Skip to main content

भा. कृ. अ. प-केंद्रीय कृषि अभियांत्रिकी संस्थान भोपाल द्वारा “प्याज का वैज्ञानिक भंडारण व मॉड्यूलर प्याज भंडारण प्रणाली का प्रदर्शन” विषय पर एक दिवसीय कृषक प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन


🙏 द्वारा, राधेश्याम चौऋषिया 🙏 

भोपाल। केंद्रीय कृषि अभियांत्रिकी संस्थान द्वारा मॉड्यूलर प्याज भंडारण प्रणाली के प्रदर्शन के ऊपर शनिवार, 11 अक्टूबर, 2025 को ग्राम बड़ी चुरलाई, जिला देवास में गुरु गंगदास फॉर्मर प्रोड्यूसर कंपनी के साथ एक दिवसीय कृषक प्रशिक्षण आयोजित किया गया। 

कार्यक्रम में केंद्रीय कृषि अभियांत्रिकी संस्थान के वैज्ञानिक उपस्थित रहे और प्याज के वैज्ञानिक भंडारण के तरीके के बारे में किसानों को अवगत कराया। प्रशिक्षण में लगभग 100 किसान उपस्थित रहे। कार्यक्रम के दौरान डॉ. आदिनाथ काटे ने सी .आई. ए. ई .मॉड्यूलर प्याज भंडारण प्रणाली के बारे में बताया। डॉ. एस मंगराज, प्रभाद्यक्ष कृषि उत्पाद प्रशंकरण प्रभाग, केंद्रीय कृषि अभियांत्रिकी संस्थान, भोपाल कार्यक्रम के अध्यक्ष रहे। अपने अध्यक्षीय भाषण में उन्होंने प्याज के भंडारण के महत्व बताते हुए जानकारी दी कि, इस तरह की भंडारण प्रणाली किसानों तक पहुँचाना बहुत जरूरी हैं। उन्होंने यह भी बताया कि, वर्तमान में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डॉ. एम. एल. जाट जी का यह निर्देश है कि, मांग संचालित किसान केंद्रित अनुसंधान ही हो और वह किसानों तक पहुंचे। 


श्री जगपाल सिंह सिकरवार, चेयरमैन, गुरु गंगदास फॉर्मर प्रोड्यूसर कंपनी कार्यक्रम के प्रमुख अतिथि रहे। अपने व्यक्तव्य में उन्होंने केंद्रीय कृषि अभियांत्रिकी संस्थान द्वारा विकसित मॉड्यूलर प्याज भंडारण प्रणाली की सराहना की और भविष्य में उसे अपनाने पर किसानों को प्रेरित किया। 

कार्यक्रम के अंत में प्याज भंडारण प्रणाली का प्रदर्शन किया गया तथा किसानों से चर्चा विमर्श किया गया। कार्यक्रम के आयोजन में ईं. अभिप्सा खोब्रागडे, ईं. आँचल जैसवाल, ईं. जीवन ज्योत सिंग, वरिष्ठ अनुसंधान अध्येता इन्होंने सहयोग किया।

Comments

मध्यप्रदेश समाचार

देश समाचार

Popular posts from this blog

खाटू नरेश श्री श्याम बाबा की पूरी कहानी | Khatu Shyam ji | Jai Shree Shyam | Veer Barbarik Katha |

संक्षेप में श्री मोरवीनंदन श्री श्याम देव कथा ( स्कंद्पुराणोक्त - श्री वेद व्यास जी द्वारा विरचित) !! !! जय जय मोरवीनंदन, जय श्री श्याम !! !! !! खाटू वाले बाबा, जय श्री श्याम !! 'श्री मोरवीनंदन खाटू श्याम चरित्र'' एवं हम सभी श्याम प्रेमियों ' का कर्तव्य है कि श्री श्याम प्रभु खाटूवाले की सुकीर्ति एवं यश का गायन भावों के माध्यम से सभी श्री श्याम प्रेमियों के लिए करते रहे, एवं श्री मोरवीनंदन बाबा श्याम की वह शास्त्र सम्मत दिव्यकथा एवं चरित्र सभी श्री श्याम प्रेमियों तक पहुंचे, जिसे स्वयं श्री वेद व्यास जी ने स्कन्द पुराण के "माहेश्वर खंड के अंतर्गत द्वितीय उपखंड 'कौमारिक खंड'" में सुविस्तार पूर्वक बहुत ही आलौकिक ढंग से वर्णन किया है... वैसे तो, आज के इस युग में श्री मोरवीनन्दन श्यामधणी श्री खाटूवाले श्याम बाबा का नाम कौन नहीं जानता होगा... आज केवल भारत में ही नहीं अपितु समूचे विश्व के भारतीय परिवार ने श्री श्याम जी के चमत्कारों को अपने जीवन में प्रत्यक्ष रूप से देख लिया हैं.... आज पुरे भारत के सभी शहरों एवं गावों में श्री श्याम जी से सम्बंधित संस्थाओं...

