Skip to main content

Posts

शतरंज खिलाड़ी चार्वी ने इतिहास रचा, लगातार तीसरे वर्ष स्वर्ण पदक पर कब्जा

उज्जैन। एशियन खिलाडी चार्वी मेहता ने आंध्र प्रदेश में सम्पन्न हुई 5वीं ऑल इंडिया फिडे रेटेड स्पेशियली एबल्ड चेस चैंपियनशिप के अंतिम दिन उलटफेर करते हुए अपने से अधिक रेटेड एवं तिगुनी आयु के अनुभवी खिलाड़ियों को शिकस्त देकर लगातार तीसरे वर्ष स्वर्ण पदक पर कब्जा जमाया। यह जानकारी मध्य प्रदेश चेस एसोसिएशन के प्रदेश सचिव प्रकाश बंसकर एवं प्रमोद शुक्ला ने देते हुए बताया कि, विजयनगरम, आंध्र प्रदेश में संपन्न हुई चैंपियनशिप में केन्द्रीय विद्यालय, उज्जैन में कक्षा दसवीं में अध्ययनरत चार्वी मेहता ने अंडर 19 एवं व्हील चेयर केटेगरी में स्वर्ण पदक प्राप्त किया। चार्वी ने इससे पूर्व भी तृतीय एवं चतुर्थ राष्ट्रीय चेस चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक प्राप्त कर प्रदेश को गौरवान्वित कर चुकी है। राष्ट्रीय खिलाड़ी जयेश खत्री से शतरंज की बारीकियों का प्रशिक्षण प्राप्त चार्वी वर्तमान में तकनीकी विशेषज्ञ अरबाज खान एवं वरिष्ठ प्रशिक्षकों से ऑनलाइन प्रशिक्षण प्राप्त कर रही है। चार्वी की गौरवमई उपलब्धि पर उज्जयिनी शतरंज संघ के अध्यक्ष संदीप कुलश्रेष्ठ, सचिव महावीर जैन सहित विभिन्न खेल संगठन के पदाधिकारी व खिलाड़ियो...

धर्मवीर भारती का अंधायुग है कालजयी रचना, जो ज्योति की कथा है अंधों के माध्यम से – प्रो शर्मा

धर्मवीर भारती जन्म शताब्दी वर्ष पर हुई धर्मवीर भारती और उनका साहित्यिक योगदान पर केंद्रित अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी संगीत के क्षेत्र में अविस्मरणीय नवाचार के लिए नगाड़ा सम्राट श्री नरेन्द्रसिंह कुशवाह का हुआ सारस्वत सम्मान  उज्जैन। विख्यात लेखक, कवि एवं सम्पादक श्री धर्मवीर भारती की जन्म शताब्दी के अवसर पर अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन में किया गया। संगोष्ठी का विषय था, धर्मवीर भारती और उनका साहित्यिक योगदान। संगोष्ठी के मुख्य अतिथि ओस्लो नॉर्वे से साहित्यकार श्री सुरेश चंद्र शुक्ल शरद आलोक थे। अध्यक्षता विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के कुलानुशासक प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा ने की। मुख्य वक्ता मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय उदयपुर के हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ नवीन नन्दवाना, प्रो जगदीश चंद्र शर्मा, प्रो गीता नायक, श्री सतीश दवे, डॉ प्रभु चौधरी आदि ने विषय के विभिन्न पक्षों पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर संगीत के क्षेत्र में अविस्मरणीय नवाचार के लिए प्रख्यात संगीतज्ञ एवं नगाड़ा सम्राट श्री नरेन्द्रसिंह कुशवाह का सारस्वत सम्मान किया गया।  अध्यक्षता करते हुए कुलानुशा...

हिंदी साहित्य और पत्रकारिता को मध्यप्रदेश की देन अविस्मरणीय – प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा

मध्यप्रदेश में हिंदी साहित्य और पत्रकारिता के विविध आयामों पर अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी सम्पन्न  हिंदी पत्रकारिता के 200वें वर्ष के सुअवसर पर न्यू मीडिया सृजन संसार ग्लोबल फाउंडेशन एवं अदम्य ग्लोबल फाउंडेशन के सहयोग से सृजन अमेरिका, सृजन मलेशिया, सृजन मॉरीशस, सृजन कतर एवं हिंदी विभाग, कला एवं मानविकी संकाय, एकलव्य विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में अंतरराष्ट्रीय हिंदी पत्रकारिता माह 2025 के अंतर्गत  मध्यप्रदेश में हिंदी साहित्य एवं पत्रकारिता : विविध आयाम विषय पर अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित की गयी। इसमें हिंदी साहित्य, पत्रकारिता, स्वतंत्रता आंदोलन, डिजिटल मीडिया और नई प्रवृत्तियों से जुड़े विविध पहलुओं पर देश के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय के विद्वानों के साथ ही अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, मलेशिया, मॉरीशस, कतर के विद्वानों ने मंथन किया। कार्यक्रम में बीज वक्तव्य विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के कुलानुशासक एवं हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा ने दिया। अध्यक्षता एकलव्य विश्वविद्यालय की कुलाधिपति डॉ. सुधा मलैया ने की। बीज वक्तव्य में विक्रम विश्वविद्यालय के कुलानुशासक प्रो शैल...

