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शिक्षाविद एवं साहित्यकारों को संत ज्ञानेश्वर श्रेष्ठ शिक्षक एवं साहित्य सम्मान से सम्मानित किया गया अंतरराष्ट्रीय शिक्षक दिवस पर

देवनागरी लिपि अत्यंत वैज्ञानिक लिपि है – प्रो उपाध्याय

विभिन्न भाषाओं की ध्वनियों के साथ अक्षरों के सुमेल के कारण नागरी है विश्व लिपि - प्रो शर्मा

अन्तरराष्ट्रीय संचेतना साहित्य महोत्सव के समापन दिवस पर हुआ देवनागरी लिपि : विश्व में व्याप्ति और संभावनाएँ पर अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी एवं सम्मान समारोह का आयोजन

राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना उज्जैन द्वारा नागरी लिपि परिषद, नई दिल्ली एवं मराठा मंदिर, साहित्य शाखा, मुंबई के सहयोग से आयोजित समारोह के अवसर पर देवनागरी लिपिः विश्व में व्याप्ति विस्तार और संभावनाएँ, विषय पर अन्तरराष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित की गई। विश्व शिक्षक दिवस के अवसर पर यह आयोजन शिक्षाविद एवं साहित्यकारों को संत ज्ञानेश्वर श्रेष्ठ शिक्षक एवं साहित्य सम्मान से सम्मानित किया गया।

समारोह के मुख्य अतिथि प्रो करुणाशंकर उपाध्याय, समारोह के अध्यक्ष डॉ. शैलेन्द्रकुमार शर्मा राष्ट्रीय अध्यक्ष उज्जैन, सारस्वत अतिथि डॉ मीरा सिंह वरिष्ठ कवयित्री यूएसए, श्री सुरेश चंद्र शुक्ल शरद आलोक, नॉर्वे, मराठा मंदिर ट्रस्ट के उपाध्यक्ष श्री दिलीप ए चव्हाण, विशिष्ट अतिथि डॉ. आफताब अनवर शेख प्राचार्य पुणे, रागिनी शाह, मुंबई, डॉ. अलका नाईक राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मुम्बई, डॉ. प्रियंका सोनी कवयित्री राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जलगांव, मुख्य वक्ता डॉ. शाकिर शेख प्रदेश महासचिव पुणे, विशिष्ट वक्ता डॉ सुनीता मंडल, कोलकाता, शेहनाज शेख, नांदेड़ थे। प्रतिवेदन डॉ. प्रभु चौधरी राष्ट्रीय संगठन महामंत्री उज्जैन ने प्रस्तुत किया। स्वागत भाषण श्री निर्मलकुमार मेहता पूर्व वरिष्ठ प्रबंधक मुंबई ने दिया। कार्यक्रम में अतिथियों द्वारा सुरेश चंद्र शुक्ल शरद आलोक के उपन्यास के मराठी अनुवाद मातीचे देव का लोकार्पण किया गया।

प्रो करुणाशंकर उपाध्याय, मुंबई ने कहा कि नागरी लिपि अत्यंत वैज्ञानिक लिपि है। नागरी लिपि की उत्पत्ति से लेकर इसके विकास को लेकर महत्वपूर्ण अनुसंधान हुआ है। जिस तरह सूरज के सात रंग हैं उन्हीं से सप्त स्वरों की उत्पत्ति हुई है।

अध्यक्षता करते हुए कुलानुशासक, सम्राट विक्रमादित्य विश्वविद्यालय उज्जैन डॉ. शैलेन्द्रकुमार शर्मा ने कहा कि विश्व की अधिकांश भाषाओं की ध्वनियों को सम्पूर्णता से व्यक्त करने के लिए देवनागरी लिपि सर्वथा उपयुक्त है। देवनागरी इस देश की अनेक भाषा और बोलियों की स्वाभाविक लिपि है। दुनिया में प्रचलित अन्य लिपियों से देवनागरी की तुलना करने पर स्पष्ट हो जाता है कि यह लिपि सबसे विलक्षण ही नहीं, पूर्णता के निकट है। लिपि के आविष्कारकों की आकांक्षा रही है कि किसी भी भाषा की विभिन्न ध्वनियों के साथ अक्षरों का सुमेल हो। देवनागरी लिपि इस दृष्टि से अधिक वैज्ञानिक और विश्व लिपि है।

