गीता—जीवन प्रबंधन का सर्वोत्तम शास्त्र : विद्वानों ने रखे विचार
उज्जैन। पं. जवाहरलाल नेहरू व्यवसाय प्रबंध संस्थान, भारत अध्ययन केंद्र, फॉर्मेसी अध्ययनशाला–सम्राट विक्रमादित्य विश्वविद्यालय उज्जैन, ऋषिहुड विश्वविद्यालय सोनीपत तथा योग साधना केंद्र इंदौर द्वारा 5162वीं गीता जयंती के पावन अवसर पर द्वि-स्तरीय (ऑफलाइन एवं ऑनलाइन) माध्यम से भव्य स्पिरिचुअलिटी समिट का आयोजन किया गया। परिसंवाद की अध्यक्षता सम्राट विक्रमादित्य विवि उज्जैन के कुलगुरु प्रो. डॉ. अर्पण भारद्वाज तथा ऋषिहुड विश्वविद्यालय के कुलपति सह-संस्थापक कुलगुरु प्रो. डॉ. शोभित माथुर ने संयुक्त रूप से की। दोनों ही विद्वानों ने अपने शुभकामना संदेशों के माध्यम से युवा पीढ़ी को उदारता और मानवीय संवेदनाओं को अपने व्यक्तित्व में सहेजने के व्यापक शुभाशीष प्रदान किए।
समिट के प्रथम मुख्य विद्वान वक्ता प्रो. डॉ. संपदानंद मिश्रा, निदेशक मानव विज्ञान केंद्र, ऋषिहुड विवि सोनीपत ने अपने जीवंत और आनंददायी संवाद में गीता को “जीवन प्रबंधन का सर्वोत्तम शास्त्र” बताया। उन्होंने कहा कि आज की शिक्षा में गीता-सिद्धांतों का समावेश अत्यंत आवश्यक है, क्योंकि यह मनुष्य को संतुलित, शांत और जागरूक बनाती है। द्वितीय मुख्य वक्ता श्री रजनीश कुमार श्रीवास, योग साधना विशेषज्ञ एवं विधि अधिकारी, पश्चिम रेलवे इंदौर ने सहज योग और गीता के संबंध पर प्रकाश डालते हुए सहज योग की व्यवहारिक क्रियाओं के साथ सुंदर आभासी संस्करण के माध्यम से विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि ध्यान, आत्मबोध की अनुभूति प्रदान करता है।
ऋषिहुड विश्वविद्यालय सोनीपत के कुलानुशासक प्रो. डॉ. आर. एन. मालवीय ने अपने सारगर्भित विचार व्यक्त करते हुए कहा कि गीता, आत्मबोध को जीवन में उतारने की बुद्धि प्रदान करती है। कार्यक्रम में संकाय अध्यक्ष प्रो. कमलेश दशोरा, प्रो. डॉ. दीपक गुप्ता, प्रो. डॉ. कामरान सुल्तान, प्रो. डॉ. डी. डी. बेदिया, डॉ. नयनतारा डामोर, श्री राकेश खोती, गोविंद तोमर सहित विभिन्न स्थानों और संकायों के विशेषज्ञों ने सक्रिय सहभागिता की।
अंत में भारत अध्ययन केंद्र के निदेशक डॉ. सचिन राय ने सभी विद्वानों, अतिथियों एवं सहयोगियों के प्रति हृदयपूर्वक आभार व्यक्त किया। इस अनूठे परिसंवाद स्पिरिचुअलिटी समिट के अतिथियों का परिचय देते हुए संचालन सूत्रधार प्रो. डॉ. धर्मेंद्र मेहता, निदेशक डॉ. गौऱैया चिंचलकर, प्रसिद्ध कैंसर रोग विशेषज्ञ अरबिंदो समूह इंदौर, तथा डॉ. प्रवीण खिरवडकर, फार्मेसी अध्ययनशाला ने कुशलतापूर्वक किया।


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