थान के निदेशक प्रो. चंद्र चारु त्रिपाठी ने इस  पर  कहा कि महिलाओं का हमेशा सम्मान किया जाना चाहिए चाहे वह घर में हो, कार्यस्थल पर या सार्वजनिक स्थान पर हो और उन्होंने महिलाओं के लिए  सामंजस्यपूर्ण वातावरण बनाने पर बल दिया।   डॉ. राका आर्य ने समाज में व्याप्त शारीरिक, यौन और मनोवैज्ञानिक हिंसा, उत्पीड़न , मानव तस्करी, बाल विवाह, एसिड हमले के बारे में विस्तार से बात की और हिंसा के विभिन्न पीड़ितों जैसे निर्भया केस और अरुणा शानबाग केस आदि के बारे में भी बात की तथा यह भी बताया कि भारत सरकार ने महिला हिंसा के उन्मूलन के लिए कानूनों में क्या-क्या संसोधन किये। उन्होंने ने आगे कहा कि यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते, रमन्ते तत्र देवता: इस संस्कृति को अपनाने वाले देश मे, महिलाओं के साथ इस तरह की हिंसा नही होनी चाहिए। अपनी इसी संस्कृति को पुनर्स्थापित करना होगा। हमने तकनीकी के शिखर को तो छू लिया है लेकिन

बलिदानी व्यक्तित्व गुरु तेग बहादुर जी का स्थान अद्वितीय – प्रो शर्मा

गुरु तेग बहादुर जी के शहीदी दिवस पर अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी और कवि सम्मेलन उज्जैन। भारतीय-नार्वेजीय सूचना एवं सांस्कृतिक फोरम की ओर से गुरु श्री तेग बहादुर महाराज जी के शहीदी दिवस पर अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी और कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ। आयोजन के मुख्य अतिथि विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के प्रभारी कुलपति प्रो. शैलेन्द्र कुमार शर्मा थे। अध्यक्षता नार्वे के वरिष्ठ साहित्यकार श्री सुरेशचन्द्र शुक्ल शरद आलोक ने की तथा सफल संयोजन वरिष्ठ कवयित्री श्रीमती सुवर्णा जाधव, पुणे ने किया। मुख्य अतिथि प्रो. शैलेन्द्र कुमार शर्मा ने कहा कि गुरु तेग बहादुर ने आततायी के सामने सर नहीं झुकाया, अपना शीश अर्पित कर दिया। उन्होंने धर्म हेतु साका जिन किया, सीस दिया पर सिरड न दिया पंक्ति को चरितार्थ किया। गुरु तेग बहादुर की बलिदानी चेतना और क्रान्तिधर्मिता आज के समय में भी बहुत सार्थक है। सम्पूर्ण विश्व इतिहास में स्वधर्म, संस्कृति, मानवीय मूल्यों एवं सिद्धांतों की रक्षा के लिए प्राणों की आहुति देने वाले बलिदानी व्यक्तित्व के रूप में उनका स्थान अद्वितीय है। उनकी चेतना आज भी जीवित है। उन्होंने डराने वाले और डरने

संस्कृत भाषा के प्रति जागतिक रुचि का सम्प्रसार आवश्यक – प्रो शर्मा

पुरस्कृत प्रतिभावान विद्यार्थियों का सम्मान समारोह सम्पन्न उज्जैन। संस्कृत, ज्योतिर्विज्ञान एवं वेद अध्ययनशाला, विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन द्वारा अखिल भारतीय कालिदास समारोह 2022 के अन्तर्गत आयोजित अन्तर्महाविद्यालयीन संस्कृत काव्यपाठ तथा अन्तर्महाविद्यालयीन हिन्दी वाद-विवाद प्रतिस्पर्धा में पुरस्कृत अध्ययनशाला के प्रतिभावान विद्यार्थियों का सम्मान समारोह आयोजित किया गया। कालिदास समारोह के अवसर पर संस्कृत काव्यपाठ में अध्ययनशाला की छात्राओं कु. आरती शर्मा तथा कु. सलोनी पंवार को स्व. अनंतनारायण पुरोहित आवर्तक रजत फलक तथा हिन्दी वाद-विवाद स्पर्धा में अध्ययनशाला की छात्राओं कु. आकांक्षा त्रिवेदी तथा कु. अंकिता शर्मा को कु. रश्मि सेठिया आवर्तक रजत फलक प्राप्त होने पर अभिनन्दन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के प्रभारी कुलपति प्रो. शैलेन्द्र कुमार शर्मा ने करते हुए अपने उद्बोधन में कहा कि विद्यार्थियों से लेकर सामान्य जन के मध्य संस्कृत भाषा के प्रति जागतिक रुचि का सम्प्रसार आवश्यक है। संस्कृत देवभाषा है, जिसमें गुंजित ऋग्वेद की वाणी को मानवीय सभ्यता का

