Skip to main content

विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन की बैठक में लिये गये अनेक महत्वपूर्ण निर्णय

विक्रम विश्वविद्यालय कार्यपरिषद की बैठक 12 अप्रैल 2022 को सम्पन्न

उज्जैन। विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन की कार्यपरिषद् की बैठक दिनांक 12 अप्रैल 2022 को सम्पन्न हुई। बैठक की अध्यक्षता कुलपति प्रो. अखिलेश कुमार पाण्डेय ने की। बैठक में कार्यपरिषद् के सदस्य श्री राजेश सिंह कुशवाह, श्री सचिन दवे, डॉ. विनोद यादव, श्री संजय नाहर, डॉ. शैलेन्द्र कुमार शर्मा, डॉ. दिनेश कुमार सोनी, डॉ. गोविन्द गन्धे, अतिरिक्त संचालक डॉ. आर. सी. जाटवा, संयुक्त संचालक कोष एवं लेखा श्रीमती सुषमा ठाकुर एवं कुलसचिव डॉ. प्रशान्त पुराणिक उपस्थित थे। बैठक में कार्यपरिषद् की बैठक दिनांक 19.03.2022 एवं विद्यापरिषद् की स्थायी समिति की ऑनलाईन एवं ऑफलाईन बैठक दिनांक 11.03.2022 के कार्यविवरण की पुष्टि की गई। नैक की तैयारी के संबंध मे विस्तृत विवरण कार्यपरिषद् के समक्ष प्रस्तुत किया गया। विक्रम विश्वविद्यालय में 2022-23 से विभिन्न खेल, युवा उत्सव आदि स्पर्धाओं में भाग लेने वाले दलों को उनके स्पर्धा में जाने के पूर्व ट्रेकसूट/ब्लेजर दिए जाने का निर्णय लिया गया। यूजीसी नेट परीक्षा उत्तीर्ण विद्यार्थियों को पीएच डी प्रवेश परीक्षा से मुक्त करने हेतु प्रस्ताव समन्वय समिति को प्रेषित किए जाने का निर्णय लिया गया।

सामान्य प्रशासन विभाग के परिपत्र में जारी दिशा-निर्देशों के मापदण्ड के अनुरूप कार्यभारित एवं आकस्मिकता निधि सेवा से वेतन पाने वाले कर्मचारियों के दिवंगत होने पर उनके आश्रित को इसी सेवा की स्थापना के रिक्त पदों पर अनुकम्पा नियुक्ति दिये जाने की कार्यवाही करने का निर्णय लिया गया। वर्तमान में मंहगाई एवं तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी संघ के निवेदन को दृष्टिगत रखते हुए नियमित कर्मचारियों को अनाज अग्रिम राशि रू.10000/- में वृद्धि कर रू.15000/- तथा स्थाईकर्मी एवं दै.वे. भोगी कर्मचारियों को राशि रू. 7000/- में वृद्धि कर 10000/- के भुगतान की स्वीकृति का निर्णय लिया गया। विधि अध्ययनबोर्ड की बैठक दिनांक 23.12.2020, 30.11.2021 एवं 02.02.2022 एवं विद्यापरिषद् की स्थायी समिति की बैठक दिनांक 11.03.2022 के निर्णय अनुसार एल.एल.एम. अध्यादेश क्र. 42, बरकतउल्लाह विश्वविद्यालय, भोपाल, एल.एल.बी. अध्यादेश क्र. 33 बरकतउल्लाह विश्वविद्यालय, भोपाल, बी.ए.एल.एल.बी. अध्यादेश क्र. 33, देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इंदौर, बी.ए.एल.एल.बी.(आनर्स) एवं बी.कॉम. एल.एल.बी.(आनर्स) अध्यादेश क्र. 226, देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इंदौर को अंगीकृत करने का निर्णय लिया गया।

शोध अभ्यर्थियों द्वारा प्रस्तुत शोध प्रबंधों के परीक्षकों की अनुशंसा के आधार पर प्रदान की गई पीएच.डी. उपाधि की सूचना ग्राह्य की गई। बैठक के अंत में कुलसचिव डॉ. प्रशान्त पुराणिक द्वारा आभार प्रदर्शन किया गया।

Comments

मध्यप्रदेश समाचार

देश समाचार

Popular posts from this blog

आधे अधूरे - मोहन राकेश : पाठ और समीक्षाएँ | मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे : मध्यवर्गीय जीवन के बीच स्त्री पुरुष सम्बन्धों का रूपायन

