"1956 से 2025 तक−इतिहास के पल” प्रदर्शनी में विधानसभा की विकास यात्रा, दुर्लभ चित्रों का प्रर्दशन
विधायकों, विद्यार्थियों ने देखी प्रदर्शनी
🙏 द्वारा, राधेश्याम चौऋषिया 🙏
भोपाल । मध्यप्रदेश विधानसभा के 70 वीं वर्षगांठ पर विधानसभा की विकास यात्रा पर केंद्रित प्रदर्शनी “1956 से 2025 तक−इतिहास के पल” का शुभारंभ बुधवार, 17 दिसंबर 2025 को महामहिम राज्यपाल महोदय श्री मंगु भाई पटेल ने किया। इस अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष श्री नरेन्द्र सिंह तोमर, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, नेता प्रतिपक्ष श्री उमंग सिंघार, संसदीय कार्यमंत्री श्री कैलाश विजयवर्गीय, प्रदेश सरकार के मंत्रिगण, विधायकगण एवं अधिकारी उपस्थित थे।
लोकतंत्र की उजली परंपराओं को सजीव रूप में प्रस्तुत करती प्रदर्शनी “मध्यप्रदेश विधानसभा के 1956 से 2025 तक के इतिहास के पल” प्रदेश की संसदीय यात्रा का एक भावपूर्ण दस्तावेज है। यह प्रदर्शनी विधानसभा की सात दशकों की लोकतांत्रिक साधना को कलात्मक अभिव्यक्ति के माध्यम से जनमानस के समक्ष प्रस्तुत करती है।
1 नवंबर 1956 को राज्य के पुनर्गठन के साथ अस्तित्व में आई मध्यप्रदेश विधानसभा केवल एक विधायी संस्था नहीं, बल्कि जन-आकांक्षाओं की संवाहक और लोकतांत्रिक मूल्यों की प्रहरी रही है। विंध्य प्रदेश, मध्य भारत और भोपाल की विधानसभाओं के एकीकरण से निर्मित यह संस्था समय के साथ ‘हृदय प्रदेश’ की सामूहिक चेतना का स्वर बनी। इन सात दशकों में विधानसभा ने संसदीय गरिमा, संवैधानिक मर्यादा और लोक-कल्याणकारी राजनीति के अनेक स्वर्णिम अध्याय रचे हैं।
प्रदर्शनी में वर्ष 1956 से 2025 तक के 135 दुर्लभ चित्रों के माध्यम से उन ऐतिहासिक क्षणों का रूपांकन किया गया है, जिन्होंने प्रदेश की लोकतांत्रिक यात्रा को दिशा दी। 17 दिसंबर 1956 को हुई पहली विधानसभा के गठन के अतीत से लेकर वर्तमान 16वीं विधानसभा की स्मृतियों का प्रत्येक चित्र स्वयं में एक पूरे इतिहास को समेटे हुए हैं। प्रदर्शनी के 135 चित्र समेकित रूप में मध्यप्रदेश विधानसभा की सात दशकों से अधिक की लोकतांत्रिक यात्रा का सजीव चित्रपट प्रस्तुत करते हैं।
इन चित्रों का समेकित स्वरूप मध्यप्रदेश विधानसभा की सात दशकों से अधिक की लोकतांत्रिक साधना, संवैधानिक मर्यादा और सांस्कृतिक चेतना का सजीव इतिहास प्रस्तुत करता है। 31 अक्टूबर 1956 की मध्यरात्रि में मिन्टो हॉल में प्रथम राज्यपाल डॉ. पट्टाभि सीतारमैया को शपथ दिलाए जाने का क्षण नवगठित राज्य की संवैधानिक यात्रा का शुभारंभ है। इसके अगले ही दिन मुख्यमंत्री पं. रविशंकर शुक्ल की अध्यक्षता में हुई मंत्रिपरिषद की प्रथम बैठक शासन-व्यवस्था के व्यवस्थित संचालन का प्रतीक बनी।
