प्रतिष्ठित संस्था राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना, उज्जैन द्वारा अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। यह संगोष्ठी हिंदी की प्रमुख कवयित्रियों मीराबाई, सुभद्राकुमारी चौहान और महादेवी वर्मा के योगदान पर केंद्रित थी। संगोष्ठी में मुख्य वक्ता कुलानुशासक प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा ने व्याख्यान दिया। आयोजन में डॉ सुवर्णा जाधव, पुणे, श्री सुरेश चंद्र शुक्ल शरद आलोक, नॉर्वे, श्री ब्रजकिशोर शर्मा, डॉ प्रभु चौधरी, डॉ रश्मि चौबे गाजियाबाद आदि सहित अनेक वक्ताओं ने मीराबाई, महादेवी वर्मा और सुभद्रा कुमारी चौहान के योगदान पर प्रकाश डाला।
मुख्य वक्ता के रूप में सम्मिलित विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के कुलानुशासक एवं विभागाध्यक्ष प्रो शैलेन्द्र कुमार शर्मा ने कहा मीराबाई, सुभद्रा कुमारी चौहान और महादेवी वर्मा ने अपने समाज तथा समय के स्पंदन को मुखरित किया है। मीराबाई ने समाज में भक्ति पंथ के प्रसार और भेदभाव से मुक्ति के साथ राज सत्ता और लोक सत्ता की सीमाओं को उद्घाटित किया। वे स्वर्ण मुकुट वाले व्यक्ति नहीं, मोरमुकुट धारी कृष्ण की महिमा का गान करती हैं। संसार के अर्थ तथा भक्ति के उदात्त स्वरूप को उन्होंने अपने सरस पदों से साकार किया। महादेवी वर्मा ने दशकों पहले भारतीय चिंतन के आलोक में स्त्री विमर्श की नींव रखी। सुभद्राकुमारी चौहान ने अग्निधर्मा काव्य सृजन के साथ स्वयं स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
मुख्य अतिथि डॉ सुवर्णा जाधव पुणे ने ने कहा हिंदी कवयित्रियों ने स्त्री संवेदनाओं की मार्मिक अभिव्यक्ति की है। उन्होंने महादेवी वर्मा की कविता सुनाई। महादेवी वर्मा और सुभद्राकुमारी चौहान ने अतीत के साथ वर्तमान पर निगाह रखी थी।
इस आयोजन की अध्यक्षता श्री ब्रजकिशोर शर्मा ने की। उन्होंने कहा कि वैदिक काल से लेकर जैन और बौद्ध धर्म से जुड़ी स्त्री कवयित्रियों ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने युग की सरस्वती के रूप में मीरा, महादेवी जी और सुभद्रा कुमार चौहान के गुण तथा प्रसंगों पर भी प्रकाश डाला।
विशिष्ट वक्ता के रूप में सम्मिलित डॉ. रश्मि चौबे, गाजियाबाद ने महादेवी वर्मा के प्रसिद्ध गीत मैं नीर भरी दुख की बदली का स्मरण किया। आधुनिक युग में महादेवी वर्मा ने काव्य में रहस्यानुभूति, आध्यात्मिकता तथा परमात्मा के ज्ञान को बड़ी सूक्ष्मता से निरूपित किया। विशेष वक्ता के रूप में पदमचंद गाँधी ने मीरा के जन्म और उनकी भक्ति पर प्रकाश डाला।
अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के प्रारम्भ में आयोजन की पीठिका डॉ प्रभु चौधरी राष्ट्रीय संगठन महामंत्री राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना ने प्रस्तुत की। प्रस्तावना डॉ मुमताज पठान नांदेड़ ने प्रस्तुत की और महादेवी वर्मा की कविताओं और गद्य साहित्य की विशेषताओं को उद्घाटित किया। विशेष अतिथि सुंदरलाल जोशी ने भी विचार व्यक्त किए।
लोकगायक श्री सुन्दर लाल मालवीय ने मीरा भजन बाला मैं वैरागन हूँगी की प्रस्तुति की। इस आयोजन में अनेक साहित्यप्रेमी महानुभाव उपस्थित थे। सरस्वती वंदना डॉ. रश्मि चौबे ने प्रस्तुत की। संचालन श्वेता मिश्रा ने किया। आभार प्रदर्शन डॉ शहनाज शेख ने किया।
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