लखनगुआं, बिजावर, उतावली, पाली गांव में डीबीटी किसान हब परियोजना के अंतर्गत वैज्ञानिकों का दौरा

🙏 द्वारा, राधेश्याम चौऋषिया 🙏 भोपाल ।  27 जून, 2025, ग्राम - लखनगुआं गांव (जिला छतरपुर) में डीबीटी किसान हब परियोजना के तहत केंद्रीय कृषि अभियांत्रिकी संस्थान (सीआईएई), भोपाल से आए वैज्ञानिक डॉ. दुष्यंत सिंह, डॉ. दीपक थोरात तथा परियोजना के कर्मचारी इंजी. राहुल विश्वकर्मा और इंजी. ज्ञानेंद्र ठाकुर ने छतरपुर जिले के  लखनगुआं, बिजावर, उतावली, पाली गांव का दौरा किया। वैज्ञानिकों ने किसानों को उन्नत कृषि तकनीकों से अवगत कराया। साथ ही, किसानों को बीज छिड़काव की बजाय मशीनों से बुवाई करने की सलाह दी, जो समय और लागत दोनों बचाती है। अधिकांश किसान सीधी और क्रॉस बुवाई करते थे, लेकिन वैज्ञानिकों ने सीधी विधि अपनाने का सुझाव दिया, जिससे पौधों के बीच उचित दूरी बनी रहती है और उत्पादन बेहतर होता है। इसके अतिरिक्त, किसानों को सीड ड्रिल की बजाय सीड-कम-फर्टिलाइज़र ड्रिल मशीन का उपयोग करने की सलाह दी गई। इस मशीन से बीज और उर्वरक का सटीक उपयोग होता है, जिससे उत्पादन में सुधार होता है। वैज्ञानिकों ने यह भी आग्रह किया कि, उरद फसल की कटाई के बाद नरवाई न जलाएं, बल्कि उसे खेत में छोड़कर जैविक खाद...

धन्वन्तरि आयुर्वेद चिकित्सालय में "स्वर्णप्राशन कार्यक्रम" 27 जून को आयोजित होगा

उज्जैन। शासकीय धन्वन्तरि आयुर्वेद चिकित्सा महाविद्यालय के प्रभारी प्रधानाचार्य डॉ. ओ.पी. व्यास ने बताया कि चिकित्सालय के शिशु एवं बालरोग विभाग के अंतर्गत शुक्रवार, 27 जून, 2025 को जन्म से लेकर 10 वर्ष तक के बच्चों को स्वर्णप्राशन कराया जाएगा।  बाल रोग चिकित्सा विशेषज्ञ डॉ. गीता जाटव ने बताया कि शिशु के बुद्धि व बलवर्धन तथा रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिये एवं बार-बार होने वाले संक्रामक रोगों से बचाव के लिए अपने बच्चों का स्वर्णप्राशन अवश्य करावें। प्रत्येक बालक/बालिका का रजिस्ट्रेशन शुल्क रु. 50/-निर्धारित है। आयुर्वेद के ग्रन्थों में बच्चो के स्वास्थ्य संवर्धन के लिये स्वर्णप्राशन का अत्यधिक महत्व बताया गया है।  उक्त जानकारी प्रधानाचार्य डॉ. जे. पी. चौरसिया तथा मीडिया प्रभारी डॉ. प्रकाश जोशी ने दी।

वाणिज्य अध्ययनशाला, विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के छात्रों का एयरपोर्ट दौरा: विमानन और लॉजिस्टिक्स के क्षेत्र में व्यावहारिक अनुभव प्राप्त करने का सुनहरा अवसर

