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हिंदू संस्कृति – एक अंतर्दृष्टि विषय पर वार्ता का आयोजन सम्पन्न

उज्जैन । यंग थिंकर्स फोरम की उज्जैन शाखा एवं विक्रम विश्वविद्यालय द्वारा सोमवार, दिनांक 08/08/2022 को शलाका दीर्घा सभागार में हिंदू संस्कृति– एक अंतर्दृष्टि विषय पर वार्ता का आयोजन किया गया | कार्यक्रम के मुख्य वक्ता बासु घोष प्रभुजी (अध्यक्ष इस्कॉन – वडोदरा, उपाध्यक्ष– इस्कॉन इंडिया ब्यूरो) थे। वे मूलतः शिकागो, अमेरिका के हैं, उन्होंने युवाओं को अपनी संस्कृति के कई अनभिज्ञ पहलुओं से अवगत कराया। कार्यक्रम में उज्जैन जिले के कई विद्यालयों एवं महाविद्यालयों के चयनित विद्यार्थियों ने भाग लिया और कार्यक्रम को सफल बनाया। इस अवसर पर इस्कॉन के श्री राघव पंडित, श्री राजमोहन जी, कुलसचिव डॉ प्रशांत पुराणिक आदि उपस्थित थे।

जैव-प्रोद्यौगिकी एवं बीज कार्यिकी में नये आयामों पर चर्चा सम्पन्न

उज्जैन ।  विक्रम विश्वविद्यालय की वनस्पति अध्ययनशाला एवं पर्यावरण प्रबन्ध अध्ययनशाला में दिनांक 08/08/2022 को छात्र-छात्राओं ने हॉलेण्ड से पधारे वर्तमान में बीएव्हायईआर कंपनी में बीज वैज्ञानिक के रूप में कार्यरत डॉ. संजय दीक्षित ने सम्बोधित किया एवं अपने कार्य जैव-प्रोद्यौगिकी एवं बीज कार्यिकी में नये आयामों पर चर्चा की। डॉ. दीक्षित विक्रम विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र रहे हैं। उन्होंने सन् 1989-91 में एम.एससी. एवं 1996 में पीएच.डी. की उपाधि प्राप्त की। इस अवसर पर विक्रम विश्व विद्यालय में वर्तमान में कृषि विज्ञान, जैव-प्रौद्योगिकी एवं वनस्पति विज्ञान के छात्र-छात्राओं को सहभागिता की एवं बीज विज्ञान से सम्बंधित अपनी जिज्ञासाओं को शांत किया। कार्यक्रम में विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.अखिलेश कुमार पाण्डेय, वनस्पति अध्ययनशाला के विभागाध्यक्ष प्रो. डी. एम. कुमावत, कृषि विज्ञान अध्ययनशाला के विभागाध्यक्ष डॉ. संदीप तिवारी एवं डॉ. शिवि भसीन, डॉ जगदीश शर्मा, डॉ. चित्रलेखा कडेल, डॉ प्रीति दास, डॉ. मुकेश वाणी, डॉ पराग दलाल, डॉ. निहालसिंह आदि शिक्षकगण उपस्थित थे ।

वनस्पति अध्ययनशाला में एलुमिनी मिट का आयोजन

उज्जैन । विक्रम विश्वविद्यालय की वनस्पति अध्ययनशाला के सभागृह में दिनांक 06/08/2022 शनिवार को सन् 1989-91 के दौरान एम. एससी. वनस्पति में अध्ययन किये हुए पूर्व छात्रों का सम्मेलन आयोजित किया। आयोजन में डॉ. संजय दीक्षित, दीप्ति दलाल, श्रीमती वृंदादेवी, श्रीमती वसन्तारानी, श्रीमती सविता बत्रा, श्रीमति कीर्ति शर्मा, श्रीमती जयश्री शर्मा, श्रीमती पंकजा सोनवलकर, श्री पुष्पेन्द्र जैन, श्री शोकत अली, श्री पी. एस. रेड्डी, डॉ. मनीष चादेकर डॉ. हरीश व्यास एवं डॉ. भारतसिंह आदि पूर्व छात्र उपस्थित हुए। इस कार्यक्रम में पूर्व छात्रों ने सेवानिवृत एवं कार्यरत आचार्यों का शाल, श्रीफल एवं मोमेंटो के द्वारा सम्मान किया गया। जिसमें श्रीमती मालती दुबे, श्रीमती संजीवनी अमृतफले, आचार्य डॉ. श्रीमती सुधा मल्ल, डॉ. अल्पना शेवडे, डॉ. वर्मा एवं डॉ. डी. एम कुमावत आदि का सम्मान किया गया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ प्रशांत पौराणिक, कुलसचिव, वि.वि.वि., उज्जैन ने की। वर्तमान में विभाग के ये पूर्व छात्र देश एवं विदेश में कई उच्च पदों पर कार्यरत हैं। विभाग एवं विश्वविद्यालय ऐसे छात्रो को पाकर गौरवान्वित हैं। ग