राजधानी के रूप में भोपाल के चयन हेतु स्थल और भूमि के निरीक्षण के दृश्य, डॉ. शंकरदयाल शर्मा तथा पं. रविशंकर शुक्ल जैसे दूरदर्शी नेतृत्व की भविष्य-दृष्टि को रेखांकित करते हैं। नव राज्य के प्रथम राज्यपाल द्वारा भोपाल में दिए गए संबोधन और विधानसभा में तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष का सदन-सम्बोधन संसदीय परंपराओं की गरिमा को उजागर करते हैं।
समय के प्रवाह में ये चित्र राष्ट्रीय राजनीति के विराट क्षणों को भी समेटते हैं। 1979 में श्री अटल बिहारी वाजपेयी का जनसभा को संबोधन, स्वतंत्रता की पच्चीसवीं वर्षगांठ की मध्यरात्रि में आयोजित ऐतिहासिक समारोह, तथा उस अवसर पर राज्यपाल और विधानसभा अध्यक्ष की उपस्थिति—ये सभी लोकतंत्र और राष्ट्र भावना के उत्सव हैं।
1996 में राष्ट्रपति डॉ. शंकरदयाल शर्मा के साथ दशम् विधानसभा के सदस्य, उसी वर्ष नवीन विधानसभा भवन का उद्घाटन, तथा 1997 में महात्मा गांधी की प्रतिमा का अनावरण—ये दृश्य लोकतंत्र को राष्ट्रपिता के आदर्शों से जोड़ते हैं। नेताजी सुभाषचंद्र बोस के चित्र का अनावरण, छत्तीसगढ़ अंचल के सांसदों और विधायकों का विदाई समारोह, तथा नवीन विधायक विश्राम गृह का भूमिपूजन—विधानसभा के ऐतिहासिक पड़ावों के साक्ष्य हैं।
2006 की स्वर्ण जयंती के अवसर पर राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का प्रेरक संबोधन और सदस्यों के साथ उनका स्नेहपूर्ण संवाद विधानसभा की गौरवशाली परंपरा को स्वर्णाक्षरों में अंकित करता है।
समकालीन चित्रों में 2025 के विधान सत्रों के नवाचार, ‘वेल ऑफ द हाउस’ में परिधान व्यवस्था, विद्यार्थियों का विधानसभा से संवाद, बजट सत्र में राज्यपाल का अभिभाषण, सांस्कृतिक कार्यक्रम ‘कृष्णायन’, फाग उत्सव, मानवीय संवाद के क्षण और प्रतीकात्मक आयोजनों का समावेश है।
इन सभी चित्रों में निहित स्मृतियाँ यह सिद्ध करती हैं कि पहली विधानसभा से लेकर सोलहवीं विधानसभा तक की यात्रा केवल राजनीतिक घटनाओं का क्रम नहीं, बल्कि मध्यप्रदेश की लोकतांत्रिक आत्मा का निरंतर विकसित होता हुआ महाकाव्य है।
यह प्रदर्शनी केवल अतीत का स्मरण नहीं, बल्कि वर्तमान और भावी पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत है। संघर्ष, संकल्प और सिद्धि की यह दृश्य-यात्रा युवा पीढ़ी में संसदीय परंपराओं के महत्व को समझाने और लोकतंत्र के प्रति कृतज्ञता का भाव विकसित करने का सशक्त प्रयास है। निःसंदेह, “इतिहास के पल” प्रदर्शनी मध्यप्रदेश विधानसभा की गौरवशाली लोकतांत्रिक विरासत को सहेजने और उसे जन-चेतना से जोड़ने का एक सार्थक एवं स्मरणीय पहल है।
✍ राधेश्याम चौऋषिया
● सम्पादक, बेख़बरों की खबर
● राज्य स्तरीय अधिमान्य पत्रकार, जनसम्पर्क विभाग, मध्यप्रदेश शासन
● राज्य मीडिया प्रभारी, भारत स्काउट एवं गाइड मध्यप्रदेश
● मध्यप्रदेश ब्यूरों प्रमुख, दैनिक निर्णायक
● मध्यप्रदेश ब्यूरों प्रमुख, दैनिक मालव क्रान्ति
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