वंदे मातरम् केवल गीत नहीं, भारत की आत्मा है” — प्रो. सी.सी. त्रिपाठी
वंदे मातरम्’ राष्ट्रभक्ति और संकल्प का जीवंत प्रतीक — प्रो. सी.सी. त्रिपाठी
वंदे मातरम्” ने भारत को जोड़ा और राष्ट्रभाव को प्रज्वलित रखा — प्रो. सी.सी. त्रिपाठी
भोपाल। एनआईटीटीटीआर भोपाल में आज राष्ट्रगीत “वंदे मातरम्” की रचना के 150 वर्ष पूरे होने पर भव्य आयोजन किया गया।
संस्थान के निदेशक प्रो. सी.सी. त्रिपाठी ने अपने भावनात्मक उद्बोधन में कहा कि यह गीत, जिसे बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय ने 1875 में लिखा था यह केवल एक गीत नहीं, बल्कि भारत की आत्मा और स्वतंत्रता संग्राम की प्रेरणा है । कार्यक्रम के दौरान उन्होंने विद्यार्थियों और कर्मियों को इस गीत के ऐतिहासिक महत्व और इसके माध्यम से देशप्रेम की भावना को सशक्त करने का संदेश दिया।
उन्होंने कहा कि, "वंदेमातरम"— यह शब्द मात्र नहीं, एक मंत्र है, एक अद्वितीय ऊर्जा है, एक संकल्प है, और राष्ट्र के प्रति गहरी निष्ठा का प्रतीक है। यह शब्द हमारे इतिहास, हमारी संस्कृति और हमारी आत्मा से जुड़ा हुआ है। आप सभी को वन्देमातरम के 150 गौरवशाली वर्षों के इस ऐतिहासिक अवसर पर सभी को हार्दिक बधाई ।
कार्यक्रम में संकाय सदस्यों, अधिकारियों, कर्मचारियों एवं विद्यार्थियों ने एक स्वर में “वंदे मातरम्” का सामूहिक गान कर माँ भारती को नमन किया। पूरे निटर परिसर में आज राष्ट्रभक्ति और गौरव का वातावरण परिलक्षित हुआ।



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