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शरद पूर्णिमा की चाँदनी रात में अमृत वर्षा के साथ ही दमा रोग की चिकित्सा की गई

शरद पूर्णिमा के पावन अवसर पर डॉ. प्रकाश जोशी एवं समस्त आयुर्वेद महाविद्यालय के विद्यार्थियों के संयुक्त तत्वावधान में 28वां शरद पूर्णिमा आयुर्वेदिक स्वास्थ्य शिविर का आयोजन इंद्रा नगर उज्जैन में किया गया। इस अवसर पर 800 से अधिक लोगों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।

कैंप में दमा (Asthma) तथा अन्य श्वसन संबंधित रोगों के लिए विशेष औषधियाँ निःशुल्क प्रदान की गईं। रोगियों को आयुर्वेद सिद्धांतों के अनुसार ऋतु एवं प्रकृति के अनुरूप जीवनशैली अपनाने के लिए प्रेरित किया गया। साथ ही आयुर्वेद के विशेषज्ञों ने व्यक्तिगत परामर्श भी दिया। 

डॉ. प्रकाश जोशी ने बताया कि शरद पूर्णिमा को आयुर्वेद में अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। इस दिन चंद्रमा अपने पूर्ण तेज के साथ धरती पर अमृत तुल्य किरणें बरसाता है, जो शरीर में शीतलता एवं संतुलन प्रदान करती हैं। दमा जैसे रोगों में जहाँ पित्त एवं कफ का असंतुलन प्रमुख कारण होता है, वहीं शरद पूर्णिमा की रात्रि में सेवन की जाने वाली औषधियाँ विशेष रूप से प्रभावी होती हैं। इस दिन तैयार औषधियाँ अधिक शक्तिशाली मानी जाती हैं, क्योंकि चंद्र किरणों का स्पर्श उन्हें शीतल, स्निग्ध एवं पित्तशामक गुण प्रदान करता है।आयुर्वेद के अनुसार इस दिन चंद्रकिरणों में सोमरस (अमृत तत्व) की मात्रा अधिक होती है, जो शरीर, मन और आत्मा — तीनों को संतुलित करता है।  

इस रात औषधि युक्त खीर वितरित की गई की तथा  प्रात: ६ बजे से कर्णवेधन चिकित्सा का लाभ भी रोगियों को प्राप्त हुआ चिकित्सा शिविर को सफल बनाने के लिए वरिष्ठ चिकित्सक डॉ योगेश वाणे,डॉ निरंजन  तथा आयुर्वेद महाविद्यालय के छात्र-छात्राएँ एवं शिविर सह संयोजक लक्की राय, हरिओम राय, वीरेन्द्र परिहार एड्., समाजसेवी, ललित नागर, देवेन्द्र मेहता, अवनिश नागर, यदुबंसल एवं गोल्डी कपूर व इंदिरा नगर वासियों ने इस चिकित्सा शिविर को सफल बनाने में मह्त्वपूर्ण भूमिका दी ।


अंत में, आयोजकों ने कहा कि इस प्रकार के शिविर न केवल रोग निवारण में सहायक हैं, बल्कि आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति के प्रति जनजागृति भी बढ़ाते हैं।








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