महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू का केरल के पाला सेंट थॉमस महाविद्यालय में ऐतिहासिक आगमन, हीरक जयंती समारोह में उद्बोधन होगा
उज्जैन। केरल के कोट्टयम जिले में स्थित पाला के सेंट थॉमस महाविद्यालय (स्वायत्त) के हीरक जयंती वर्ष के समापन समारोह में 23 अक्टूबर 2025 को भारत की माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू का ऐतिहासिक आगमन होगा। यह सम्पूर्ण भारत के उच्च शिक्षा जगत के लिए एक अविस्मरणीय और गौरवपूर्ण क्षण बन गया है।
शिक्षा, संस्कार और सेवा का संगम माने जाने वाले इस प्रतिष्ठित संस्थान की पचहत्तर वर्ष की गौरवगाथा में राष्ट्रपति जी का सान्निध्य एक स्वर्णिम अध्याय के रूप में अविस्मरणीय सिद्ध होगा। सम्राट विक्रमादित्य विश्वविद्यालय, उज्जैन के हिंदी विभाग और नगर के साहित्यकारों का इस महाविद्यालय के साथ लगभग सात दशक पुराना अकादमिक सम्बन्ध रहा है।
यह जानकारी देते हुए सम्राट विक्रमादित्य विश्वविद्यालय उज्जैन के हिंदी विभागाध्यक्ष एवं कुलानुशासक प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा ने बताया कि सम्राट विक्रमादित्य विश्वविद्यालय और पाला सेंट थॉमस कॉलेज के बीच शैक्षणिक, सांस्कृतिक और भावनात्मक संबंध बहुत पुराना है। इस संबंध की शुरुआत 1956 में तब हुई थी, जब इस विश्वविद्यालय के भूतपूर्व कुलपति एवं हिन्दी के प्रख्यात आलोचक आचार्य नन्ददुलारे वाजपेयी ने पाला सेंट थॉमस महाविद्यालय में जाकर व्याख्यान दिए थे। इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए महाविद्यालय के भूतपूर्व आचार्य डॉ. एन. आर. एलेडम ने आचार्य वाजपेयी के निर्देशन में सागर विश्वविद्यालय से पीएच.डी. की उपाधि प्राप्त की थी।
विक्रम विश्वविद्यालय की हिंदी अध्ययनशाला के अध्यक्ष एवं कुलानुशासक प्रो. शैलेंद्रकुमार शर्मा को अनेक बार पाला सेंट थॉमस महाविद्यालय में आमंत्रित किया गया, जहाँ उन्होंने अनेक प्रभावशाली व्याख्यान दिए। उनका इस महाविद्यालय के सभी प्राध्यापकों से आत्मीय संबंध आज भी उसी ऊष्मा के साथ विद्यमान है।
उज्जैन से जुड़ा एक और गौरवपूर्ण सूत्र
सेंट थॉमस महाविद्यालय के हिन्दी विभाग के सहायक आचार्य एवं शोध निर्देशक डॉ. अनीश सिरियक ने बताया कि उज्जैन धर्मप्रांत के अध्यक्ष माननीय बिशप सेबास्ट्यन वडक्केल का जन्म भी पाला, कोट्टयम जिले में हुआ था। हिन्दी के प्रति उनकी गहरी रुचि का कारण भी इस महाविद्यालय से जुड़ा रहा, क्योंकि विभाग के तत्कालीन अध्यक्ष डॉ. पी. एम. थॉमस की प्रेरणा से ही बिशप वडक्केल ने विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन से हिन्दी में एम.ए. की उपाधि प्राप्त की थी।
पाला सेंट थॉमस महाविद्यालय के प्राचार्य एवं अंग्रेजी विभाग अध्यक्ष डॉ सिबी जेंस ने बताया कि “यह हमारे लिए अत्यंत गर्व की बात है कि यह केरल का पहला अवसर है जब किसी कॉलेज में भारत की राष्ट्रपति पधार रही हैं। यह न केवल सेंट थॉमस कॉलेज, बल्कि सम्पूर्ण केरल राज्य के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है।”
सम्राट विक्रमादित्य विश्वविद्यालय, उज्जैन और पाला सेंट थॉमस कॉलेज का संयुक्त आयोजन
इस अकादमिक मैत्री के क्रम को आगे बढ़ाते हुए, 17 फरवरी 2025 को पाला सेंट थॉमस महाविद्यालय (स्वायत्त), भाषा समन्वय वेदी, कालिकट तथा सम्राट विक्रमादित्य विश्वविद्यालय, उज्जैन की हिंदी अध्ययनशाला एवं ललित कला अध्ययनशाला के संयुक्त तत्वावधान में ‘अनुवाद महोत्सव एवं राष्ट्रीय भावात्मक एकता में अनुवाद की भूमिका’ विषय पर एक राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित की गई। इस संगोष्ठी का नेतृत्व विश्वविद्यालय की हिंदी अध्ययनशाला के अध्यक्ष एवं कुलानुशासक प्रो. शैलेंद्रकुमार शर्मा, पाला सेंट थॉमस महाविद्यालय के हिन्दी विभाग के सहायक आचार्य एवं शोध निर्देशक डॉ. अनीश सिरियक और प्रसिद्ध हिन्दी-मलयालम साहित्यकार एवं केरल के प्रसिद्ध साहित्यिक संस्था भाषा समन्वय वेदी के अध्यक्ष डॉ. आरसु ने किया था। संगोष्ठी में कुलगुरु प्रो. अर्पण भारद्वाज, कुलानुशासक प्रो. शैलेंद्रकुमार शर्मा, वरिष्ठ साहित्यकार श्रीराम दवे, प्रो. गीता नायक, डॉ. पुष्पेंद्र दुबे (इंदौर) तथा प्रो. जगदीशचंद्र शर्मा ने विचार प्रस्तुत किए।
