“स्वस्थ शहरों के लिए स्वस्थ मृदा” थीम पर छात्रों ने जाना मृदा संरक्षण का महत्व धरती की त्वचा मिट्टी के गहरे राज़ - प्रो मेहता उज्जैन। 5 दिसंबर 2025 को विश्व मृदा दिवस के अवसर पर उज्जैन स्थित मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला में “स्वस्थ शहरों के लिए स्वस्थ मृदा” थीम पर विविध चरणों में बहुस्तरीय आयोजन किया गया। कार्यक्रम में सम्राट विक्रमादित्य विश्वविद्यालय उज्जैन के पंडित जवाहरलाल नेहरू व्यवसाय प्रबंध संस्थान के निदेशक प्रो. डॉ. धर्मेंद्र मेहता ने कहा कि धरती की त्वचा कही जाने वाली मिट्टी अपने भीतर अनगिनत रहस्य समेटे हुए है। उन्होंने बताया कि एक चम्मच मिट्टी में पृथ्वी के कुल इंसानों से ज़्यादा जीव—बैक्टीरिया, कवक और कीड़े पाए जाते हैं। एक इंच मिट्टी बनने में जहां 500 साल लग जाते हैं, वहीं एक इंच मिट्टी खोने में एक मिनट भी नहीं लगता। उन्होंने मिट्टी को प्राकृतिक स्पंज बताते हुए कहा कि यह पानी सोखकर बाढ़ को रोकती है, पानी को फिल्टर करती है, पौधों को आवश्यक खनिज और पोषक तत्व प्रदान करती है जो हमारे भोजन का आधार हैं। साथ ही यह कार्बन डाइऑक्साइड सोखकर जलवायु परिवर्तन से लड़ने में भी महत्वपूर्ण भ...