  आधे अधूरे - मोहन राकेश : पीडीएफ और समीक्षाएँ |  Adhe Adhure - Mohan Rakesh : pdf & Reviews मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न नाट्य लेखक और कथाकार मोहन राकेश का जन्म  8 जनवरी 1925 को अमृतसर, पंजाब में  हुआ। उन्होंने  पंजाब विश्वविद्यालय से हिन्दी और अंग्रेज़ी में एम ए उपाधि अर्जित की थी। उनकी नाट्य त्रयी -  आषाढ़ का एक दिन, लहरों के राजहंस और आधे-अधूरे भारतीय नाट्य साहित्य की उपलब्धि के रूप में मान्य हैं।   उनके उपन्यास और  कहानियों में एक निरंतर विकास मिलता है, जिससे वे आधुनिक मनुष्य की नियति के निकट से निकटतर आते गए हैं।  उनकी खूबी यह थी कि वे कथा-शिल्प के महारथी थे और उनकी भाषा में गज़ब का सधाव ही नहीं, एक शास्त्रीय अनुशासन भी है। कहानी से लेकर उपन्यास तक उनकी कथा-भूमि शहरी मध्य वर्ग है। कुछ कहानियों में भारत-विभाजन की पीड़ा बहुत सशक्त रूप में अभिव्यक्त हुई है।  मोहन राकेश की कहानियां नई कहानी को एक अपूर्व देन के रूप में स्वीकार की जाती ...

खाटू नरेश श्री श्याम बाबा की पूरी कहानी | Khatu Shyam ji | Jai Shree Shyam | Veer Barbarik Katha |

संक्षेप में श्री मोरवीनंदन श्री श्याम देव कथा ( स्कंद्पुराणोक्त - श्री वेद व्यास जी द्वारा विरचित) !! !! जय जय मोरवीनंदन, जय श्री श्याम !! !! !! खाटू वाले बाबा, जय श्री श्याम !! 'श्री मोरवीनंदन खाटू श्याम चरित्र'' एवं हम सभी श्याम प्रेमियों ' का कर्तव्य है कि श्री श्याम प्रभु खाटूवाले की सुकीर्ति एवं यश का गायन भावों के माध्यम से सभी श्री श्याम प्रेमियों के लिए करते रहे, एवं श्री मोरवीनंदन बाबा श्याम की वह शास्त्र सम्मत दिव्यकथा एवं चरित्र सभी श्री श्याम प्रेमियों तक पहुंचे, जिसे स्वयं श्री वेद व्यास जी ने स्कन्द पुराण के "माहेश्वर खंड के अंतर्गत द्वितीय उपखंड 'कौमारिक खंड'" में सुविस्तार पूर्वक बहुत ही आलौकिक ढंग से वर्णन किया है... वैसे तो, आज के इस युग में श्री मोरवीनन्दन श्यामधणी श्री खाटूवाले श्याम बाबा का नाम कौन नहीं जानता होगा... आज केवल भारत में ही नहीं अपितु समूचे विश्व के भारतीय परिवार ने श्री श्याम जी के चमत्कारों को अपने जीवन में प्रत्यक्ष रूप से देख लिया हैं.... आज पुरे भारत के सभी शहरों एवं गावों में श्री श्याम जी से सम्बंधित संस्थाओं...

दुर्गादास राठौड़ : जिण पल दुर्गो जलमियो धन बा मांझल रात - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा

अमरवीर दुर्गादास राठौड़ : जिण पल दुर्गो जलमियो धन बा मांझल रात। - प्रो शैलेन्द्रकुमार शर्मा माई ऐड़ा पूत जण, जेहड़ा दुरगादास। मार मंडासो थामियो, बिण थम्बा आकास।। आठ पहर चौसठ घड़ी घुड़ले ऊपर वास। सैल अणी हूँ सेंकतो बाटी दुर्गादास।। भारत भूमि के पुण्य प्रतापी वीरों में दुर्गादास राठौड़ (13 अगस्त 1638 – 22 नवम्बर 1718)  के नाम-रूप का स्मरण आते ही अपूर्व रोमांच भर आता है। भारतीय इतिहास का एक ऐसा अमर वीर, जो स्वदेशाभिमान और स्वाधीनता का पर्याय है, जो प्रलोभन और पलायन से परे प्रतिकार और उत्सर्ग को अपने जीवन की सार्थकता मानता है। दुर्गादास राठौड़ सही अर्थों में राष्ट्र परायणता के पूरे इतिहास में अनन्य, अनोखे हैं। इसीलिए लोक कण्ठ पर यह बार बार दोहराया जाता है कि हे माताओ! तुम्हारी कोख से दुर्गादास जैसा पुत्र जन्मे, जिसने अकेले बिना खम्भों के मात्र अपनी पगड़ी की गेंडुरी (बोझ उठाने के लिए सिर पर रखी जाने वाली गोल गद्देदार वस्तु) पर आकाश को अपने सिर पर थाम लिया था। या फिर लोक उस दुर्गादास को याद करता है, जो राजमहलों में नहीं,  वरन् आठों पहर और चौंसठ घड़ी घोड़े पर वास करता है और उस पर ही बैठकर बाट...