विशिष्ट अतिथि डॉ. आफताब अनवर शेख प्राचार्य पुणे ने कहा कि युवा पीढ़ी को हिंदी से जोड़ने के लिए व्यापक प्रयास आवश्यक है। युवाओं को स्वरोजगार और स्किल इंडिया के साथ जोड़कर उनसे भाषा, साहित्य और संस्कृति में योगदान दे सकते हैं।

समाजसेवी श्रीमती रागिनी शाह, मुंबई ने कहा कि सभी गुरुजनों को अपने शिष्य समुदाय को अपनी भाषा से जोड़ना होगा। मूल्यों के प्रति निष्ठा से ही राष्ट्र प्रगति पथ पर अग्रसर हो सकता है।

मराठा मंदिर के उपाध्यक्ष श्री दिलीप चव्हाण मुंबई ने कहा कि देवनागरी लिपि आज दुनिया में सर्वाधिक प्रयोग में आने वाली लिपि बन चुकी है। इसकी व्यापकता को बढ़ाने के लिए प्रयास आवश्यक है। इस लिपि में उच्चारण और लेखन में एकरुपता है। नई तकनीक के साथ इसका विस्तार हो रहा है।

डॉ सुनीता मंडल कोलकाता ने कहा कि हिंदी भाषा और देवनागरी लिपि के क्षेत्र में निरंतर योगदान देने की आवश्यकता है।

कार्यक्रम में सन्त ज्ञानेश्वर श्रेष्ठ शिक्षक सम्मान से डॉ. करुणाशंकर उपाध्याय, मुम्बई, प्रोफेसर उर्वशी पंड्या मुंबई विश्वविद्यालय, डॉ. शैलेन्द्रकुमार शर्मा, उज्जैन, डॉ. आफताब अनवर शेख, पुणे, डॉ. प्रभु चौधरी, उज्जैन, श्रीमती सुवर्णा जाधव, पुणे, डॉ. शहेनाज शेख, नांदेड़, डॉ. सुशीला पाल, मुम्बई आदि को सम्मानित किया गया।

