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सम्राट् विक्रमादित्य विश्वविद्यालय, उज्जैन में दो दिवसीय अन्तरजिला युवा उत्सव का समापन एवं पुरस्कार वितरण समारोह संपन्न


दूसरे दिन युवाओं ने साहित्य, संगीत और ललित कला की विविध विधाओं में दिखाई अपनी प्रतिभा

उज्जैन। सम्राट् विक्रमादित्य विश्वविद्यालय, उज्जैन में दो दिवसीय अन्तरजिला युवा उत्सव का समापन एवं पुरस्कार वितरण समारोह 19 नवम्बर को दोपहर बाद  स्वर्ण जयंती सभागार में हुआ। माधव भवन परिसर में सम्पन्न दो दिवसीय आयोजन में साहित्यिक, सांस्कृतिक एवं रूपांकन की 22 विधाओं में सम्राट् विक्रमादित्य विश्वविद्यालय परिक्षेत्र के सात जिलों के लगभग चार सौ प्रतिभागी भाग लेने के लिए उज्जैन आए थे। युवा उत्सव के समापन कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलगुरु प्रो अर्पण भारद्वाज ने की। विशिष्ट अतिथि मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग से उत्कृष्ट अंकों के साथ डिप्टी कलेक्टर के रूप में चयनित युवा प्रतिभा  सुश्री हर्षिता दवे, इंदौर, पूर्व डीएसडब्ल्यू प्रो राकेश ढंड एवं कुलानुशासक प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा ने विचार व्यक्त किए। प्रेमचंद सृजन पीठ के नवनियुक्त निदेशक श्री मुकेश जोशी, डीएसडब्ल्यू प्रो एस के मिश्रा एवं युवा प्रतिभा श्री देव परमार मंचासीन थे।  

अध्यक्षता करते हुए कुलगुरु प्रो अर्पण भारद्वाज ने कहा कि युवा उत्सव की विविध विधाएं व्यक्तित्व के विकास और रचनात्मकता को विकसित करने में सहायक सिद्ध होती हैं। ये गतिविधियां आजीवन यादगार रहती हैं। जो भी इन स्पर्धाओं में भाग लेते हैं वे सभी सही अर्थों में  विजेता हैं, इसलिए युवा इन अवसरों का लाभ प्राप्त करें।

एमपी पीएससी से चयनित प्रशासनिक अधिकारी युवा प्रतिभा सुश्री हर्षिता दवे ने युवाओं का मार्गदर्शन करते हुए कहा कि युवा उत्सव का आयोजन हमारी प्रतिभा को निखारने के लिए महत्वपूर्ण अवसर सिद्ध होता है। इस उत्सव की विभिन्न विधाओं में प्रदर्शन के माध्यम से जो आत्मविश्वास और लक्ष्य की ओर अग्रसर होने की सामर्थ्य प्राप्त होती है, वह जीवन भर हमें सफलता दिलाती है। इस प्रकार के उत्सवों में युवा बढ़ चढ़कर भाग लें।

कुलानुशासक प्रो शैलेंद्र कुमार शर्मा ने कहा कि युवा उत्सव में युवा पीढ़ी ने अपनी नई विषयवस्तु, नई अभिव्यक्ति और नवाचारी प्रयासों को साकार किया। इस उत्सव में मालवा क्षेत्र के अनेक कलारूपों के दर्शन हुए। अपनी सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण और संवर्धन के लिए युवा आगे आएं। 

पूर्व डीएसडब्ल्यू डॉ राकेश ढंड ने कहा कि लगातार कोशिश और करिश्मा युवा शक्ति को आगे बढ़ाने में सार्थक सिद्ध होते हैं। युवा अपने भावी जीवन को सर्जनात्मक ढंग से आगे ले जाने की तैयारी करें। 

अतिथियों का स्वागत डीएसडब्ल्यू प्रो सत्येंद्र किशोर मिश्रा, डॉ राज बोरिया, डॉ डी डी बेदिया, डॉ वीरेंद्र चावरे, डॉ अंजना पांडेय, डॉ विश्वजीत सिंह परमार, डॉ हेमंत लोदवाल आदि ने किया। अतिथियों को स्मृति चिन्ह अर्पित कर उनका सम्मान किया गया। कार्यक्रम के प्रारंभ में कुलगान एवं सरस्वती वंदना हुई। अतिथियों द्वारा दीप दीपन कर वाग्देवी का पूजन किया गया। 

युवा उत्सव में दूसरे दिन विभिन्न स्पर्धाओं में युवाओं ने साहित्य, संगीत, ललित कला की विविध विधाओं में अपनी प्रतिभा दिखाई। युवा उत्सव के समापन पर विभिन्न विधाओं में विजयी विद्यार्थियों को अतिथियों द्वारा पुरस्कार प्रदान किए गए। इन विधाओं में वक्तृता, वाद-विवाद (पक्ष और विपक्ष), प्रश्न मंच, पोस्टर निर्माण, सुगम संगीत (एकल), भारतीय समूह गान, एकल पाश्चात्य संगीत, पाश्चात्य समूह गान, एकल शास्त्रीय गायन, एकल शास्त्रीय नृत्य, समूह नृत्य, लघु नाटिका, स्वांग, मूकाभिनय, नाटक, चित्रकला, मूर्तिकला, कोलाज, व्यंग्य चित्र, रंगोली, एकल शास्त्रीय वादन (परकुशन) और एकल शास्त्रीय वादन (नान परकुशन) शामिल थे।

समापन समारोह का संचालन श्री दुर्गाशंकर सूर्यवंशी एवं डॉ वीरेंद्र चावरे ने किया। आभार प्रदर्शन डीएसडब्ल्यू प्रोफेसर सत्येंद्र किशोर मिश्र ने किया।



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