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जनहित और राष्ट्र हित को सर्वोपरि रखकर हम मध्यप्रदेश की जनता की भलाई के लिए एक नया इतिहास लिखेंगे − श्री तोमर

माननीय विधानसभा अध्यक्ष श्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने विधानसभा के एक दिवसीय विशेष सत्र को संबोधित किया

विकसित, आत्मनिर्भर और समृद्ध मध्यप्रदेश के विज़न पर मध्यप्रदेश विधानसभा का एक दिवसीय विशेष सत्र

🙏 द्वारा, राधेश्याम चौऋषिया 🙏 

भाेपाल। मध्यप्रदेश विधानसभा की 70 वीं वर्षगांठ पर बुधवार को विकसित, आत्मनिर्भर और समृद्ध मध्यप्रदेश के विज़न पर बुधवार, 17 दिसंबर 2025 को एक दिवसीय विशेष सत्र का आयोजन किया गया। इस सत्र में माननीय अध्यक्ष महोदय श्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने अपने उद्बोधन में कहा कि, मध्यप्रदेश की सोलहवीं विधान सभा के अध्यक्ष के नाते मुझे विश्वास है कि, इस विशेष सत्र में अपने नेक इरादे, साफ नीयत, जनहित और राष्ट्र हित को सर्वोपरि रखकर विज़न के माध्यम से हम मध्यप्रदेश की जनता की भलाई के लिए एक नया इतिहास लिख सकेंगे। हमारी सहभागिता पहली विधान सभा के संकल्पों के अनुरूप सन् 2047 में मानव विकास के नये प्रतिमानों के साथ विशेष सत्र की धारणाओं को साकार करेगी। हम कह सकेंगे कि, मध्यप्रदेश सही अर्थों में भारत का सिरमौर है।

विशेष सत्र में माननीय मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, माननीय नेता प्रतिपक्ष श्री उमंग सिंघार, माननीय संसदीय कार्यमंत्री श्री कैलाश विजयवर्गीय, प्रदेश सरकार के अन्य माननीय मंत्रिगण एवं माननीय सदस्यगणों ने प्रदेश के विकास एवं विकसित भारत में प्रदेश की भूमिका के राेडमैप पर अपने विचार रखे।

इस विशेष सत्र की कार्यवाही को देखने के लिए विशेष रूप से लगभग 400 स्कूल एवं महाविद्यालयीन विद्यार्थी विधानसभा पहुंचे। इन विद्यार्थियों से माननीय अध्यक्ष श्री नरेंद्र सिंह तोमर से भेंट भी की एवं विधानसभा का भ्रमण कर प्रदर्शनी को भी देखा।

विशेष सत्र को संबोधित करते हुए माननीय अध्यक्ष महोदय श्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा कि, जनसेवा की भावना से वर्षों से राजनीति में सक्रिय हम जैसे प्रतिनिधियों के लिये सुखद संयोग और सौभाग्य है कि, मध्यप्रदेश विधान सभा की 70वीं वर्षगांठ के अवसर पर जनकल्याण के सपनों को आकार देने के लिये 16 वीं विधान सभा में पक्ष और विपक्ष के सभी सदस्य एक दिवसीय विशेष सत्र में एक साथ उपस्थित हैं।

श्री तोमर ने कहा कि, हम सभी जानते हैं कि, यह वर्ष वंदे-मातरम के 150 वर्ष पूरे होने का भी है। वंदे-मातरम के विभिन्न क्षन्दो ने खुशहाल भारत की कल्पना की गई है। वैसा ही खुशहाल मध्यप्रदेश बनाने के लिये विशेष सत्र आहूत हुआ है। आम जनता अपने विधायकों को बड़ी अपेक्षा और उम्मीद के साथ चुनती है। उन्हें भरोसा होता है कि, उनका जनप्रतिनिधि उनकी जीवन शैली के उन्नयन के लिये ईमानदारी से अपने दायित्वों का निर्वहन करेगा। 

