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सुदूर पूर्व अफ्रीका कांगो के युवा उद्यमी का सम्राट विक्रमादित्य विवि में प्रेरक व्याख्यान

प्रसंग: अंतरराष्ट्रीय गरीबी उन्मूलन दिवस - रणनीतिक चुनौतियाँ एवं व्यूह रचना  

गरीबी मुक्त विश्व एक वैश्विक चुनौती - प्रो. भारद्वाज, कुलगुरू

उज्जैन। सम्राट विक्रमादित्य विश्वविद्यालय के पं. जवाहरलाल नेहरू व्यवसाय प्रबंध संस्थान द्वारा अंतरराष्ट्रीय गरीबी उन्मूलन दिवस के अवसर पर “रणनीतिक चुनौतियाँ एवं व्यूह रचना” विषय पर विशेष परिसंवाद का आयोजन किया गया। इस अवसर पर सम्राट विक्रमादित्य विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो. भारद्वाज ने अपने शुभकामना व आशीर्वचन वक्तव्य में कहा कि गरीबी एक वैश्विक चुनौती है, और संयुक्त राष्ट्र के अनुसार आज भी 69 करोड़ से अधिक लोग अत्यधिक आय की गरीबी (प्रति दिन 2.15 डॉलर से कम) में जीवन जी रहे हैं। विश्व की लगभग आधी जनसंख्या प्रतिदिन 6.85 डॉलर से कम पर जीवन यापन कर रही है, जिससे वे स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर में कमी जैसी बहुआयामी समस्याओं का सामना कर रहे हैं। प्रो. भारद्वाज ने कहा कि इस दिशा में संस्थान द्वारा सतत विकास लक्ष्य-1 (SDG-1) के संदर्भ में किया गया यह आयोजन अत्यंत सामयिक, प्रेरक और ज्ञानवर्धक है।

पूर्वी अफ्रीका के उद्यमी इंजी. आशीष मोहिते ने साझा किए जमीनी अनुभव
इस अवसर पर संस्थान के निदेशक एवं फैसिलिटेटर प्रो. डॉ. धर्मेंद्र मेहता ने सुदूर पूर्व अफ्रीकी राष्ट्र डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो की राजधानी किंशासा में कार्यरत भारतीय युवा उद्यमी इंजी. आशीष मोहिते का परिचय देते हुए कहा कि विश्व में लगभग 1.1 अरब लोग तीव्र बहुआयामी गरीबी का सामना कर रहे हैं और आज भी एक बड़ी आबादी असुरक्षित जीवन जीने को मजबूर है।

मुख्य वक्ता इंजी. आशीष मोहिते ने डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो की सामाजिक-आर्थिक स्थिति को प्रस्तुत करते हुए बताया कि वहाँ लगभग 77% आबादी गरीबी रेखा के नीचे जीवनयापन कर रही है। शिक्षा की स्थिति भी चिंताजनक है, क्योंकि देश की साक्षरता दर केवल 77% है और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी के चलते जीवन प्रत्याशा मात्र 60 वर्ष है। उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि जलवायु परिवर्तन का सबसे अधिक प्रभाव गरीब वर्ग पर पड़ता है। दुनिया का सबसे गरीब आधा हिस्सा जहाँ उत्सर्जन में सबसे कम योगदान देता है, वहीं जलवायु संकट से होने वाली आय की हानि का बड़ा भार भी वही वहन करता है। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्य-1 का उल्लेख करते हुए कहा कि “सभी रूपों में और हर जगह गरीबी समाप्त करना” समय की सबसे बड़ी आवश्यकता है, और इसके लिए सभी वर्गों को शामिल करते हुए समावेशी सामाजिक नीतियाँ बनाना अनिवार्य है।

विचार-विमर्श एवं सम्मान समारोह: नीतिगत सुझाव और प्रेरणास्पद थीम
इस कार्यक्रम में शोधार्थी रीता जायसवाल एवं मेहा शर्मा ने वर्ष 2025 के गरीबी उन्मूलन दिवस की थीम प्रस्तुत की: “परिवारों के प्रति सम्मान और प्रभावी समर्थन सुनिश्चित कर सामाजिक एवं संस्थागत दुर्व्यवहार का अंत करना।” इस अवसर पर संस्थान के सेवाभावी कर्मचारी श्री सत्यनारायण मालवीय का सम्मान करते हुए उनका अभिनंदन किया गया।

अंत में डॉ. नयनतारा डामोर एवं गोविंद तोमर ने आभार प्रकट करते हुए एशियाई एवं अफ्रीकी नीति-निर्माताओं से अपील की कि वे गरीबी उन्मूलन कार्यक्रमों, रोजगार सृजन योजनाओं एवं सहायता प्रणालियों को लाभार्थियों की उत्पादकता से जोड़ते हुए अधिक प्रभावी और अनुकूल बनाएं। इस प्रकार यह आयोजन न केवल विचार-विमर्श का मंच बना, बल्कि वैश्विक गरीबी उन्मूलन हेतु ठोस नीतिगत दिशा भी प्रस्तुत करता है।

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