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गणित समीकरण का खेल नहीं वरन संपूर्ण ब्रह्मांड की भाषा है - अंतरराष्ट्रीय गणितज्ञ प्रो. अरुण भीष्म

सम्राट विक्रमादित्य विश्वविद्यालय में आईसीएमएसएएसए 2025 (ICMSASA-2025) का भव्य शुभारंभ हुआ; विद्वानों ने गणित और विज्ञान को बताया भविष्य का आधार

उज्जैन। सम्राट विक्रमादित्य विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी में आज द्वितीय इंटरनेशनल मैथेमैटिक्स, साइंस,  एप्लाइड साइंस एंड देइर ऍप्लिकेशन - आईसीएमएसएएसए 2025 (ICMSASA - 2025) का भव्य उद्घाटन संस्थान के विश्वकर्मन सभागार में संपन्न हुआ। इस तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में देश-विदेश के प्रसिद्ध गणितज्ञ और वैज्ञानिक विषय क्षेत्र के विभिन्न पक्षों पर मंथन करेंगे।

कार्यक्रम के प्रारम्भ में मां वाग्देवी की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलन और माल्यार्पण के साथ सम्मेलन का उद्घाटन मुख्य अतिथि अंतर्राष्ट्रीय गणितज्ञ प्रो. अरुण भीष्म, दक्षिण अफ्रीका, विशिष्ट अतिथि प्रो. वी के गुप्ता, परीक्षा नियंत्रक, मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग इंदौर और कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कुलगुरु प्रो. अर्पण भारद्वाज, कुलानुशासक प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा, प्रो संदीप तिवारी ने किया।

मुख्य अतिथि अंतरराष्ट्रीय गणितज्ञ प्रो. अरुण भीष्म, जुजुलैण्ड यूनिवर्सिटी, दक्षिण अफ्रीका ने अपने उद्बोधन में कहा कि गणित केवल समीकरणों का खेल नहीं है, बल्कि यह ब्रह्मांड की भाषा है। आज के दौर में अनुप्रयुक्त विज्ञान - अप्लाइड साइंसेज का दायरा तेजी से बढ़ रहा है। ऐसे सम्मेलन युवाओं को न केवल शोध के लिए प्रेरित करते हैं, बल्कि उन्हें वैश्विक चुनौतियों का समाधान खोजने के लिए एक मंच भी प्रदान करते हैं। 

विशिष्ट अतिथि प्रो. वी के गुप्ता परीक्षा नियंत्रक मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग इंदौर ने विद्यार्थियों को सफलता का मंत्र देते हुए कहा कि कड़ी मेहनत और अनुशासन का कोई विकल्प नहीं होता। चाहे वह प्रशासनिक सेवा हो या वैज्ञानिक शोध, सफलता का रास्ता एकाग्रता से होकर गुजरता है। मुझे खुशी है कि विश्वविद्यालय विद्यार्थियों को इस तरह के उच्च स्तरीय अकादमिक मंच उपलब्ध करा रहा है। 

अध्यक्षीय उद्बोधन में विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो. अर्पण भारद्वाज ने कहा कि सम्राट विक्रमादित्य विश्वविद्यालय सदैव नवाचार और शोध को प्राथमिकता देता आया है। हमारा उद्देश्य है कि हमारे विद्यार्थी केवल किताबी ज्ञान तक सीमित न रहें, बल्कि वे विज्ञान के व्यावहारिक अनुप्रयोगों को समझें और देश के विकास में योगदान दें। 

प्रो. ऋषि तिवारी, रीवा विश्वविद्यालय, प्रो. मलिक, इलाहाबाद विश्वविद्यालय ने भी गणित और उसके भविष्य पर अपने विचार व्यक्त किए। 

कुलानुशासक प्रो. शैलेन्द्र कुमार शर्मा ने कहा कि भारत की पुरातन संस्कृति और सभ्यता गणित और विविध विज्ञानों के विकास के लिए पूरी दुनिया में जानी जाती है। अवंती - मालवा क्षेत्र में गणित के व्यावहारिक अनुप्रयोगों को लेकर महत्वपूर्ण कार्य हुआ है। विज्ञान की सार्थकता तभी है जब वह समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे। हमें ऐसे शोध करने होंगे जो आम जनमानस की समस्याओं को सुलझाने में कारगर सिद्ध हों।

सम्मेलन के मुख्य समन्वयक और इंजीनियरिंग संस्थान एवं गणित अध्ययनशाला के विभागाध्यक्ष प्रो. संदीप कुमार तिवारी ने विषय प्रवर्तन करते हुए बताया कि इस सम्मेलन पांच से अधिक देशों तथा भारत के अनेक राज्यों के लोग भाग ले रहे हैं। सम्मेलन के दौरान आयोजित विभिन्न एकेडमिक सत्रों में सौ से अधिक शोध पत्र प्रस्तुत किए जाएंगे।

उद्घाटन समारोह में सम्मेलन के प्रोसिडिंग का विमोचन अतिथियों द्वारा किया गया। शॉल, श्रीफल, मौक्तिक माल तथा स्मृति चिन्ह अर्पित कर अतिथियों का सम्मान समन्वयक प्रोफेसर संदीप तिवारी, सह समन्वयक प्रो. राजेश टेलर  एवं आयोजन समिति के सदस्यों द्वारा किया गया।

​कार्यक्रम का संचालन अमृता शुक्ला ने किया। आभार सह-संयोजक और कृषि एवं सांख्यिकी अध्ययनशाला के विभागाध्यक्ष प्रो. राजेश टेलर ने किया। 

प्रारंभ में वैदिक मंगलाचरण डॉक्टर महेंद्र पंड्या ने किया। ​इस अवसर पर विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष, प्राध्यापकगण और बड़ी संख्या में शोधार्थी एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे।

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