उन्होंने कहा कि, आम लोगों की इन्हीं उम्मीदों को पूरा करने के लिये मध्यप्रदेश विधान सभा की दीर्घ यात्रा के अगले चरण में मध्यप्रदेश की 8 करोड़ जनता की आकांक्षाओं और अभिलाषाओं के प्रति प्रतिबद्धता का शंखनाद करने के लिये यह विशेष सत्र आयोजित किया गया है।

श्री तोमर ने अपने उद्बाेधन में कहा कि, 1 नवम्बर 1956 के दिन गठित मध्यप्रदेश में राज्य विधान सभा की पहली बैठक 17 दिसम्बर को सम्पन्न हुई थी। उसके बाद सोलहवीं विधान सभा के वर्तमान कालखंड तक पिछले 69 वर्षों के दरम्यान मध्यप्रदेश में 191 बार सदन के सत्र आहूत हो चुके हैं। विशेष सत्र की गणनाओं में राज्य विधान सभा का यह चौथा सत्र है। सदन की 192 बैठक के रूप में आहूत सोलहवीं विधान सभा का यह विशेष सत्र राज्य की 8 करोड़ जनता के समग्र विकास और उनके जीवन उन्नयन के लिये समर्पित है। साथ ही यह वक्त बीते 70 वर्षों के दरम्यान मध्यप्रदेश में निर्वाचित पक्ष और विपक्ष के सभी 4499 विधायको को स्मरण करने और उन्हें सराहने का भी है। जिन्होंने जनतंत्र के पवित्र मंदिर में प्रतिष्ठित इस सदन में बैठकर मध्यप्रदेश के विकास की अवधारणा में अपनी वैचारिक आहूति देकर लोकतंत्र के महायज्ञ की पवित्रता को जीवंत बनाये रखा है। लोकतंत्र में आम जनता और निर्वाचित जनप्रतिनिधियों के रिश्तों की धुरी वह विश्वास होता है।

श्री ताेमर ने कहा कि, यह कहना अतिश्‍योक्‍तिपूर्ण नहीं होगा कि हमारी विधायिका ने प्रदेश के सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक परिवर्तन के लक्ष्‍यों को हासिल करने में महती भूमिका का निवर्हन किया है। मध्‍यप्रदेश ने शिक्षा, स्‍वास्‍थ्‍य, ज्ञान, कृषि जैसे अनेक क्षेत्रों में उल्‍लेखनीय प्रगति की है। फिर भी हम यह नहीं कह सकते कि आम आदमी के जीवन स्‍तर के उन्‍नयन के लिये अब काम करने की जरूरत नहीं है। 21वीं सदी के मानवीय विकास के प्रबंधन की चुनौतियां निरंतर कठिन होती जा रही हैं। यह टेक्‍नालॉजी का युग है। रोजमर्रा की जिंदगी में ऑर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का हस्‍तक्षेप मानवीय प्रभुता और संवेदनाओं को चुनौती दे रहा है। रोबोट संस्‍कृति राजनैतिक और सामाजिक सरोकारों की दिशाओं में नई-नई जटिलताएं पैदा कर रहा है। इस परिपेक्ष्‍य में चुनौतियों के आर्थिक, तकनीकी और वैज्ञानिक पहलुओं पर निरंतर समीक्षा जरूरी है। उन्‍हें समझना जरूरी है ताकि अगली पीढ़ी के समक्ष मौजूद चुनौतियों के मुताबिक विकास का एजेंडा तय किया जा सके. यह विशेष सत्र इसी तारतम्‍य में आहूत किया गया है। 

विशेष सत्र में हम विकसित मध्‍यप्रदेश वर्ष 2047 के लिए तैयार विज़न में निर्धारित सामाजिक, आर्थिक और विकास के विभिन्‍न लक्ष्‍यों को केन्‍द्र में रखकर मध्यप्रदेश के विकास की सर्वसम्‍मत गतिशीलता को निर्धारित करना चाहते हैं। हालांकि विकास की गतिशीलता के मामले में मध्‍यप्रदेश अभी कमजोर नहीं है। भारत सरकार के नीति आयोग के सतत् विकास के लक्ष्‍यों के लिये निर्धारित इंडिया इंडेक्‍स वर्ष 2023-24 में मध्‍यप्रदेश फ्रंट रनर रहा है लेकिन हमें इससे संतुष्‍ट नहीं होना है।

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