Skip to main content

Posts

Showing posts with the label धार्मिक-पर्यटन-यात्रा

श्री रामदेवरा जयंती पर विशेष आरती, महा प्रसादी व साड़ी वितरण का आयोजन

उज्जैन। उज्जैन स्थित ऐतिहासिक श्री चिंतामण गणेश मंदिर द्वार पर  सोमवार, 25 अगस्त 2025 को श्री रामदेव बाबा (रामदेवरा जी) की जयंती के पावन अवसर पर एक भव्य धार्मिक आयोजन किया गया। इस अवसर पर सुबह से ही श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा और बड़ी संख्या में भक्तों ने उपस्थित होकर बाबा के दर्शन का लाभ लिया। मंदिर द्वार पर विधिवत विशेष आरती का आयोजन किया गया, जिसके दौरान वातावरण भक्ति रस से सराबोर हो उठा। आरती के पश्चात महाप्रसादी का वितरण किया गया। महा प्रसादी वितरण का कार्य श्री गुलाब सिंह गुंदिया परिवार, श्री गणेश प्रसाद भंडार और देव टूर एंड ट्रेवल्स द्वारा किया गया। कार्यक्रम के दौरान समाजसेवा और धार्मिक कार्यों से जुड़े कई अन्य लोग भी उपस्थित रहे। भारत स्काउट एवं गाइड मध्यप्रदेश के राज्य मीडिया प्रभारी तथा बेखबरों की खबर के प्रधान संपादक श्री राधेश्याम चौऋषिया ने भी सपरिवार सहित मंदिर पहुंचकर बाबा श्री रामदेवरा जी के दर्शन किए। उन्होंने विशेष रूप से उपस्थित माँ, बहन-बेटियों को साड़ियों का वितरण किया और उनके जीवन में सुख-शांति एवं समृद्धि की मंगलकामनाएँ व्यक्त कीं। इस अवसर पर श्रीमती रा...

नीम का अद्भुत औषधि का प्रयोग: गुड़ीपड़वा पर्व से शुरुआत करके त्वचा रोगों को दूर करें - डॉ प्रकाश जोशी

गुड़ीपड़वा पर्व से नववर्ष की शुरुआत पर नीम के पत्तों का प्रयोग चर्म रोगों को दूर करने में सहायक सिद्ध हो सकता है। यह मान्यता चैत्र नवरात्रि के समय से प्रचलित है। आयुर्वेदाचार्यों ने अपनी संहिता ग्रंथों में यह उल्लेख किया है कि गुड़ीपड़वा पर्व पर 15 दिन तक नीम का प्रयोग काली मिर्च और मिश्री के साथ मिलाकर करने से वर्षभर त्वचा रोग उत्पन्न नहीं होते। नीम और पीपल: प्राकृतिक आक्सीजन के स्रोत नीम और पीपल ही ऐसे वृक्ष हैं जो 100% आक्सीजन इस संसार को प्रदान करते हैं। आयुर्वेद ग्रंथों में नीम को कई नामों से संबोधित किया गया है, जैसे अरिष्टक, पीचुमर्द, और हींगुनिर्यास। नीम के अद्भुत गुण: चर्म रोगों में लाभकारी नीम के अंदर जरा को रोकने की अद्भुत क्षमता पाई जाती है। इसमें कई तरह के एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जो चर्म रोगों और त्वचागत विकारों में लाभकारी सिद्ध होते हैं। गुड़ीपड़वा पर्व पर नीम का सेवन: गुड़ीपड़वा पर्व से लगातार 15 दिन तक नीम का 10 ग्राम मात्रा में, काली मिर्च और मिश्री (5-5 नग) के साथ प्रयोग करने से त्वचागत विकारों में लाभ मिलता है और यह चीरयुवा बनाए रखने में मदद करता है। त्वचा के स...

श्री महाकालेश्वर मंदिर में होलिका महोत्सव एवं रंगपंचमी महोत्सव को लेकर बैठक सम्पन्न, होलिका महोत्सव में सम्पूर्ण मंदिर परिसर में रंग-गुलाल ले जाने, उड़ाए जाने पर लगाया प्रतिबंध

होलिका महोत्सव में गर्भगृह, नंदी मण्डपम्, गणेश मण्डपम्, कार्तिकेय मण्डपम् एवं सम्पूर्ण मंदिर परिसर में किसी भी प्रकार का रंग-गुलाल इत्यादि ले जाना, रंग-गुलाल उड़ाया जाना, आपस में रंग-गुलाल लगाना, किसी विशेष उपकरण का उपयोग कर रंग इत्यादि उड़ाना पूर्णतः रहेगा प्रतिबंधित उज्जैन । श्री महाकालेश्वर मंदिर में परम्परा अनुसार होने वाले होलिका महोत्सव एवं रंगपंचमी पर्व के संबंध में 11 मार्च 2025 को सायं 05 बजे कार्यालय कलेक्टर के सभागृह कोठीरोड उज्जैन में बैठक आयोजित की गई। बैठक में 13 मार्च ,  14 मार्च 2025 एवं 19 मार्च 2025 को परम्परा अनुसार होने वाले होलिका महोत्सव एवं रंगपंचमी पर्व कें संबंध में आवश्यक दिशा निर्देश प्रदान किये गए:-  होलिका महोत्सव में गर्भगृह, नंदी मण्डपम्, गणेश मण्डपम्, कार्तिकेय मण्डपम् एवं सम्पूर्ण मंदिर परिसर में किसी भी प्रकार का रंग-गुलाल इत्यादि ले जाना, रंग-गुलाल उड़ाया जाना, आपस में रंग-गुलाल लगाना, किसी विशेष उपकरण का उपयोग कर रंग इत्यादि उड़ाना पूर्णतः प्रतिबंधित रहेगा।  श्री महाकालेश्वर मंदिर में आने वाले श्रद्धालु मंदिर में किसी भी प्रकार का रंग-गुलाल...