उज्जैन। विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन की वाणिज्य अध्ययनशाला के बीबीए एविएशन और बी.कॉम लॉजिस्टिक्स के कुल 13 विद्यार्थियों ने इंदौर स्थित देवी अहिल्या बाई होल्कर विमानतल का शैक्षणिक दौरा किया। इस दौरे का उद्देश्य विद्यार्थियों को विमानन और लॉजिस्टिक्स उद्योगों के व्यावहारिक पहलुओं से परिचित कराना था, जिससे वे कक्षा में प्राप्त सिद्धांतात्मक ज्ञान को वास्तविक कार्यस्थल पर घटित होने वाली प्रक्रियाओं से जोड़ सकें। इस शैक्षणिक यात्रा को विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रोफेसर अर्पण भारद्वाज जी ने प्रातः 8:30 बजे हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। उन्होंने इस अवसर पर विद्यार्थियों को शुभकामनाएं दीं और कहा कि वे इस यात्रा के उद्देश्य के अनुरूप आवश्यक ज्ञान अर्जित करें तथा उसका समुचित उपयोग करें। उन्होंने विद्यार्थियों को प्रेरित करते हुए यह भी कहा कि इस प्रकार के शैक्षणिक अनुभव उन्हें भविष्य की व्यावसायिक चुनौतियों का सामना करने में सक्षम बनाएंगे। वाणिज्य विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. डी.डी. बेदिया ने भी इस अवसर पर विद्यार्थियों को सम्बोधित करते हुए इस शैक्षणिक यात्रा के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने छा...

पं. मोरेश्वर शास्त्री द्वारा महाकवि कालिदास पर किये शोध एवं तिथि निर्धारण को नमन करता हूँ - प्रो. त्रिपाठी

महाकवि कालिदास जयंती समारोह संपन्न उज्जैन।  पं. मोरेश्वर शास्त्री समिति द्वारा महाकवि कालिदास जयन्ती का आयोजन महाकाल लोक स्थित त्रिवेणी संग्रहालय में किया गया ।  कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पूर्व संस्कृत विभाग अध्यक्ष डॉ.केदारनारायण जी जोशी ने कहा कि पं. मोरेश्वर शास्त्री ने काल गणना एवं महाकवि के काव्य ग्रंथों के आधार पर ही जन्मतिथि निर्धारण की हैं ।  कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि के रूप में बोलते हुए विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के कुलानुशासक प्रो. शैलेंद्र कुमार शर्मा ने कहा कि पं. मोरेश्वर शास्त्री ने महाकवि कालिदास का जन्म नाम चंद्रचूड़ बताया जो शोध ग्रंथ कालिदास अकादमी में सुरक्षित हैlन महाकवि कालिदास का उज्जैन से अनुराग सुप्रसिद्ध है। पंडित मोरेश्वर शास्त्री ने उनके जीवन से जुड़े महत्वपूर्ण प्रसंग और स्थलों का अध्ययन कर विद्वानों को अवगत कराया। कालिदास के साहित्य में मालवा क्षेत्र और उज्जैन के पर्यावरण और संस्कृति का मनोहारी चित्रण मिलता है, उसके आधार पर पर्यटन और विकास की भावी दिशा मिलती है।  विशेष आमंत्रित अतिथि डॉ उपेंद्र भार्गव ने कहा कि पं. मोरेश्वर शास्त्री ज...

मऊ, सारंगपुर, चतुरखेड़ी, ग्वाडा गांव में डीबीटी किसान हब परियोजना के अंतर्गत वैज्ञानिकों का दौरा

🙏 द्वारा, राधेश्याम चौऋषिया 🙏 भोपाल । 25 जून, 2025 को स्थान - मऊ गांव (जिला राजगढ़) में डीबीटी किसान हब परियोजना के अंतर्गत सीआईएई भोपाल (केंद्रीय कृषि अभियांत्रिकी संस्थान, भोपाल) से आए वैज्ञानिक डॉ. दुष्यंत सिंह, डॉ. दीपक थोरात  तथा परियोजना के कर्मचारी इंजी. राहुल विश्वकर्मा और इंजी. ज्ञानेंद्र ठाकुर ने राजगढ़ जिले के मऊ सारंगपुर, चतुरखेड़ी और ग्वाडा गांव का दौरा किया। वैज्ञानिकों ने किसानों को उन्नत कृषि तकनीकों की जानकारी दी। उन्होंने किसानों को बताया कि, सोयाबीन की खेती में ब्रॉड बेड फरो (BBF) तकनीक अपनानी चाहिए, जिससे ज्यादा बारिश की स्थिति में जल निकासी और कम बारिश की स्थिति में मिट्टी में नमी बनी रहती है, जिससे फसल की पैदावार बेहतर होती है। उन्होंने यह भी आग्रह किया कि, सोयाबीन फसल कटाई के बाद नरवाई न जलाएं, बल्कि उसे खेत में छोड़कर जैविक खाद के रूप में प्रयोग करें। इसके साथ ही उन्हें नरवाई प्रबंधन की आवश्यक मशीनों की जानकारी उपलब्ध कराई।  उन्होंने बताया कि, किसान पारंपरिक रूप से प्रति एकड़ 60-80 किलो सोयाबीन बीज का उपयोग करते हैं, जिससे फसल अत्यधिक घनी हो जाती ह...

मध्यप्रदेश समाचार

देश समाचार