आधे अधूरे - मोहन राकेश : पाठ और समीक्षाएँ | मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे : मध्यवर्गीय जीवन के बीच स्त्री पुरुष सम्बन्धों का रूपायन

  आधे अधूरे - मोहन राकेश : पीडीएफ और समीक्षाएँ |  Adhe Adhure - Mohan Rakesh : pdf & Reviews मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न नाट्य लेखक और कथाकार मोहन राकेश का जन्म  8 जनवरी 1925 को अमृतसर, पंजाब में  हुआ। उन्होंने  पंजाब विश्वविद्यालय से हिन्दी और अंग्रेज़ी में एम ए उपाधि अर्जित की थी। उनकी नाट्य त्रयी -  आषाढ़ का एक दिन, लहरों के राजहंस और आधे-अधूरे भारतीय नाट्य साहित्य की उपलब्धि के रूप में मान्य हैं।   उनके उपन्यास और  कहानियों में एक निरंतर विकास मिलता है, जिससे वे आधुनिक मनुष्य की नियति के निकट से निकटतर आते गए हैं।  उनकी खूबी यह थी कि वे कथा-शिल्प के महारथी थे और उनकी भाषा में गज़ब का सधाव ही नहीं, एक शास्त्रीय अनुशासन भी है। कहानी से लेकर उपन्यास तक उनकी कथा-भूमि शहरी मध्य वर्ग है। कुछ कहानियों में भारत-विभाजन की पीड़ा बहुत सशक्त रूप में अभिव्यक्त हुई है।  मोहन राकेश की कहानियां नई कहानी को एक अपूर्व देन के रूप में स्वीकार की जाती ...

दुर्गादास राठौड़ : जिण पल दुर्गो जलमियो धन बा मांझल रात - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा

अमरवीर दुर्गादास राठौड़ : जिण पल दुर्गो जलमियो धन बा मांझल रात। - प्रो शैलेन्द्रकुमार शर्मा माई ऐड़ा पूत जण, जेहड़ा दुरगादास। मार मंडासो थामियो, बिण थम्बा आकास।। आठ पहर चौसठ घड़ी घुड़ले ऊपर वास। सैल अणी हूँ सेंकतो बाटी दुर्गादास।। भारत भूमि के पुण्य प्रतापी वीरों में दुर्गादास राठौड़ (13 अगस्त 1638 – 22 नवम्बर 1718)  के नाम-रूप का स्मरण आते ही अपूर्व रोमांच भर आता है। भारतीय इतिहास का एक ऐसा अमर वीर, जो स्वदेशाभिमान और स्वाधीनता का पर्याय है, जो प्रलोभन और पलायन से परे प्रतिकार और उत्सर्ग को अपने जीवन की सार्थकता मानता है। दुर्गादास राठौड़ सही अर्थों में राष्ट्र परायणता के पूरे इतिहास में अनन्य, अनोखे हैं। इसीलिए लोक कण्ठ पर यह बार बार दोहराया जाता है कि हे माताओ! तुम्हारी कोख से दुर्गादास जैसा पुत्र जन्मे, जिसने अकेले बिना खम्भों के मात्र अपनी पगड़ी की गेंडुरी (बोझ उठाने के लिए सिर पर रखी जाने वाली गोल गद्देदार वस्तु) पर आकाश को अपने सिर पर थाम लिया था। या फिर लोक उस दुर्गादास को याद करता है, जो राजमहलों में नहीं,  वरन् आठों पहर और चौंसठ घड़ी घोड़े पर वास करता है और उस पर ही बैठकर बाट...