पुरस्कृत प्रतिभागियों का सम्मान समारोह सम्पन्न

उज्जैन। संस्कृत,ज्योतिर्विज्ञान एवं वेद अध्ययनशाला, विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन द्वारा अखिल भारतीय कालिदास समारोह 2022 के अन्तर्गत आयोजित अन्तर्महाविद्यालयीन संस्कृत काव्यपाठ तथा अन्तर्महाविद्यालयीन हिन्दी वाद-विवाद प्रतिस्पर्धा में पुरस्कृत प्रतिभागियों का सम्मान समारोह आयोजित किया गया। जिसमें संस्कृत काव्यपाठ में अध्ययनशाला की छात्राओं कु. आरती शर्मा तथा कु. सलोनी पंवार को स्व.अनंतनारायण पुरोहित आवर्तक रजत फलक तथा हिन्दी वाद-विवाद प्रतिस्पर्धा में छात्राओं कु. आकांक्षा त्रिवेदी तथा कु. अंकिता शर्मा को कु. रश्मि सेठिया आवर्तक रजत फलक प्राप्त होने पर अभिनन्दन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के प्रभारी कुलपति प्रो. शैलेन्द्र कुमार शर्मा ने करते हुए अपने उद्बोधन में विद्यार्थियों को संस्कृत भाषा के प्रति जागतिक रूचि का सम्प्रसार करने हेतु प्रेरित किया साथ ही प्रतिभागियों तथा विद्यार्थियों को आगामी प्रतिस्पर्धाओं के लिये तत्पर रहने हेतु प्रतिबद्ध किया। विभागाध्यक्ष डॉ. डी.डी. बेदिया ने स्वागत भाषण देते हुए पुरस्कृत प्रतिभागियों को बधाई दीं। साथ ही भव

इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए सीएलसी राउंड के अंतर्गत पंजीयन 24 से 30 नवंबर तक

उज्जैन।  एआईसीटीई मान्यता प्राप्त स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन में बी. टेक. प्रथम वर्ष, बी. टेक. द्वितीय वर्ष लेटरल एंट्री, सिविल इंजीनियरिंग, मेकैनिकल इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कंप्यूटर्स साइंस इंजीनियरिंग, एम. टेक. स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग, थर्मल इंजिनीयरिंग, पॉवर सिस्टम एंड ऑटोमेशन, डिजिटल कम्युनिकेशन, आई. ओ. टी एन्ड सेंसर सिस्टम, पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए सीएलसी राउंड के अंतर्गत पंजीयन 24 से 30 नवंबर तक होगा। इसके लिए  https://dte.mponline.gov.in  पर पंजीयन किया जा सकता है।  डॉ संदीप तिवारी, निदेशक, स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग एन्ड टेक्नोलॉजी संस्थान (एस.ओ.ई.टी. डिपार्टमेंट), विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन ने बताया कि कक्षा 10वीं, 12वीं की मूल अंकसूचियों, बी. टेक./बी. ई. की समस्त अंकसूचियों सहित, जाति प्रमाण पत्र, आय प्रमाण पत्र, मूल-निवासी प्रमाण पत्र, आधार कार्ड, टी. सी., माइग्रेशन सभी आवश्यक मूल दस्तावेजों सहित दो पासपोर्ट साइज फोटोज, सभी दस्तावेजों के दो फोटोकॉपी सेट्स सहित 26 नवम्बर से प

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