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आईसीएआर–सीआईएई, भोपाल ने सोया-आधारित कार्यात्मक मिल्क चॉकलेट तकनीकों का किया व्यावसायिक हस्तांतरण

🙏 द्वारा, राधेश्याम चौऋषिया 🙏 

भोपाल। आईसीएआर–केंद्रीय कृषि अभियांत्रिकी संस्थान (सीआईएई), भोपाल ने अनुसंधान को व्यावहारिक उपयोग में परिवर्तित करने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि प्राप्त की है। संस्थान ने तीन सोया-आधारित कार्यात्मक मिल्क चॉकलेट प्रक्रिया तकनीकों का व्यावसायिक उपयोग हेतु लाइसेंस प्रदान किया है।

इन नवीन तकनीकों का विकास डॉ. समलेश कुमारी, सोयाबीन प्रसंस्करण एवं उपयोग उत्कृष्टता केंद्र (सीईएसपीयू), आईसीएआर–सीआईएई, भोपाल द्वारा किया गया है। ये तकनीकें कार्यात्मक एवं वीगन-अनुकूल चॉकलेट्स के विकास में एक महत्वपूर्ण नवाचार हैं, जो स्वास्थ्य और स्वाद का अद्भुत संयोजन प्रस्तुत करती हैं।

लाइसेंस प्राप्त प्रक्रिया तकनीकें निम्नलिखित हैं:

  • प्रीबायोटिक मिल्क चॉकलेट
  • प्रोबायोटिक मिल्क चॉकलेट
  • सिनबायोटिक मिल्क चॉकलेट

इन नई संरचनाओं में सोया की पोषक संपन्नता को प्रोबायोटिक्स और प्रीबायोटिक्स के स्वास्थ्यवर्धक गुणों के साथ जोड़ा गया है, जिससे उपभोक्ताओं को कार्यात्मक एवं पौध-आधारित कन्फेक्शनरी उत्पादों के रूप में एक स्वस्थ विकल्प उपलब्ध होगा।

इन तकनीकों को एम/एस महाबायोफूड्स, पटियाला स्थित एक उद्यम, को ₹4,50,000 + 18% जीएसटी की कुल राशि पर सभी तीन प्रक्रिया तकनीकों के लिए लाइसेंस प्रदान किया गया है। यह कदम अनुसंधान-आधारित नवाचारों के व्यावसायीकरण और संस्थान–उद्योग सहयोग को सुदृढ़ करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।

यह पहल आईसीएआर–सीआईएई के निरंतर प्रयासों को रेखांकित करती है, जिनका उद्देश्य सोया आधारित खाद्य उत्पादों में मूल्य संवर्धन को बढ़ावा देना, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण को प्रोत्साहित करना, तथा भारत में कार्यात्मक खाद्य नवाचारों के पारिस्थितिक तंत्र को मजबूत करना है।

✍ राधेश्याम चौऋषिया 

Radheshyam Chourasiya

Radheshyam Chourasiya II

● सम्पादक, बेख़बरों की खबर
● राज्य स्तरीय अधिमान्य पत्रकार, जनसम्पर्क विभाग, मध्यप्रदेश शासन
● राज्य मीडिया प्रभारी, भारत स्काउट एवं गाइड मध्यप्रदेश
● मध्यप्रदेश ब्यूरों प्रमुख, दैनिक निर्णायक
● मध्यप्रदेश ब्यूरों प्रमुख, दैनिक मालव क्रान्ति

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