Skip to main content

मानव अधिकार हनन से संबंधित समस्त प्रकरणों की समय सीमा में जांच हो, विभागीय जांच में विलंब ना हो एवं सभी अधिकारी समन्वय के साथ एक टीम के रूप में कार्य करें : माननीय सदस्य मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग डॉ. अवधेश प्रताप सिंह

मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग के मान. सदस्य ने ओरछा में भगवान श्री रामराजा सरकार के दर्शन कर प्रदेश की सुख समृद्धि की कामना की

 

मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग के मान. सदस्य ने कलेक्ट्रेट सभागार में जनसुनवाई के दौरान आवेदकों की समस्याओं और शिकायतों को सुना

 

मध्‍यप्रदेश मानव अधिकार आयोग के मान. सदस्‍य डॉ. सिंह ने सब जेल का किया निरीक्षण


🙏 द्वारा, राधेश्याम चौऋषिया 🙏 


भोपाल । मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग के सदस्य डॉ. अवधेश प्रताप सिंह ने शुक्रवार 14 नवंबर, 2025 को जिले के प्रवास के दौरान ओरछा में भगवान श्री रामराजा सरकार के दर्शन कर प्रदेश की सुख समृद्धि की कामना की। दर्शन उपरांत डॉ. सिंह ने मंदिर प्रांगण के मुख्यद्वार पर स्थानीय जनप्रतिनिधियों और पत्रकार प्रतिनिधियों से संवाद किया।


 

मानव अधिकार आयोग के सदस्य की अध्यक्षता में जनसुनवाई

 

मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग के सदस्य डॉ. अवधेश प्रताप सिंह ने प्रवास के दौरान ‘’आयोग आपके द्वार’’ कार्यक्रम के तहत 14 नवंबर, 2025 (शुक्रवार) को कलेक्ट्रेट सभागार निवाड़ी, जिला-निवाड़ी में जनसुनवाई कर आमजन से प्राप्त आवेदनों एवं शिकायतों को सुना। उन्होंने आवेदनों एवं शिकायतों पर सुनवाई करते हुए लंबित मानव अधिकार आयोग के प्रकरणों का समय सीमा में निराकरण करने हेतु अधिकारियों को निर्देश दिए। लंबित प्रकरणों में जिलाधिकारियों द्वारा प्रतिवेदन प्रस्तुत किए गए। 




डॉ सिंह ने लंबित प्रकरणों की समीक्षा करते हुए अधिकारियों निर्देशित किया कि संबंधित विभागों की तत्काल जांच कराएं, विभागीय जांच में विलंब ना हो, शिकायतकर्ता को जाँच की सूचना दें। प्रभावित व्यक्ति को संबंधित विभाग द्वारा मुआवजा दिया जाए। अनुकंपा नियुक्ति में देरी ना हो, अनुकंपा नियुक्ति के प्रकरणों का अति शीघ्र निराकरण किया जाए। जनसुनवाई के दौरान अधिकारियों को निर्देशित करते हुए उन्होंने कहा कि मानव अधिकार आयोग के मानव हनन से संबंधित समस्त प्रकरणों की समय सीमा में जांच हो, विभागीय जांच में विलंब ना हो एवं सभी अधिकारी समन्वय के साथ एक टीम के रूप में कार्य करें।



 

एसपी कार्यालय के नवीन भवन का निरीक्षण एवं सब जेल निवाड़ी का भ्रमण




जनसुनवाई उपरांत मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग के सदस्य डॉ. अवधेश प्रताप सिंह ने पुलिस अधीक्षक कार्यालय नवीन भवन का निरीक्षण किया। इस दौरान पुलिस अधीक्षक डॉ राय सिंह नरवरिया ने नवीन भवन का निरीक्षण कर आवश्यक जानकारी साझा की। तदोपरांत डॉ. सिंह ने सब जेल निवाड़ी का भ्रमण कर व्यवस्थाओं और सुविधाओं का निरीक्षण किया।




इस अवसर पर डीआईजी श्री मुकेश कुमार श्रीवास्तव, डीएसपी श्रीमती रीना शर्मा, कलेक्टर श्रीमती जमुना भिडे, पुलिस अधीक्षक डॉ राय सिंह नरवरिया, एसडीएम सुश्री मनीषा जैन, डिप्टी कलेक्टर सुश्री विनीता जैन एवं विभागों के अधिकारी उपस्थित रहे।


✍ राधेश्याम चौऋषिया 

Radheshyam Chourasiya

Radheshyam Chourasiya II

● सम्पादक, बेख़बरों की खबर
● राज्य स्तरीय अधिमान्य पत्रकार, जनसम्पर्क विभाग, मध्यप्रदेश शासन
● राज्य मीडिया प्रभारी, भारत स्काउट एवं गाइड मध्यप्रदेश
● मध्यप्रदेश ब्यूरों प्रमुख, दैनिक निर्णायक
● मध्यप्रदेश ब्यूरों प्रमुख, दैनिक मालव क्रान्ति

🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩

"बेख़बरों की खबर" फेसबुक पेज...👇

Bekhabaron Ki Khabar - बेख़बरों की खबर

"बेख़बरों की खबर" न्यूज़ पोर्टल/वेबसाइट... 👇

https://www.bkknews.page

"बेख़बरों की खबर" ई-मैगजीन पढ़ने के लिए नीचे दी गई लिंक पर क्लिक करें...👇https://www.readwhere.com/publi.../6480/Bekhabaron-Ki-Khabar

