Skip to main content

सीआईएई भोपाल को उत्‍कृष्‍ट हिन्‍दी कार्यान्‍वयन के लिए राजभाषा शील्‍ड पुरस्‍कार

संस्‍थान अनुसंधान परिणामों को अंतिम हितधारक तक सरल हिन्‍दी भाषा में पहुंचाने के लिए है प्रतिबद्ध 

🙏 द्वारा, राधेश्याम चौऋषिया 🙏

भोपाल, गुरुवार, 11 दिसम्बर, 2025 । आईसीएआर-केन्‍द्रीय कृषि अभियांत्रिकी संस्‍थान (सीआईएई), भोपाल कार्यालय को सरकारी कामकाज में राजभाषा हिन्‍दी के कार्यान्‍वयन, प्रचार एवं प्रसार की दिशा में उत्‍कृष्‍ट कार्य के लिए नगर राजभाषा कार्यान्‍वयन समिति, क्रमांक 2-कार्यालय भोपाल के द्वारा द्वितीय पुरस्‍कार के रूप में राजभाषा शील्ड 2024-25 से सम्‍मानित किया गया। एनआईडी भोपाल कार्यालय में संपन्‍न हुए पुरस्‍कार वितरण समारोह में नराकास अध्‍यक्षा श्रीमती सुम्‍बुल मुंशी एवं  राष्ट्रीय डिज़ाइन संस्थान मध्य प्रदेश की निदेशक डा. विद्या राकेश ने डा. सी.आर. मेहता, निदेशक, सीआईएई को राजभाषा शील्‍ड से सम्‍मानित किया। सीआईएई को यह पुरस्‍कार 50 से अधिक कर्मचारियों के कार्यालय की श्रेणी के अंतर्गत प्रदान किया गया।  

इस अवसर पर संस्‍थान के निदेशक डा. मेहता ने यह बताया कि, सीआईएई की 1976 में भोपाल में स्‍थापना के स्‍वर्ण जयंती वर्ष कार्यक्रमों के मध्‍य यह उपलब्धि और भी अधिक महत्‍वपूर्ण है। सीआईएई की उपलब्धियों को रेखांकित करते हुए उन्‍होंने यह बताया कि कृषि अभियांत्रिकी के अनुसंधान, विकास और क्षमता निर्माण के लिए समर्पित एक प्रमुख राष्ट्रीय संस्थान है। संस्थान ऐसी प्रौद्योगिकियों के विकास में अग्रणी भूमिका निभा रहा है जो उत्पादकता में वृद्धि, श्रम की कठिनाइयों में कमी, मूल्य संवर्धन को प्रोत्साहन और पर्यावरणीय स्थिरता को सुदृढ़ करती हैं। संस्‍थान ने सुनियोजित खेती, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, रोबोटिक्स और स्वचालित वाहनों पर ध्यान संकेन्‍द्रण के साथ 500 से अधिक कृषि उपकरण, यंत्र और मशीनें विकसित कर भारतीय कृषि को बदलने में योगदान प्रदान किया है।  संस्थान ने कस्टम हायरिंग सेंटर, मिलेट-सोया-आधारित खाद्य उद्यम और संरक्षित खेती को बढ़ावा देकर कृषि उत्पादकता वृद्धि, लागत में कमी, श्रमिकों की मेहनत में कमी और पोषण सुरक्षा में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

