🙏 द्वारा, राधेश्याम चौऋषिया 🙏
भोपाल । 27 जून, 2025, ग्राम - लखनगुआं गांव (जिला छतरपुर) में डीबीटी किसान हब परियोजना के तहत केंद्रीय कृषि अभियांत्रिकी संस्थान (सीआईएई), भोपाल से आए वैज्ञानिक डॉ. दुष्यंत सिंह, डॉ. दीपक थोरात तथा परियोजना के कर्मचारी इंजी. राहुल विश्वकर्मा और इंजी. ज्ञानेंद्र ठाकुर ने छतरपुर जिले के लखनगुआं, बिजावर, उतावली, पाली गांव का दौरा किया।
वैज्ञानिकों ने किसानों को उन्नत कृषि तकनीकों से अवगत कराया। साथ ही, किसानों को बीज छिड़काव की बजाय मशीनों से बुवाई करने की सलाह दी, जो समय और लागत दोनों बचाती है। अधिकांश किसान सीधी और क्रॉस बुवाई करते थे, लेकिन वैज्ञानिकों ने सीधी विधि अपनाने का सुझाव दिया, जिससे पौधों के बीच उचित दूरी बनी रहती है और उत्पादन बेहतर होता है।
इसके अतिरिक्त, किसानों को सीड ड्रिल की बजाय सीड-कम-फर्टिलाइज़र ड्रिल मशीन का उपयोग करने की सलाह दी गई। इस मशीन से बीज और उर्वरक का सटीक उपयोग होता है, जिससे उत्पादन में सुधार होता है।
वैज्ञानिकों ने यह भी आग्रह किया कि, उरद फसल की कटाई के बाद नरवाई न जलाएं, बल्कि उसे खेत में छोड़कर जैविक खाद के रूप में प्रयोग करें। इसके साथ ही, उन्हें नरवाई प्रबंधन की आवश्यक मशीनों की जानकारी भी दी गई। उन्होंने बताया कि, किसान पारंपरिक रूप से प्रति एकड़ 8-10 किलो उरद के बीज का उपयोग करते हैं। इसका परिणाम यह होता है कि खेत में खरपतवार की अधिकता, पौधों में प्रतिस्पर्धा और छिड़काव तथा निराई में कठिनाई उत्पन्न होती है। वैज्ञानिकों ने किसानों को प्रति एकड़ 5-6 किलो उरद के उन्नत किस्मों के बीज उपयोग करने की सलाह दी। इससे न केवल उत्पादन बेहतर होगा, बल्कि फसल प्रबंधन भी सरल हो जाएगा। साथ ही किसानों को फसल में आ रही आवांछीत कोमोलिना घास की समस्या के निराकरण के बारे में भी बताया गया ।
कार्यक्रम के अंत में, किसानों को उन्नत बीज और खरपतवार नाशक दवाओं का वितरण भी किया गया। इस कार्यक्रम मे बड़ी संख्या में किसानों ने भाग लिया एवं इसमे गाँव के युवा किसान प्रतिनिधि श्री मयंक दुबे जी का भी सहयोग प्राप्त हुआ।
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