रोग मिटाऐं रोगी से नफरत ना करें भगवान देवनारायण का सन्देश - श्री गुर्जर

राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना एवं देव चेतना  परिषद के तत्वावधान में आयोजित आभासी संगोष्ठी विषय-: "लोक देवता श्री देवनारायण जी प्रकृति,  पशुओं एवं संस्कृति के पोषक देवता के सन्दर्भ में मुख्य वक्ता  डॉक्टर देवनारायण गुर्जर ने मंतव्य देते हुए कहा कि, लोक देवता देवनारायण जी ने अन्याय और अत्याचार को मिटाने का काम किया। विशेष अतिथि, डॉ. हरि सिंह पाल ,  महामंत्री नागरी लिपि परिषद् , दिल्ली,  ने कहा - लोक देवता देवनारायण जी ने पशुधन की रक्षा करने का संदेश दिया और कहा कि इनके उपदेशों का प्रचार प्रसार होना चाहिए। अध्यक्षीय भाषण में श्री कालूलाल गुर्जर पूर्व कैबिनेट मंत्री राजस्थान सरकार ने कहा कि लोक देवता देवनारायण जी प्रकृति के संरक्षक थे।  देवनारायण जी ने संप्रदाय और जाती- पाती की भावना का त्याग करके समाज का कल्याण किया। इनकी गाथा को अनेक भाषाओं में होना चाहिए। प्रस्तावना में मोहन लाल वर्मा जी ने कहा -  हर धर्म के लोग देवनारायण जी को मानते हैं । इन्हें सूर्य का अवतार भी मानते हैं। कार्यक्रम का संचालन डॉ. रश्मि चौबे,  गाजियाबाद , मुख्य महासचिव महिला इकाई,  राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना ने किया।

मिलेट्स के न्यूट्रिशन से भरपूर खजाने को अपने भोजन में अपनाकर हम गंभीर बिमारियों से बच सकते हैं - श्रीमती देबबंद्या महापात्र

भोपाल। एनआईटीटीटीआर भोपाल के निदेशक प्रो. सी. सी. त्रिपाठी द्वारा 'आज़ादी का अमृत महोत्सव' के अवसर पर व्याख्यान माला की शुरुआत की गयी है, इसी तारतम्य के द्वितीय व्याख्यान माला में सीआईऐई भोपाल की साइंटिस्ट श्रीमती देबबंद्या महापात्र ने “मिलेट्स- हेल्थ बेनेफिट्स एंड यूजेस " पर अपना महत्वपूर्ण व्याख्यान दिया।  श्रीमती बबंद्या ने अपने व्याख्यान के अंतर्गत कहा कि मिलेट्स कभी हमारे ही खान-पान का हिस्सा हुआ करते थे, लेकिन समय के साथ ये हमारी थालियों से गायब होते चले गए, लेकिन अब एक बार फिर से मिलेट्स को बढ़ावा देने के लिए पीएम मोदी की पहल पर यूएन ने 2023 को 'इंटरनेशनल ईयर ऑफ़ मिलेट्स' घोषित किया है। उन्होंने बताया कि दुनिया ने कोविड के दौरान सेहत के लिहाज से मोटे अनाजों के महत्व को समझा है, इसलिए किसानों के लिए इसे उगाना अधिक फायदेमंद समझा जा रहा है। यह अनाज कम पानी और कम उपजाऊ भूमि में भी उग जाता है और दाम भी गेहूं से अधिक प्राप्त होता है। यानि अब समय आ गया है कि मिलेट्स के इस खजाने को फिर से भरा जाए। ताकि जिस भोजन को हमने छोड़ दिया था या भुला दिया था उसे हमें फिर से अप

तीन दिवसीय गोस्वामी तुलसीदास जयंती महोत्सव के समापन पर हुआ प्रो शर्मा का सारस्वत सम्मान

