Skip to main content

अटल एवं महामना के शताब्दी जन्म दिवस पर राष्ट्रीय संगोष्ठी एवं साहित्य सेवा सम्मान होगा

आयोजन समिति का हुआ गठन,डॉ प्रभु चौधरी अध्यक्ष मनोनीत

उज्जैन -राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना के 43वें संचेतना महोत्सव में पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी के जन्म शताब्दी समारोह एवं महामना पं. मदनमोहन मालवीय के जन्म दिवस 25 दिसम्बर 2025 को उज्जैन में राष्ट्रीय संगोष्ठी एवं साहित्य सेवा सम्मान समारोह  होगा।।

भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल जी एवं महामना भारत रत्न श्री मालवीय जी के जन्म दिवस का यह 11वां आयोजन उज्जैन में आयोजित किया जा रहा है।समारोह समिति का गठन किया। जिसमें अध्यक्ष डॉ. प्रभु चौधरी, उपाध्यक्ष डॉ. हरीश कुमार सिंह, सचिव सुश्री रंजना पाचांल, संयुक्त सचिव सुंदरलाल मालवीय, कोषाध्यक्ष श्रीमती अंजना जैन को संस्था संरक्षक ब्रजकिशोर शर्मा मार्गदर्शक डॉ. हरिसिंह पाल एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. शैलेन्द्रकुमार शर्मा तथा राष्ट्रीय महासचिव डॉ शहेनाज शेख ने  मनोनीत किया है। समारोह के शुभारम्भ 25 दिसंबर 2025 को प्रातः 10=30 बजे प्रथम सत्र में राष्ट्रीय संगोष्ठी भारत रत्न अटलजी एवं महामना मालवीय जी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर होगी। 

द्वितीय सत्र में राष्ट्रीय देव चेतना महासंघ के सहयोग से राष्ट्रीय संगोष्ठी भगवान श्री देवनारायण जीःभारतीय ज्ञान परम्परा और संस्कृति विषय पर होगी। समापन सत्र दोपहर 3 बजे से  संत श्री कबीरदास जी के भजन एवं श्रेष्ठ प्रतिभा अभिनंदन तथा अटल  एवं महामना साहित्य सेवा  सम्मान से देश के 50 साहित्यकारों को सम्मानित किया जावेगा।

समारोह में मार्गदर्शक अतिथि एवं वक्ता डॉ.श्रीकृष्ण जुगनू(उदयपुर) श्री निर्मल मेहता मुम्बई, डॉ. जवाहर कर्नावट भोपाल डॉ. शैलेन्द्रकुमार शर्मा उज्जैन, श्री ब्रजकिशोर शर्मा उज्जैन, डॉ. पूरण सहगल(मनासा) मंदसौर श्री कालूलाल गुर्जर पूर्व केबिनेट मंत्री भीलवाडा श्री मोहनलाल वर्मा जयपुर डॉ. अमिता दुबे लखनऊ, श्रीमती माया मेहता मुम्बई, डॉ. आर.सी. ठाकुर महिदपुर, डॉ. अशोक कुमार भार्गव भोपाल, श्री हरेराम वाजपेयी इंदौर श्री वरूण गुप्ता एवं श्री अरविन्द जैन उज्जैन, डॉ फूलसिंह गुर्जर झालावाड, श्री पदमचंद गांधी जयपुर, डॉ अनसूया अग्रवाल महासमुंद डॉ मुक्ता कौशिक एवं डॉ जया सिंह रायपुर रोशनी किरण मुम्बई, डॉ. अविनाश आचार्य दिल्ली, श्री यशवंत भण्डारी झाबुआ, डॉ अरूणा शुक्ला नांदेड़, डॉ अनवर शेख पुणे, डॉ पिलकेंद्र अरोरा डॉ अविनाश शर्मा जयपुर सुंदर लाल जोशी नागदा आदि को आमंत्रित किया गया है।

Comments

मध्यप्रदेश समाचार

देश समाचार

Popular posts from this blog

खाटू नरेश श्री श्याम बाबा की पूरी कहानी | Khatu Shyam ji | Jai Shree Shyam | Veer Barbarik Katha |