उज्जैन और पाला का बौद्धिक सेतु
ज्ञान, अनुसंधान और संस्कृति के इस सतत संवाद ने उज्जैन और पाला — दोनों को एक साझा धारा में जोड़ दिया है। विक्रम विश्वविद्यालय और सेंट थॉमस महाविद्यालय का यह सात दशक पुराना संबंध आज भी जीवंत है और नयी पीढ़ी के शोधार्थियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बना हुआ है।
महामहिम राष्ट्रपति जी श्रीमती द्रौपदी मुर्मू द्वारा पाला सेंट थॉमस महाविद्यालय के हीरक जयंती समारोह में आतिथ्य के लिए साहित्यकार प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा, प्रो जगदीश चंद्र शर्मा, साहित्यकार श्रीराम दवे, डॉ प्रभु चौधरी, श्री संतोष सुपेकर, डॉ हरीशकुमार सिंह, डॉ मोहन बैरागी आदि ने हर्ष व्यक्त कर बधाई दी है।
केरल में हिन्दी शोध का अग्रणी केंद्र
सन् 1971 में जब केरल विश्वविद्यालय ने पाला सेंट थॉमस महाविद्यालय के हिन्दी विभाग को अनुमोदित शोध केंद्र के रूप में स्वीकृति दी, तब केरल के किसी भी निजी संस्थान में अनुसंधान की सुविधा उपलब्ध नहीं थी। यह महाविद्यालय तब से ही केरल में हिन्दी अनुसंधान का केन्द्र बन गया। इस शोध केन्द्र से अब तक सौ से अधिक शोधार्थियों ने पीएचडी की उपाधि प्राप्त की है और वे केरल के विभिन्न विश्वविद्यालयों में अध्यापन कर रहे हैं। विभाग की शोध पत्रिका ‘शोध क्षितिज’ ने न केवल दक्षिण भारत बल्कि उत्तर भारत में भी अपनी विशिष्ट पहचान बनाई। पत्रिका की सलाहकार समिति में सम्राट विक्रमादित्य विश्वविद्यालय उज्जैन के भूतपूर्व विभागाध्यक्ष डॉ. हरिमोहन बुधौलिया, सागर विश्वविद्यालय के डॉ. प्रेमशंकर, दिल्ली के डॉ. रघुवीरशरण व्यथित, कोचिन विश्वविद्यालय के डॉ. एन. ई. विश्वनाथ अय्यर तथा केन्द्रीय हिन्दी संस्थान, आगरा के डॉ. टी. के. नारायण पिल्लै जैसी विभूतियाँ सम्मिलित थीं।
पूर्व छात्र और केन्द्रीय मंत्री: पाला सेंट थॉमस महाविद्यालय के गौरव
गौरव और हर्ष के साथ उल्लेखनीय है कि भारत सरकार में राज्य मंत्री श्री जॉर्ज कुरियन इस महाविद्यालय के गौरव भूतपूर्व छात्र हैं। उन्होंने सन् 1983-85 के काल में इसी महाविद्यालय के हिन्दी विभाग से एम.ए. की उपाधि प्राप्त की थी। वर्तमान में वे मोदी मंत्रालय के तीसरे कार्यकाल में मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी तथा अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय में राज्य मंत्री के रूप में कार्यरत हैं। उनकी यह उपलब्धि पाला सेंट थॉमस महाविद्यालय के लिए ही नहीं, बल्कि सम्पूर्ण केरल के हिन्दी अकादमिक समुदाय के लिए भी अत्यंत प्रेरणादायक है। इसी क्रम में यह भी गौरव का विषय है कि सेंट थॉमस महाविद्यालय के पूर्व प्राध्यापक प्रोफेसर के. एम. चांडी ने अपने विशिष्ट नेतृत्व और प्रशासनिक दक्षता से देश की सेवा की। वे 30 दिसम्बर 1987 से 30 मार्च 1989 तक मध्यप्रदेश राज्य के आठवें राज्यपाल रहे।
महाविद्यालय की गौरवगाथा
सेंट थॉमस महाविद्यालय के हिन्दी विभाग के सहायक आचार्य एवं शोध निर्देशक डॉ. अनीश सिरियक ने बताया कि 1950 में स्थापित यह महाविद्यालय आज NAAC से A++ ग्रेड प्राप्त करने वाला और स्वायत्त दर्जा पाने वाला अग्रणी संस्थान है। 12 फरवरी 1976 को प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने रजत जयंती समारोह का उद्घाटन किया था, जबकि स्वर्ण जयंती वर्ष 2000 में मेघालय के राज्यपाल एम.एम. जैकब एवं केंद्रीय मंत्री ओ. राजगोपाल मुख्य अतिथि रहे सन् 2012 में सेंट थॉमस महाविद्यालय के 62वें स्थापना दिवस समारोह के अवसर पर भारत के भूतपूर्व राष्ट्रपति, भारत रत्न डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम विशिष्ट अतिथि के रूप में महाविद्यालय पधारे थे। उनकी प्रेरणादायी उपस्थिति ने उस ऐतिहासिक दिवस को अविस्मरणीय बना दिया और विद्यार्थियों में विज्ञान, शिक्षा तथा राष्ट्रनिर्माण के प्रति नई चेतना का संचार किया। अब, हीरक जयंती वर्ष 2025 में, भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू के आगमन ने इस संस्थान के इतिहास में नया स्वर्णिम अध्याय जोड़ दिया है।
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