दिव्य चातुर्मास्य महायज्ञ के अंतर्गत गोस्वामी तुलसीदास के अवदान पर हुई विद्वत संगोष्ठी उज्जैन। उज्जैन में जगतगुरु रामानंद आचार्य श्री रामनरेश आचार्य जी महाराज के पावन सान्निध्य में आयोजित दिव्य चातुर्मास्य महायज्ञ के अंतर्गत तीन दिवसीय गोस्वामी तुलसीदास जयंती महोत्सव का आयोजन किया गया। इसके अंतर्गत गोस्वामी तुलसीदास के अवदान पर केंद्रित विद्वत् संगोष्ठी आयोजित की गई।  इस अवसर पर साहित्यकार, समालोचक एवं विक्रम विश्वविद्यालय के कुलानुशासक प्रो. शैलेंद्र कुमार शर्मा का गोस्वामी तुलसीदास के स्वरूप में सारस्वत सम्मान जगद्गुरु रामानंदाचार्य श्री रामनरेशाचार्य जी महाराज, श्रीमठ, पंच गंगा, काशी के सान्निध्य में किया गया। सम्मान के रूप में अतिथिगण सन्त श्री रामविनयदास जी, काशी, सन्त श्री रामलखनदास जी, मानस केसरी, अयोध्या और श्रीधाम के ट्रस्टी श्री संजय मंगल, इंदौर द्वारा उन्हें शॉल, श्रीफल, सम्मान राशि एवं श्रीमठ के ग्रंथ अर्पित कर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर श्रीधाम, नीलगंगा, उज्जैन में आयोजित विद्वत् संगोष्ठी में प्रो. शैलेंद्र कुमार शर्मा, डॉ ऊर्मि शर्मा, श्री राम दवे, डॉ पुष्पा चौरसिय

हर घर तिरंगा अभियान राष्ट्रप्रेम का एक अनूठा यज्ञ है, तिरंगे को गर्व और गौरव से फहराएं - प्रो. सी. सी. त्रिपाठी

भोपाल। एनआईटीटीटीआर भोपाल के निदेशक प्रो. सी. सी. त्रिपाठी ने संकाय सदस्यों, अधिकारियों, कर्मचारियों व उनके परिवारों को आज़ादी की 75वीं वर्षगांठ पर पी.एम. मोदी जी के हर घर तिरंगा अभियान को सफल बनाने के लिए प्रेरित एवं इसमे भाग लेने का आहवान किया। प्रो. त्रिपाठी ने बताया कि, राष्ट्रीय ध्वज के साथ नागरिकों का संबंध हमेशा औपचारिक और विशुद्ध रूप से संस्थागत रहा है। यह अभियान इसे नागरिक के लिए और अधिक व्यक्तिगत बनाने का प्रयास करता है और राष्ट्र निर्माण के प्रति नागरिकों की प्रतिबद्धता के महत्व पर भी जोर देता है। लोगों के हृदय में स्वतंत्रता संग्राम की स्मृति रखने, देश के लिए बलिदान देने वालों को याद करने और देशभक्ति के साथ कृतज्ञता की भावना को बढ़ाने के उद्देश्य से यह अभियान आयोजित किया जा रहा है। 'हर घर तिरंगा' अभियान एक बेहद ही वृहद् और महत्वपूर्ण अभियान है।  स्वतंत्रता के 75वें वर्ष में एक राष्ट्र के रूप में ध्वज को सामूहिक रूप से लाना इस प्रकार न केवल तिरंगे के साथ व्यक्तिगत जुड़ाव का कार्य बन जाता है, बल्कि राष्ट्र निर्माण के प्रति हमारी प्रतिबद्धता और सम्मान का प्रतीक भी ब

भगवान श्री देवनारायण जी पशुपालक देवता के संदर्भ में आभासी संगोष्ठी का आयोजन

राष्ट्रीय देव चेतना परिषद द्वारा साहित्य का आयोजन में आवासी संगोष्ठी के माध्यम से पशुपालक देवता एवं धर्म एवं संस्कृति के लिए संपूर्ण मालवा एवं राजस्थान क्षेत्र में पूजित श्री देवनारायण भगवान के संदर्भ में संगोष्ठी का आयोजन दिनांक 7 अगस्त रविवार सायं 5:00 बजे होगी । संगोष्ठी के मुख्य अतिथि डॉक्टर शैलेंद्र कुमार शर्मा लोक देवता मर्मज्ञ विद्वान एवं कुलानुशासक विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन, मुख्य वक्ता अखिल भारतीय, गुर्जर महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री देवनारायण जी गुर्जर जयपुर एवं अध्यक्षता श्री कालू लाल जी गुर्जर पूर्व कैबिनेट मंत्री राजस्थान सरकार एवं मार्गदर्शक राष्ट्रीय देव चेतना परिषद भीलवाड़ा विशिष्ट वक्ता डॉक्टर हरिसिंह पाल जी महामंत्री नागरी लिपि परिषद नई दिल्ली, श्रीमती सुवणा जाधव राष्ट्रीय मुख्य कार्यकारी अध्यक्ष पुणे, श्री राकेश छोकर राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सहारनपुर, श्री ब्रजकिशोर शर्मा जी अध्यक्ष राष्ट्रीय शिक्षक संघ चेतना उज्जैन, श्री मोहन लाल जी वर्मा संपादक देव चेतना एवं राष्ट्रीय उपाध्यक्ष महासभा डाॅ शिवा लोहारिया राष्ट्रीय उपाध्यक्ष महासभा एवं अध्यक्ष महिला इकाई जयपुर तथ

