प्रतिवर्ष आंवला नवमी का त्योहार दीपावली के बाद कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को बड़े उत्साह से मनाया जाता है। आंवला नवमी को अक्षय नवमी भी कहा जाता है। अक्षय नवमी कूष्मांडा नवमी के नाम से भी जानी जाती है। आंवले का पर्यायवाची शब्द धात्री होता है इस आधार पर इसे धात्री नवमी भी कहते हैं।
धात्री का अर्थ है धारण करने वाली
, माता, धाय मां। आंवला धात्री के समान शारीरिक स्वास्थ्य के लिए पोषण दायक होता है इस दिन आंवले के वृक्ष की पूजन कर परिवार की आरोग्यता और समृद्धि की कामना की जाती है। आयुर्वेद के अनुसार आंवला मधुर विपाक शीत वीर्य वाला होता है। आंवला गुण में गुरु भारीपन शीतलता प्रदायक होता है आंवले में पंच रस नमक छोड़कर के पांचों रस होते हैं। आंवला त्रिदोषहर अर्थात यह तीनों दोषों को संतुलित करने का कार्य करता है।"
आयुर्वेद के अनुसार वात , पित्त, कफ ये तीन दोष होते हैं।
आयुर्वेद विशेषज्ञ की देखरेख में वात दोष के असंतुलन में एक चम्मच आंवला चूर्ण में दो चम्मच तिल का तेल मिलाकर, पित्त दोष विकृति में एक चम्मच सूखे आंवले के पाउडर चूर्ण में एक चम्मच घी मिलाकर उसके बाद एक गिलास गर्म पानी पीएं। क्योंकि घी और आंवला दोनों ही पित्त को संतुलित करने का कार्य करते हैं। कफ दोष की विकृति में जैसे मोटापा श्वास संबंधी रोग में शहद के साथ आंवले का चूर्ण ले सकते हैं।
अमृता फलिनी वृक्षा अमृतं चैव तत्फलम् ।
आंवला के वृक्ष का फल अमृत के समान फल दायक होता है।
यह नेत्रों के स्वास्थ्य के लिए, असमय होने वाले बालों के पकने से रोकने के लिए, वजन घटाने वजन बढ़ाने, त्वचा रोगों में, शक्ति के लिए, मूत्र रोगों, स्त्री रोगों, को दूर करने वाला होता है। बढ़ती हुई मधुमेह के रोग में अष्टांग हृदयकार वागभट्ट के अनुसार निशाआमलकी चूर्ण अत्यंत प्रभावित होता है। मधुमेह जनित रेटिनोपैथी ,न्यूरोपैथी रोकने मधुमेह रोग संबंधी औषधियों के घटक द्रव्यों मेंआंवला महत्वपूर्ण घटक होता है। पंचकर्म अंतर्गत होने वाली शिरोधारा आंवला साधित होने पर रोगानुसार उपयोगी होती है।
चरक संहिता में रसायन अध्याय अंतर्गत प्रथम ब्रह्म रसायन ,द्वितीय ब्रह्म रसायन , च्यवनप्राश, केवल आमलक योग के सेवन करने से इंद्रियों में बल,मेधाकी वृद्धि, दीर्घ आयु होती है। आंवले में विटामिन सी अधिक मात्रा में (फल के कल्क में 720 एमजी और स्वरस में 921 एमजी प्रति 100 ग्राम) पाया जाता है। कैल्शियम गैलिक एसिड टैनिक एसिड ,एल्बुमिन ,सेलुलोज का प्रमुख स्रोत है। पौराणिक मान्यता के अनुसार कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमी से लेकर पूर्णिमा तक भगवान विष्णु आंवले के पेड़ पर निवास करते हैं। भगवान विष्णु का सबसे प्रिय फल आंवला है आंवले के वृक्ष में सभी देवी देवताओं का निवास होने से इसकी पूजा का विशेष प्रचलन है। आंवले के वृक्ष कीआंवला नवमी तिथि पर पूजन करने से दान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है इस धात्री वृक्ष के नीचे पूर्वाभिमुख बैठकर ओम धात्र्य नमः मंत्र से पूजन करना चाहिए।
डॉ जितेंद्र जैन
आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी
शासकीय
आयुर्वेद औषधालय करोहन
जिला उज्जैन मध्य प्रदेश
डॉ प्रकाश जोशी
प्रोफेसर
शासकीय धन्वंतरि आयुर्वेद चिकित्सा महाविद्यालय उज्जैन मध्य प्रदेश

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