भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ : उपभोक्ता
सम्राट विक्रमादित्य विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस पर जागरूकता परिसंवाद
उज्जैन। सम्राट विक्रमादित्य विश्वविद्यालय, उज्जैन में कुलगुरु प्रो. डॉ. अर्पण भारद्वाज के मार्गदर्शन में अग्रणी पंडित जवाहरलाल नेहरू व्यवसाय प्रबंध संस्थान द्वारा राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस विद्यार्थियों की सक्रिय सहभागिता के साथ मनाया गया। इस अवसर पर आयोजित मार्गदर्शन परिसंवाद का उद्देश्य विद्यार्थियों के माध्यम से उपभोक्ताओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना रहा। अपने शुभकामना संदेश में कुलगुरु प्रो. डॉ. भारद्वाज ने कहा कि, उपभोक्ता जागरूकता किसी भी सुदृढ़ अर्थव्यवस्था का आधार है और युवा वर्ग को इस दिशा में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए। यह दिवस उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के लागू होने की स्मृति में मनाया जाता है।
उपभोक्ता अधिकार, सतत विकास और बाजार पारदर्शिता पर विशेषज्ञों के विचार
इस विशेष परिसंवाद में विश्वविद्यालय की प्रतिभाशाली एल्युमिनी, प्रसिद्ध अंकशास्त्री एवं अनुभवी विक्रय मा.सं. प्रबंधक सुश्री अर्चना पटेल ने अपने सारगर्भित विचार व्यक्त करते हुए कहा कि उपभोक्ता किसी भी अर्थव्यवस्था की रीढ़ होते हैं। विशेषज्ञ वक्ता के रूप में युवा अधिवक्ता एवं एल्युमिनी श्री अंबर माथुर ने अपने विधिक उद्बोधन में उपभोक्ताओं को सचेत करते हुए कहा कि वस्तुओं और सेवाओं की गुणवत्ता, उचित मूल्य, सही जानकारी और समय पर सेवा पाना उपभोक्ता का मूल अधिकार है।
पंडित जवाहरलाल नेहरू व्यवसाय प्रबंध संस्थान के निदेशक एवं संकाय अध्यक्ष प्रो. डॉ. धर्मेंद्र मेहता तथा प्रो. डॉ. कामरान सुल्तान ने अपने विचार साझा करते हुए उपभोक्ता के छह प्रमुख अधिकारों—सुरक्षा का अधिकार, सूचना का अधिकार, चुनाव का अधिकार, सुनवाई का अधिकार, प्रतिकार का अधिकार और उपभोक्ता शिक्षा—पर उत्पादों के जीवन्त प्रदर्शन उदाहरणों के माध्यम से प्रकाश डाला।
परिसंवाद के दौरान दोनों प्रतिष्ठित एल्युमिनीज का परिचय देते हुए प्रो. डॉ. धर्मेंद्र मेहता ने संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों क्रमांक 3, 10 एवं 12 का उल्लेख करते हुए कहा कि सतत उपभोग और उत्पादन उपभोक्ता संरक्षण का अनिवार्य घटक है। इन लक्ष्यों के अंतर्गत उपभोक्ताओं को उत्पादों और सेवाओं के बारे में सटीक और पारदर्शी जानकारी, विकल्प चुनने की स्वतंत्रता तथा स्थिरता के साथ गुणवत्ता सुनिश्चित करना आवश्यक है। सशक्त उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुओं की मांग पर विचार करते हैं, जिससे व्यवसायों को पर्यावरण के अनुकूल प्रथाओं को अपनाने के लिए प्रोत्साहन मिलता है।
उन्होंने यह भी बताया कि उपभोक्ता संरक्षण के लक्ष्य अप्रत्यक्ष रूप से अन्य सतत विकास लक्ष्यों से भी जुड़े हैं, जिनमें अच्छा स्वास्थ्य और भलाई, सुरक्षित उत्पादों तक पहुंच सुनिश्चित कर खाद्य सुरक्षा, गरीबी उन्मूलन और असमानता में कमी शामिल है। यह गरीब और कमजोर उपभोक्ताओं को शोषण से बचाने तथा निष्पक्ष बाजार तक उनकी पहुंच सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।


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