विजय फाउंडेशन द्वारा रक्षाबंधन के उपलक्ष्य में निःशुल्क मेहँदी लगाए जाने का आयोजन

उज्जैन। मेहँदी के औषधीय गुणों के दृष्टिगत दिनांक 9 एवं 10 अगस्त 2022 को निःशुल्क मेहँदी लगाए जाने का आयोजन विजय फाउंडेशन फॉर एजुकेशन, रिसर्च एंड डेवलपमेंट द्वारा भसीन काम्प्लेक्स, क्षिप्रा टूरिस्ट रेजीडेंसी के सामने माधव क्लब रोड पर प्रातः काल 11 बजे से सांयकाल 8 बजे तक किया जा रहा है। भारत की संस्कृति बहुआयामी एवं प्राचीन है। भारतीय संस्कृति विश्व के इतिहास में कई दृष्टियों से विशेष महत्त्व रखती है तथा संसार की प्राचीनतम संस्कृतिओ में से एक है। भारत में मेहँदी का आगाज़ 12 वी शताब्दी में मुग़ल काल के आगमन के साथ हुआ। मुग़ल रानियाँ मेहँदी से आपने हाथों को सजाने पसंद करती थीं और साथ ही वो इसके औषधीय गुणों एवं ठंडी तासीर से भी परिचित थीं। धीरे-धीरे मेहँदी का प्रचलन पूरे देश में हो गया। वर्त्तमान समय में मेहँदी भारतीय शादियों में महत्चपूर्ण रस्मों में से एक है। हिन्दू संस्कृति में मेहँदी या हीना को खुशहाली, सौंदर्य और धार्मिक अनुष्ठान आदि का प्रतीक मन गया है। मेहँदी एक परिशिस्ट औषधी होती है। इसका उपयोग विविध उद्देश्यों जैसे कि प्रसाधन सामग्री, दवाइयों आदि के उत्पा

विज्ञान का उद्देश्य कभी भी जीवन के उद्देश्य से अलग नही हो सकता - प्रो. पी. बी. शर्मा

उच्च शिक्षा एवं शोध हेतु गुणवत्तापूर्ण शिक्षकों का निर्माण करना आज भारत में शिक्षा के क्षेत्र में सामने आ रही चुनौतियों में से एक है- प्रो. पी. बी. शर्मा भोपाल ।   एनआईटीटीटीआर भोपाल के निदेशक प्रो. सी. सी. त्रिपाठी द्वारा 'आज़ादी का अमृत महोत्सव' के अवसर पर व्याख्यान माला की शुरुआत की है, जिसके प्रथम ऑनलाइन व्याख्यान माला में भारत के जाने-माने शिक्षाविद् एवं एमिटी विश्वविद्यालय गुरुग्राम के कुलपति प्रो. (डॉ.) पी.बी. शर्मा (संस्थापक कुलपति आरजीपीवी भोपाल एवं डीटीयू नई दिल्ली) का "प्रेपेयरिंग टीचर्स फॉर हायर एजुकेशन इन द न्यू ऐज ऑफ़ नॉलेज एंड सस्टेनेबिलिटी" पर अपना महत्वपूर्ण व्याख्यान दिया  ।   व्याख्यान के अंतर्गत प्रो. पी. बी. शर्मा ने कहा कि भारत का उच्च शिक्षा तंत्र अमेरिका, चीन के बाद विश्व का तीसरा सबसे बड़ा उच्च शिक्षा तंत्र है विगत 70 वर्षों में देश के विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों एवं विद्यार्थियों और शिक्षकों की संख्या में काफी वृद्धि हुई है ।  सभी को उच्च शिक्षा के समान अवसर सुलभ कराने की नीति के अंतर्गत उच्च शिक्षा में पुनर्संरचना की आवश्यकता है तथा ब

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