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हिंदी साहित्य और पत्रकारिता को मध्यप्रदेश की देन अविस्मरणीय – प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा

मध्यप्रदेश में हिंदी साहित्य और पत्रकारिता के विविध आयामों पर अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी सम्पन्न 

हिंदी पत्रकारिता के 200वें वर्ष के सुअवसर पर न्यू मीडिया सृजन संसार ग्लोबल फाउंडेशन एवं अदम्य ग्लोबल फाउंडेशन के सहयोग से सृजन अमेरिका, सृजन मलेशिया, सृजन मॉरीशस, सृजन कतर एवं हिंदी विभाग, कला एवं मानविकी संकाय, एकलव्य विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में अंतरराष्ट्रीय हिंदी पत्रकारिता माह 2025 के अंतर्गत  मध्यप्रदेश में हिंदी साहित्य एवं पत्रकारिता : विविध आयाम विषय पर अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित की गयी। इसमें हिंदी साहित्य, पत्रकारिता, स्वतंत्रता आंदोलन, डिजिटल मीडिया और नई प्रवृत्तियों से जुड़े विविध पहलुओं पर देश के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय के विद्वानों के साथ ही अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, मलेशिया, मॉरीशस, कतर के विद्वानों ने मंथन किया। कार्यक्रम में बीज वक्तव्य विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के कुलानुशासक एवं हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा ने दिया। अध्यक्षता एकलव्य विश्वविद्यालय की कुलाधिपति डॉ. सुधा मलैया ने की।

बीज वक्तव्य में विक्रम विश्वविद्यालय के कुलानुशासक प्रो शैलेन्द्र कुमार शर्मा ने कहा कि प्रागैतिहासिक काल से चली आ रही मानव जीवन की चुनौतियाँ और स्थितियां अभिव्यक्ति का मार्ग तलाशती रही हैं। उनका सातत्य वर्तमान में भी बना हुआ है। हिन्दी साहित्य और पत्रकारिता के क्षेत्र में मध्यप्रदेश का अविस्मरणीय योगदान रहा है। मध्यप्रदेश ने अनेक महान कवि दिए हैं जिनका प्रभाव देश देशांतर के साहित्य पर दिखाई देता है। अनेक काव्य आंदोलनों की प्रेरणा भूमि मध्यप्रदेश है। स्वतंत्रता आंदोलन में यहां के पत्रकारों और साहित्यकारों ने अद्वितीय भूमिका निभाई। उन्होंने प्रदेश के प्रमुख हिंदी समाचार पत्रों का उल्लेख करते हुए मालवा को पत्रकारिता की उर्वरा भूमि कहा।

अध्यक्षता कर रहीं एकलव्य विश्वविद्यालय दमोह की कुलाधिपति डॉ. सुधा मलैया ने वर्तमान हिंदी पत्रकारिता खासकर प्रिंट मीडिया में हो रहे भाषायी क्षरण को पटल पर रखते हुए हिंग्लिश आधारित हिंदी के चलन पर चिंता व्यक्त की और ऐसे प्रयोगों से मुक्ति की बात कही।

अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी की आयोजन समिति के अध्यक्ष, प्रसिद्ध कवि, पत्रकार एवं वैश्विक प्रधान संपादक डॉ. शैलेश शुक्ला ने सभी अतिथियों के प्रति स्वागत उद्गार व्यक्त करते हुए बताया कि हिंदी पत्रकारिता के 200वें वर्ष के सुअवसर पर सृजन समूह द्वारा अनवरत वर्ष भर में दो सौ से अधिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा।

पूर्व महासचिव विश्व हिंदी सचिवालय, मॉरीशस एवं अधिष्ठाता, त्रिपुरा केंद्रीय विश्वविद्यालय डॉ. विनोद कुमार मिश्र, प्रोफेसर एवं पूर्व विभागाध्यक्ष, डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर से प्रोफेसर आनंद प्रकाश त्रिपाठी, विषय विशेषज्ञ के रूप में  भूतपूर्व संयुक्त निदेशक, मध्यप्रदेश हिंदी ग्रंथ अकादमी से प्रोफेसर सेवाराम त्रिपाठी, हिंदी एवं आधुनिक भारतीय भाषा विभाग, इलाहाबाद विश्वविद्यालय से प्रोफेसर शिव प्रसाद शुक्ल, राष्ट्रीय संपादक सृजन अमेरिका से श्री अरुण नामदेव, सृजन मॉरीशस से डॉ. सोमदत्त काशीनाथ, सृजन मलेशिया से डॉ. रश्मि चौबे, सृजन कतर से श्रीमती शालिनी गर्ग के साथ ही अनेक ख्यातिप्राप्त विद्वानों ने इस संगोष्ठी में विचार मंथन किया। 

कार्यक्रम का शुभारंभ विद्या की अधिष्ठात्री देवी माँ सरस्वती एवं प्रथम पूज्य भगवान गणेश के चरणों में दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। अतिथियों का स्वागत कुलगुरु प्रो डॉ. पवन कुमार जैन द्वारा किया गया। उन्होंने पत्रकारिता के क्षेत्र में आने वाली चुनौतियों को रेखांकित किया। 

संचालन हिंदी विभाग के प्राध्यापक डॉ. हृदय नारायण तिवारी ने किया। कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र के अंत में कुलसचिव डॉ. प्रफुल्ल शर्मा एवं द्वितीय सत्र के अंत में डॉ. सुधीर गौतम द्वारा आभार व्यक्त किया गया।

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