निदेशक मेहता ने यह भी बताया कि, संस्‍थान वैज्ञानिकों के द्वारा विकसित ज्ञान, विज्ञान एवं अनुसंधान से संबंधित नई खोजों, जानकारियों एवं परिणामों को किसानों एवं अन्‍य हितधारकों तक सरल हिन्‍दी भाषा में पहुंचाने के लिए सतत् प्रयासरत रहा है एवं आगे भी इसे जारी रखने के लिए प्रतिबद्ध है । संस्‍थान राजभाषा नीति, नियमों, व्‍यवस्‍थाओं, वार्षिक राजभाषा कार्यक्रम के अनुपालन के साथ-साथ भारत सरकार, राजभाषा विभाग तथा भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद मुख्‍यालय नई दिल्‍ली के द्वारा समय समय पर जारी किए जाने वाले दिशानिर्देशों का अनुपालन भी सुनिश्चित कर रहा है। उन्‍होंने इस उपलब्धि के लिए संस्‍थान के सभी प्रभागाध्‍यक्षों, परियोजना समन्‍वयकों, प्रभारियों, समस्‍त वैज्ञानिकों, प्रशासनिक एवं  तकनीकी स्‍तर के समस्‍त अधिकारियों एवं कर्मचारियों के योगदान को भी सराहा। पुरस्‍कार ग्रहण करने के अवसर पर संस्‍थान के उप निदेशक राजभाषा श्री राकेश कुमार कुशवाहा तथा सहायक मुख्‍य तकनीकी अधिकारी श्री राजेश तिवारी भी विशेष रूप से उनके साथ उपस्थित थे।

✍ राधेश्याम चौऋषिया 

Radheshyam Chourasiya

Radheshyam Chourasiya II

● सम्पादक, बेख़बरों की खबर
● राज्य स्तरीय अधिमान्य पत्रकार, जनसम्पर्क विभाग, मध्यप्रदेश शासन
● राज्य मीडिया प्रभारी, भारत स्काउट एवं गाइड मध्यप्रदेश
● मध्यप्रदेश ब्यूरों प्रमुख, दैनिक निर्णायक
● मध्यप्रदेश ब्यूरों प्रमुख, दैनिक मालव क्रान्ति

🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩

"बेख़बरों की खबर" फेसबुक पेज...👇

Bekhabaron Ki Khabar - बेख़बरों की खबर

"बेख़बरों की खबर" न्यूज़ पोर्टल/वेबसाइट... 👇

https://www.bkknews.page

"बेख़बरों की खबर" ई-मैगजीन पढ़ने के लिए नीचे दी गई लिंक पर क्लिक करें...👇https://www.readwhere.com/publi.../6480/Bekhabaron-Ki-Khabar

🚩🚩🚩🚩 आभार, धन्यवाद, सादर प्रणाम। 🚩🚩🚩🚩

Comments

मध्यप्रदेश समाचार

देश समाचार

Popular posts from this blog

खाटू नरेश श्री श्याम बाबा की पूरी कहानी | Khatu Shyam ji | Jai Shree Shyam | Veer Barbarik Katha |

संक्षेप में श्री मोरवीनंदन श्री श्याम देव कथा ( स्कंद्पुराणोक्त - श्री वेद व्यास जी द्वारा विरचित) !! !! जय जय मोरवीनंदन, जय श्री श्याम !! !! !! खाटू वाले बाबा, जय श्री श्याम !! 'श्री मोरवीनंदन खाटू श्याम चरित्र'' एवं हम सभी श्याम प्रेमियों ' का कर्तव्य है कि श्री श्याम प्रभु खाटूवाले की सुकीर्ति एवं यश का गायन भावों के माध्यम से सभी श्री श्याम प्रेमियों के लिए करते रहे, एवं श्री मोरवीनंदन बाबा श्याम की वह शास्त्र सम्मत दिव्यकथा एवं चरित्र सभी श्री श्याम प्रेमियों तक पहुंचे, जिसे स्वयं श्री वेद व्यास जी ने स्कन्द पुराण के "माहेश्वर खंड के अंतर्गत द्वितीय उपखंड 'कौमारिक खंड'" में सुविस्तार पूर्वक बहुत ही आलौकिक ढंग से वर्णन किया है... वैसे तो, आज के इस युग में श्री मोरवीनन्दन श्यामधणी श्री खाटूवाले श्याम बाबा का नाम कौन नहीं जानता होगा... आज केवल भारत में ही नहीं अपितु समूचे विश्व के भारतीय परिवार ने श्री श्याम जी के चमत्कारों को अपने जीवन में प्रत्यक्ष रूप से देख लिया हैं.... आज पुरे भारत के सभी शहरों एवं गावों में श्री श्याम जी से सम्बंधित संस्थाओं...

