राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना एवं ट्रू मीडिया के तत्वावधान में 75 वेंअमृत महोत्सव के अवसर पर आयोजित "अमृतायनी" विमोचन समारोह एवं काव्य गोष्ठी में मुख्य अतिथि के रुप में श्रीमती रेखा अस्थाना, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना एवं अध्यक्ष, साहित्य मुग्धा दर्पण, गाजियाबाद ने अपना मंतव्य देते हुए कहा कि, अगर आपको किसी देश का अवलोकन करना हो तो वहां की राजधानी देखो और समाज देखना हो तो वहां के शिक्षक से मिलो। ऐसा चाणक्य जी कहते थे और कहा कि, जिस मानव के अंदर चेतना है, वह मानव नहीं महामानव हो जाता है। प्रथम सत्र की मुख्य अतिथि डॉ.पूनम माटिया जी ने कहा कि महिलाओं की विचारधारा अच्छी हो तो पूरे समाज और देश पर इसका प्रभाव पड़ता है । स्वयं की अच्छी विचारधारा को अपने बच्चों को देकर जाएं । डॉ. ममता सिंह , नोएडा ने कहा कि अमृत महोत्सव की सफलता के लिए हम जितनी आहुतियां दे सकते हैं दें । डॉ. दीपा दीप ने कहा कि हिन्दी पर जो कार्य हो रहा है। उसे देखकर अत्यंत प्रसन्नता होती है। डॉ. प्रभु चौधरी राष्ट्रीय महासचिव, राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना, उज्जैन ने कहा कि, शिक्षा केवल डिग्रियो