संक्षेप में श्री मोरवीनंदन श्री श्याम देव कथा ( स्कंद्पुराणोक्त - श्री वेद व्यास जी द्वारा विरचित) !! !! जय जय मोरवीनंदन, जय श्री श्याम !! !! !! खाटू वाले बाबा, जय श्री श्याम !! 'श्री मोरवीनंदन खाटू श्याम चरित्र'' एवं हम सभी श्याम प्रेमियों ' का कर्तव्य है कि श्री श्याम प्रभु खाटूवाले की सुकीर्ति एवं यश का गायन भावों के माध्यम से सभी श्री श्याम प्रेमियों के लिए करते रहे, एवं श्री मोरवीनंदन बाबा श्याम की वह शास्त्र सम्मत दिव्यकथा एवं चरित्र सभी श्री श्याम प्रेमियों तक पहुंचे, जिसे स्वयं श्री वेद व्यास जी ने स्कन्द पुराण के "माहेश्वर खंड के अंतर्गत द्वितीय उपखंड 'कौमारिक खंड'" में सुविस्तार पूर्वक बहुत ही आलौकिक ढंग से वर्णन किया है... वैसे तो, आज के इस युग में श्री मोरवीनन्दन श्यामधणी श्री खाटूवाले श्याम बाबा का नाम कौन नहीं जानता होगा... आज केवल भारत में ही नहीं अपितु समूचे विश्व के भारतीय परिवार ने श्री श्याम जी के चमत्कारों को अपने जीवन में प्रत्यक्ष रूप से देख लिया हैं.... आज पुरे भारत के सभी शहरों एवं गावों में श्री श्याम जी से सम्बंधित संस्थाओं...

आधे अधूरे - मोहन राकेश : पाठ और समीक्षाएँ | मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे : मध्यवर्गीय जीवन के बीच स्त्री पुरुष सम्बन्धों का रूपायन

  आधे अधूरे - मोहन राकेश : पीडीएफ और समीक्षाएँ |  Adhe Adhure - Mohan Rakesh : pdf & Reviews मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न नाट्य लेखक और कथाकार मोहन राकेश का जन्म  8 जनवरी 1925 को अमृतसर, पंजाब में  हुआ। उन्होंने  पंजाब विश्वविद्यालय से हिन्दी और अंग्रेज़ी में एम ए उपाधि अर्जित की थी। उनकी नाट्य त्रयी -  आषाढ़ का एक दिन, लहरों के राजहंस और आधे-अधूरे भारतीय नाट्य साहित्य की उपलब्धि के रूप में मान्य हैं।   उनके उपन्यास और  कहानियों में एक निरंतर विकास मिलता है, जिससे वे आधुनिक मनुष्य की नियति के निकट से निकटतर आते गए हैं।  उनकी खूबी यह थी कि वे कथा-शिल्प के महारथी थे और उनकी भाषा में गज़ब का सधाव ही नहीं, एक शास्त्रीय अनुशासन भी है। कहानी से लेकर उपन्यास तक उनकी कथा-भूमि शहरी मध्य वर्ग है। कुछ कहानियों में भारत-विभाजन की पीड़ा बहुत सशक्त रूप में अभिव्यक्त हुई है।  मोहन राकेश की कहानियां नई कहानी को एक अपूर्व देन के रूप में स्वीकार की जाती ...

दुर्गादास राठौड़ : जिण पल दुर्गो जलमियो धन बा मांझल रात - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा

अमरवीर दुर्गादास राठौड़ : जिण पल दुर्गो जलमियो धन बा मांझल रात। - प्रो शैलेन्द्रकुमार शर्मा माई ऐड़ा पूत जण, जेहड़ा दुरगादास। मार मंडासो थामियो, बिण थम्बा आकास।। आठ पहर चौसठ घड़ी घुड़ले ऊपर वास। सैल अणी हूँ सेंकतो बाटी दुर्गादास।। भारत भूमि के पुण्य प्रतापी वीरों में दुर्गादास राठौड़ (13 अगस्त 1638 – 22 नवम्बर 1718)  के नाम-रूप का स्मरण आते ही अपूर्व रोमांच भर आता है। भारतीय इतिहास का एक ऐसा अमर वीर, जो स्वदेशाभिमान और स्वाधीनता का पर्याय है, जो प्रलोभन और पलायन से परे प्रतिकार और उत्सर्ग को अपने जीवन की सार्थकता मानता है। दुर्गादास राठौड़ सही अर्थों में राष्ट्र परायणता के पूरे इतिहास में अनन्य, अनोखे हैं। इसीलिए लोक कण्ठ पर यह बार बार दोहराया जाता है कि हे माताओ! तुम्हारी कोख से दुर्गादास जैसा पुत्र जन्मे, जिसने अकेले बिना खम्भों के मात्र अपनी पगड़ी की गेंडुरी (बोझ उठाने के लिए सिर पर रखी जाने वाली गोल गद्देदार वस्तु) पर आकाश को अपने सिर पर थाम लिया था। या फिर लोक उस दुर्गादास को याद करता है, जो राजमहलों में नहीं,  वरन् आठों पहर और चौंसठ घड़ी घोड़े पर वास करता है और उस पर ही बैठकर बाट...