आधे अधूरे - मोहन राकेश : पाठ और समीक्षाएँ | मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे : मध्यवर्गीय जीवन के बीच स्त्री पुरुष सम्बन्धों का रूपायन

  आधे अधूरे - मोहन राकेश : पीडीएफ और समीक्षाएँ |  Adhe Adhure - Mohan Rakesh : pdf & Reviews मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न नाट्य लेखक और कथाकार मोहन राकेश का जन्म  8 जनवरी 1925 को अमृतसर, पंजाब में  हुआ। उन्होंने  पंजाब विश्वविद्यालय से हिन्दी और अंग्रेज़ी में एम ए उपाधि अर्जित की थी। उनकी नाट्य त्रयी -  आषाढ़ का एक दिन, लहरों के राजहंस और आधे-अधूरे भारतीय नाट्य साहित्य की उपलब्धि के रूप में मान्य हैं।   उनके उपन्यास और  कहानियों में एक निरंतर विकास मिलता है, जिससे वे आधुनिक मनुष्य की नियति के निकट से निकटतर आते गए हैं।  उनकी खूबी यह थी कि वे कथा-शिल्प के महारथी थे और उनकी भाषा में गज़ब का सधाव ही नहीं, एक शास्त्रीय अनुशासन भी है। कहानी से लेकर उपन्यास तक उनकी कथा-भूमि शहरी मध्य वर्ग है। कुछ कहानियों में भारत-विभाजन की पीड़ा बहुत सशक्त रूप में अभिव्यक्त हुई है।  मोहन राकेश की कहानियां नई कहानी को एक अपूर्व देन के रूप में स्वीकार की जाती ...

दुर्गादास राठौड़ : जिण पल दुर्गो जलमियो धन बा मांझल रात - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा

अमरवीर दुर्गादास राठौड़ : जिण पल दुर्गो जलमियो धन बा मांझल रात। - प्रो शैलेन्द्रकुमार शर्मा माई ऐड़ा पूत जण, जेहड़ा दुरगादास। मार मंडासो थामियो, बिण थम्बा आकास।। आठ पहर चौसठ घड़ी घुड़ले ऊपर वास। सैल अणी हूँ सेंकतो बाटी दुर्गादास।। भारत भूमि के पुण्य प्रतापी वीरों में दुर्गादास राठौड़ (13 अगस्त 1638 – 22 नवम्बर 1718)  के नाम-रूप का स्मरण आते ही अपूर्व रोमांच भर आता है। भारतीय इतिहास का एक ऐसा अमर वीर, जो स्वदेशाभिमान और स्वाधीनता का पर्याय है, जो प्रलोभन और पलायन से परे प्रतिकार और उत्सर्ग को अपने जीवन की सार्थकता मानता है। दुर्गादास राठौड़ सही अर्थों में राष्ट्र परायणता के पूरे इतिहास में अनन्य, अनोखे हैं। इसीलिए लोक कण्ठ पर यह बार बार दोहराया जाता है कि हे माताओ! तुम्हारी कोख से दुर्गादास जैसा पुत्र जन्मे, जिसने अकेले बिना खम्भों के मात्र अपनी पगड़ी की गेंडुरी (बोझ उठाने के लिए सिर पर रखी जाने वाली गोल गद्देदार वस्तु) पर आकाश को अपने सिर पर थाम लिया था। या फिर लोक उस दुर्गादास को याद करता है, जो राजमहलों में नहीं,  वरन् आठों पहर और चौंसठ घड़ी घोड़े पर वास करता है और उस पर ही बैठकर बाट...