लोक मान्य विक्रम संवत् ही राष्ट्रीय पंचांग हो - अजय बोकिल, वरिष्ठ लेखक

आजादी के बाद से ही यह बहस का विषय रहा है कि स्वतंत्र भारत का राष्ट्रीय पंचांग वो क्यों नहीं है, जो देश के अधिकांश हिस्से में लोकमान्य है। अर्थात् लोकमान्यता उस विक्रम संवत् की है, जिसे महाकाल की नगरी उज्जयिनी के प्रतापी हिंदू राजा विक्रमादित्य ने विदेशी आक्रांत शकों को हराने की स्मृति को शाश्वत करने के ई.पू. 57 में चलाया था। लेकिन भारत का आधिकारिक राष्ट्रीय पंचांग वो शक संवत् है, जो शक राजा रूद्रदमन ने 58 ईस्वी में भारतीयों पर विजय के उपलक्ष्य में चलाया जाता है। कहा जाता है कि शक संवत् के पक्ष में विद्वानों का पलडा सिर्फ इसलिए झुका, क्योंकि ऐतिहासिक प्रमाण शक संवत् के पक्ष में ज्यादा थे। संभव है कि संवतारंभ की तिथि के हिसाब से शक संवत् के पक्ष में ज्यादा प्रमाण हो, लेकिन इसी के साथ यह सवाल भी उतना ही महत्वपूर्ण है कि प्रामाणिक होने के दावे के बाद भी शक संवत् जन पंचांग का हिस्सा क्यों नहीं बन पाया? आज भी हिंदुओं के सभी तीज त्यौहार, संस्कार व ज्योतिष गणनाएँ ज्यादातर विक्रम संवत् के हिसाब से ही होती हैं न कि शक संवत् के हिसाब से। इसका भावार्थ यही है कि आज भी लोक मान्यता विक्रम संवत् की ज्...

विक्रम विश्वविद्यालय के ललित कला, संगीत एवं नाट्य अध्ययनशाला के विद्यार्थियों ने महाशिवरात्रि पर अपनी अद्भुत कला का प्रदर्शन किया

महाकाल मंदिर में शिव बारात के प्रसंग को उकेरा विशाल और मनोहारी रंगोली के माध्यम से विद्यार्थी कलाकारों ने उज्जैन। विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन की ललित कला, संगीत एवं नाट्य अध्ययनशाला के 14 विद्यार्थियों ने महाशिवरात्रि पर्व के दिन श्री महाकालेश्वर मंदिर में 35x40 फीट की शिव बारात पर केंद्रित  एक अद्भुत और मनोहारी रंगोली बनाकर न केवल अपने नगर बल्कि पूरे प्रदेश और देश में अपनी कला का प्रदर्शन किया। इस रंगोली को बनाने में कुल 430 किलोग्राम रंगोली  का उपयोग किया गया। इस रंगोली के मैनेजमेंट का कार्य पंकज सेहरा ने किया, इस रंगोली का पूरा डिज़ाइन का विचार अक्षित शर्मा का रहा, जिन्होंने अपने रचनात्मक दृष्टिकोण से इस रंगोली को डिज़ाइन किया। इस विशाल रंगोली निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए अक्षित शर्मा, मुकुल ,जगबंधु महतो, आदित्य चौहान, लक्ष्मी कुशवाहऔर नंदिनी प्रजापति ने स्केचिंग करके इस रंगोली का सुंदर आधार तैयार किया।  इसके बाद टीम एट द 3 स्केचर्स - @th3sketchers के सभी कलाकार विद्यार्थियों ने रंगोली को बनाने में अपना पूरा योगदान दिया। विश्वविद्यालय के इन कलाकार विद्य...

आस्था से विज्ञान तक : कुंभ युवाओं के लिए - मेधा बाजपेई

कुंभ शब्द की व्युत्पत्ति जिस धातु से हुई है। उसका अर्थ  है- आवृत्त करना या आच्छादित करना।  ग्रहों की स्थिति का न केवल आध्यात्मिक महत्व है, बल्कि वैज्ञानिक दृष्टि से यह पृथ्वी और मानव पर पड़ने वाले प्रभावों को भी दर्शाती है. गुरु, सूर्य और चंद्रमा का विशेष संयोग पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र को प्रभावित करता है. इन खगोलीय संयोगों के दौरान कुंभ में स्नान का महत्व अध्यात्म और विज्ञान का समन्वय है. पृथ्वी और अन्य ग्रहों के बीच निश्चित आकर्षण या गुरुत्वाकर्षण होता है और इसीलिए सभी ग्रह  एक दूसरे पर प्रभाव डालते हैं, ये केप्लर ने भौतिकी में  17 वी शताब्दी में  ग्रहों की गति के नियम दिए जबकि  ‘ब्रह्मा मुरारी त्रिपुरांतकारी भानु शशि भूमि सुतो बुधश्च, गुरुश्च शुक्र: शनि राहु केतव: सर्वे ग्रहा शांतिकरा भवंतु’  नव ग्रह जप भारत देश में हमेशा से होता आ रहा है।वास्तव में  भारतीय ऋषियों  को ग्रहों, नक्षत्रों, उनकी एक-एक गति के बारे में अद्भुत ज्ञान था।भारत की ज्ञान परंपरा के लगभग सभी धार्मिक- आध्यात्मिक तत्व विज्ञान के सिद्धांतों से प्रमाणित रहे हैं। महाकुंभ उस...

मध्यप्रदेश समाचार

देश समाचार