🚩🚩🚩🚩 आभार, धन्यवाद, सादर प्रणाम। 🚩🚩🚩🚩

Comments

मध्यप्रदेश समाचार

देश समाचार

Popular posts from this blog

खाटू नरेश श्री श्याम बाबा की पूरी कहानी | Khatu Shyam ji | Jai Shree Shyam | Veer Barbarik Katha |

संक्षेप में श्री मोरवीनंदन श्री श्याम देव कथा ( स्कंद्पुराणोक्त - श्री वेद व्यास जी द्वारा विरचित) !! !! जय जय मोरवीनंदन, जय श्री श्याम !! !! !! खाटू वाले बाबा, जय श्री श्याम !! 'श्री मोरवीनंदन खाटू श्याम चरित्र'' एवं हम सभी श्याम प्रेमियों ' का कर्तव्य है कि श्री श्याम प्रभु खाटूवाले की सुकीर्ति एवं यश का गायन भावों के माध्यम से सभी श्री श्याम प्रेमियों के लिए करते रहे, एवं श्री मोरवीनंदन बाबा श्याम की वह शास्त्र सम्मत दिव्यकथा एवं चरित्र सभी श्री श्याम प्रेमियों तक पहुंचे, जिसे स्वयं श्री वेद व्यास जी ने स्कन्द पुराण के "माहेश्वर खंड के अंतर्गत द्वितीय उपखंड 'कौमारिक खंड'" में सुविस्तार पूर्वक बहुत ही आलौकिक ढंग से वर्णन किया है... वैसे तो, आज के इस युग में श्री मोरवीनन्दन श्यामधणी श्री खाटूवाले श्याम बाबा का नाम कौन नहीं जानता होगा... आज केवल भारत में ही नहीं अपितु समूचे विश्व के भारतीय परिवार ने श्री श्याम जी के चमत्कारों को अपने जीवन में प्रत्यक्ष रूप से देख लिया हैं.... आज पुरे भारत के सभी शहरों एवं गावों में श्री श्याम जी से सम्बंधित संस्थाओं...

आधे अधूरे - मोहन राकेश : पाठ और समीक्षाएँ | मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे : मध्यवर्गीय जीवन के बीच स्त्री पुरुष सम्बन्धों का रूपायन

  आधे अधूरे - मोहन राकेश : पीडीएफ और समीक्षाएँ |  Adhe Adhure - Mohan Rakesh : pdf & Reviews मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न नाट्य लेखक और कथाकार मोहन राकेश का जन्म  8 जनवरी 1925 को अमृतसर, पंजाब में  हुआ। उन्होंने  पंजाब विश्वविद्यालय से हिन्दी और अंग्रेज़ी में एम ए उपाधि अर्जित की थी। उनकी नाट्य त्रयी -  आषाढ़ का एक दिन, लहरों के राजहंस और आधे-अधूरे भारतीय नाट्य साहित्य की उपलब्धि के रूप में मान्य हैं।   उनके उपन्यास और  कहानियों में एक निरंतर विकास मिलता है, जिससे वे आधुनिक मनुष्य की नियति के निकट से निकटतर आते गए हैं।  उनकी खूबी यह थी कि वे कथा-शिल्प के महारथी थे और उनकी भाषा में गज़ब का सधाव ही नहीं, एक शास्त्रीय अनुशासन भी है। कहानी से लेकर उपन्यास तक उनकी कथा-भूमि शहरी मध्य वर्ग है। कुछ कहानियों में भारत-विभाजन की पीड़ा बहुत सशक्त रूप में अभिव्यक्त हुई है।  मोहन राकेश की कहानियां नई कहानी को एक अपूर्व देन के रूप में स्वीकार की जाती ...

दुर्गादास राठौड़ : जिण पल दुर्गो जलमियो धन बा मांझल रात - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा

अमरवीर दुर्गादास राठौड़ : जिण पल दुर्गो जलमियो धन बा मांझल रात। - प्रो शैलेन्द्रकुमार शर्मा माई ऐड़ा पूत जण, जेहड़ा दुरगादास। मार मंडासो थामियो, बिण थम्बा आकास।। आठ पहर चौसठ घड़ी घुड़ले ऊपर वास। सैल अणी हूँ सेंकतो बाटी दुर्गादास।। भारत भूमि के पुण्य प्रतापी वीरों में दुर्गादास राठौड़ (13 अगस्त 1638 – 22 नवम्बर 1718)  के नाम-रूप का स्मरण आते ही अपूर्व रोमांच भर आता है। भारतीय इतिहास का एक ऐसा अमर वीर, जो स्वदेशाभिमान और स्वाधीनता का पर्याय है, जो प्रलोभन और पलायन से परे प्रतिकार और उत्सर्ग को अपने जीवन की सार्थकता मानता है। दुर्गादास राठौड़ सही अर्थों में राष्ट्र परायणता के पूरे इतिहास में अनन्य, अनोखे हैं। इसीलिए लोक कण्ठ पर यह बार बार दोहराया जाता है कि हे माताओ! तुम्हारी कोख से दुर्गादास जैसा पुत्र जन्मे, जिसने अकेले बिना खम्भों के मात्र अपनी पगड़ी की गेंडुरी (बोझ उठाने के लिए सिर पर रखी जाने वाली गोल गद्देदार वस्तु) पर आकाश को अपने सिर पर थाम लिया था। या फिर लोक उस दुर्गादास को याद करता है, जो राजमहलों में नहीं,  वरन् आठों पहर और चौंसठ घड़ी घोड़े पर वास करता है और उस पर ही बैठकर बाट...