साहित्य एवं संस्कृति के क्षेत्र में योगदान के लिए सन्त ज्ञानेश्वर सम्मान सुरेश चंद्र शुक्ल शरद आलोक, नॉर्वे, डॉ मीरा सिंह, यूएसए, डॉ. मुक्ता कौशिक, रायपुर, श्रीमती कविता राजपूत, मुम्बई, श्रीमती रोशनी किरण, मुम्बई, डॉ. शाकिर शेख, पुणे, श्री निर्मलकुमार मेहता, मुम्बई, डॉ. प्रियंका सोनी प्रीत, जलगांव, डॉ. बालासाहेब तोरस्कर, ठाणे, डॉ. सुनीता मंडल, कोलकाता, श्रीमती रागिनी शाह, मुम्बई, डॉ. अरुणा राजेन्द्र शुक्ला, नांदेड़, श्री अविनाश शर्मा, जयपुर, श्री विलासराव भाऊराव देशमुख, मुम्बई, श्री दिलीप अर्जुन चव्हाण, मुम्बई, डॉ. नितीन श्रीकृष्ण विचारे, मुम्बई, डॉ रंजना दुबे मुम्बई, सौ. सुवर्णा योगेश पवार, मुम्बई, डॉ. निवेदिता किशोर देशमुख, मुम्बई, डॉ. अलका नाईक मुम्बई, पल्लवी रानी मुम्बई, श्रीमती संगीता तिवारी, मुम्बई, श्री एजाजोद्दीन कविरोद्दीन शेख, चापड़ा, श्री संतोष भगवान सुरंडकर, संभाजीनगर, डॉ. सुशील श्रीवास्तव 'सागर' सिद्धार्थ नगर, श्री सुंदरलाल मालवीय उज्जैन, श्रीमती मंजू बृजमोहन सराठे, कल्याण, श्रीमती अनिता चौधरी, जलगांव, डॉ. सुषमा कोंडे पुणे, सौ. माधुरी फालक, कल्याण, श्रीमती माया मेहता, मुम्बई, डॉ. संतोष गर्ग, अयोध्या, डॉ. अवंतिका शर्मा, रायपुर, श्री प्रभु हरिहरराव अग्रहारकर, मुम्बई, सुमंगला सुमन मुम्बई, डॉ दीपिका सुतोदिया, गुवाहाटी, डॉ वीणा खाडिलकर मुम्बई, ख. र. माळवे, मुम्बई, शशीकांत सावंत, डोंबीवली, पल्लवी रानी मुम्बई, संतोष तावडे ठाणे, विलास देवळेकर, मुंबई, रेवती आळवे मुंबई, डॉ. रंजना दुबे, मुम्बई, डॉ. तबस्सुम खान, मुम्बई, रूपाली गर्ग, मुम्बई, एड. विलास ल. राऊत मुम्बई, श्रीमती श्वेता मिश्रा, बेंगलूर, डॉ. जितेन्द्रकुमार तिवारी, मुम्बई, श्रीमती अनीता यादव, मुम्बई, श्रीमती अनीता दुबे मुम्बई, श्रीमती सीमा दुबे, गाजियाबाद कुसुम तिवारी मुम्बई, डॉ अलका नाईक, मुम्बई, श्रीमती मंजु सराठे, कल्याण, रोशनी किरण, मुंबई, नितू पांडे क्रांति, मुम्बई, लक्ष्मी यादव मुम्बई, डॉ उषा रानी, गुजरात, पल्लवी रानी, कल्याण मुम्बई, रेवती आलवे, मुंबई, अल्पना दीक्षित, मुम्बई, सीमा दुबे, गाजियाबाद, सुशील सागर, उत्तर प्रदेश, गीता श्री नाईक मुम्बई, मेरुप्रभा मिश्रा लखनऊ, डॉ बाबासाहेब शेख पुणे, डॉ सुशीला पाल, मुंबई, सुमंगला सुमन, डॉ मीना, सुधा शर्मा, मेरठ आदि को अर्पित किया गया।

कार्यक्रम में डॉ विनीता सहाय मुंबई, डॉ वेद प्रकाश दुबे मुंबई, योगेश पालीवाल मुंबई, राजेश विक्रांत मुंबई, डॉ जीत सिंह चौहान, अमित मेहता, अल्पना मेहता मुंबई, अरालिका शर्मा मुंबई आदि को उनके विशिष्ट योगदान के लिए सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम में देश विदेश के कवियों द्वारा काव्य पाठ किया गया। सुंदरलाल मालवीय ने कबीर और निर्गुणी गीतों का गायन किया। प्रारम्भ में अतिथियों द्वारा वाग्देवी, बाबासाहेब गावड़े के चित्र और छत्रपति शिवाजी की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की। स्वागत भाषण डॉ मेरुप्रभा मिश्रा मुंबई ने दिया।

संचालन श्रीमती माया मेहता मुंबई अध्यक्ष आयोजन समिति एवं कवयित्री श्रीमती श्वेता मिश्रा ने किया। आभार संगठन महामंत्री डॉ प्रभु चौधरी एवं डॉ. बालासाहेब तोरस्कर अध्यक्ष प्रदेश महाराष्ट्र ने माना।

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