पर्यावरण संरक्षण, आत्मनिर्भरता और युवा प्रेरणा का अनूठा संदेश
उज्जैन। पंडित जवाहरलाल नेहरू व्यवसाय प्रबंध संस्थान, सम्राट विक्रमादित्य विश्वविद्यालय उज्जैन में आयोजित पर्यावरण प्रसंग कार्यक्रम में मोटिवेशनल वक्ता एवं सुपर साइकिलिस्ट हीरो रियाजउद्दीन ने छात्रों को प्रेरक व्याख्यान दिया। बढ़ते रिकॉर्ड तोड़ एक्यूआई लेवल के बीच उन्होंने बताया कि साइकिल केवल एक वाहन नहीं बल्कि आत्मनिर्भरता, आत्मविश्वास और इको-फ्रेंडली जीवन शैली का प्रतीक है।
विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित श्री रिजवान उद्दीन, भविष्य निधि आयुक्त एवं चीफ लर्निंग ऑफिसर, दीनदयाल उपाध्याय नेशनल अकैडमी फॉर सोशल सिक्योरिटी, नई दिल्ली, ने अपने कॉलेज समय से लेकर पीएफ कमिश्नर बनने तक का साइकिलिंग सफर साझा किया। निदेशक प्रो. डॉ. धर्मेंद्र मेहता ने उन्हें ‘सादगी भरे प्रखर पर्यावरणीय व्यक्तित्व’ बताते हुए कहा कि उनका जीवन युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणास्रोत है। स्वागत भाषण में प्रो. डॉ. उमा शर्मा ने स्मृतिचिन्ह, श्रीफल एवं अंगवस्त्रम भेंटकर उनका अभिवादन किया और कहा कि आज की दौड़-भाग भरी दुनिया में जहां लोग कार-बाइक पर निर्भर हैं, वहीं रिजवान उद्दीन लगातार लोगों को साइकिलिंग के लिए प्रेरित कर रहे हैं। प्रो. डॉ. शैलेन्द्र शर्मा ने भी उनके ‘साइकिलिंग हीरो’ बनने की यात्रा को अद्भुत बताया।
कार्यक्रम के सूत्रधार प्रो. डॉ. धर्मेंद्र मेहता ने जानकारी दी कि रिजवान उद्दीन हाल ही में जम्मू-कश्मीर से ट्रांसफर होकर दिल्ली के दीनदयाल उपाध्याय नेशनल अकैडमी फॉर सोशल सिक्योरिटी में कार्यरत हैं। उन्होंने 2012 में दिल्ली में पोस्टिंग के दौरान साइकिलिंग शुरू की और रोजाना घर से ऑफिस तक 44 किलोमीटर की दूरी साइकिल से तय करते थे। द्वारका से भीकाजी कामा प्लेस की 35 किलोमीटर दूरी वह प्रतिदिन साइकिल द्वारा पूरी करते थे।
रिजवान उद्दीन ने बताया कि फिटनेस समस्याओं के कारण उनके एक मित्र सुभाष शर्मा की सलाह पर उनका साइकिलिंग सफर शुरू हुआ। अड्डो इंडिया द्वारा आयोजित 200 से 600 किलोमीटर की साइकिलिंग यात्राओं में भाग लेकर उन्होंने 600 किलोमीटर की यात्रा 48 घंटे 49 मिनट में पूरी की, जिसकी अधिकतम रफ्तार 50 किमी/घंटा रही। यह यात्रा दिल्ली से शुरू होकर पंजाब के खन्ना और लुधियाना में समाप्त हुई, जिसे उन्होंने हाइब्रिड साइकिल से पूरा किया। वह बीएसएफ जवानों को मोटिवेट करने के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण के लिए भी लोगों को जागरूक करते हैं। साइकिलिंग से जीती पुरस्कार राशि से वे जरूरतमंदों को मुफ्त साइकिल भी देते हैं। उन्होंने हेलमेट के महत्व, लेफ्ट साइड साइकिलिंग और अच्छी सड़कों के चयन की आवश्यकता पर विशेष जोर दिया। बड़े शहरों में रैश ड्राइविंग को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को अधिक सतर्क होने की जरूरत पर भी उन्होंने बल दिया।
पर्यावरणविद प्रो. डॉ. डी. एम. कुमावत ने दिल्ली में बढ़ते एक्यूआई स्तर को गंभीर खतरा बताते हुए कहा कि प्रदूषण से बचाव में साइकिलिंग अत्यंत मददगार हो सकती है। प्रो. डॉ. धर्मेंद्र मेहता ने यह भी बताया कि रिजवान उद्दीन न केवल एक उत्कृष्ट साइकिलिस्ट हैं, बल्कि एक कुशल कुक और बेहतरीन कवि भी हैं, जो अपनी कविताओं के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण का संदेश देते हैं। उन्होंने सम्राट विक्रमादित्य विश्वविद्यालय के सैटरडे नो-व्हीकल संकल्प की भी सराहना की।
आईक्यूएसी निदेशक डॉ. डी. डी. बेदिया ने कार्यक्रम में उपस्थित सभी का सामूहिक आभार व्यक्त किया। प्रो. डॉ. एस. के. मिश्रा, विद्यार्थी कल्याण संकाय अध्यक्ष, एवं प्रो. डॉ. धर्मेंद्र मेहता ने इस प्रेरक साइकिलिंग स्टोरी को संयुक्त राष्ट्र के संपोषणीय विकास लक्ष्यों (SDGs) से जोड़ते हुए कहा कि साइकिलिंग को बढ़ावा देना आज की नितांत आवश्यकता है और इस दिशा में सम्राट विक्रमादित्य विश्वविद्यालय की अग्रणी भूमिका उल्लेखनीय है।
कैंपस विजिट के दौरान रिजवान उद्दीन ने विद्यार्थियों के साथ जीवंत एवं आनंददायी संवाद किया, जिससे पूरे परिसर में प्रेरणा और पर्यावरण चेतना का वातावरण बना रहा।




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