राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना द्वारा श्रेष्ठ शिक्षक सम्मान समारोह सम्पन्न
शिक्षक बनना मानव जीवन का उत्तम कदम है। गुरू बनने के लिए बहुत त्याग करना पड़ता है। गुरू हमारा जीवन बनाता है। समाज में शिक्षक की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। शिक्षक का लक्ष्य विद्यार्थियों को शिक्षा के साथ-साथ संस्कार देने का होना चाहिये। भारत शासन ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति में गुरूकुल पद्धति, मातृभाषा एवं भारतीय भाषाओं को विशेष महत्व प्राप्त हुआ है।
उक्त सारगर्भित उद्बोधन राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना उज्जैन द्वारा राष्ट्रीय शिक्षक दिवस पर श्रेष्ठ शिक्षक सम्मान समारोह गांधी भवन भोपाल में मुख्य वक्ता श्री पदमचंद गांधी जयपुर ने दिये।
समारोह के मुख्य अतिथि श्री महेश सक्सेना, वरिष्ठ बाल साहित्यकार ने अपने वक्तव्य में कहा कि शिक्षको को महान पुरूषो के बचपन की शिक्षा, संस्कार को जानना चाहिये। डॉ. राधाकृष्णन को चलता फिरता शब्दकोष कहा जाता है। शिक्षक बच्चो को महापुरूषो से प्रेरणा की जानकारी देना है। पुस्तके पढ़ने की आदत होना चाहिये। हमारे देश में भारतीय ज्ञान परम्परा आज भी जीवित है।
समारोह की अध्यक्षता राष्ट्रीय संगठन महामंत्री डॉ. प्रभु चौधरी ने की। डॉ. चौधरी ने सम्बोधन में बताया कि शिक्षक होना गर्व की बात है। डॉ. राधाकृष्णन जी ने अपना जन्मदिवस शिक्षको को समर्पित किया है। संगठन समारोह एवं सम्पर्क महत्वपूर्ण होते है। राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना 12 राज्यो के लगभग तीन हजार प्रभावशाली सदस्यो के सहयोग से वर्ष में 6 राष्ट्रीय समारोह करती है। जो स्वयंसेवक के रूप में शिक्षा, साहित्य एवं संस्कृति के लिये दृढ़ संकल्पित है। संस्था सदस्यो के सहयोग तन, मन एवं धन से ही आगे बढ़ रही है। आगामी वर्ष में हमारा लक्ष्य अन्तरराष्ट्रीय संगठन बनाना है। नए सदस्य नवीन सोच एवं नवाचार के साथ आगे बढ़ेंगे।
समारोह का शुभारम्भ अतिथियों ने सरस्वती पूजन व डॉ. राधाकृष्णन के चित्र पर माल्यार्पण से किया। अतिथियों का स्वागत संस्था पदाधिकारियों ने शाल, श्रीफल एवं संस्था का बेज लगाकर किया। स्वागत भाषण संयोजक श्रीमती सरोज दवे ने दिया एवं प्रस्तावना डॉ. प्रभु चौधरी राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष ने शिक्षक संचेतना की स्थापना 2003 से 2025 तक के कार्यक्रमो स्मारिका प्रकाशन पुस्तक प्रकाशन विभीन्न समारोह आदि का संक्षिप्त वर्णन किया ।
समारोह में विशिष्ट वक्ता श्रीमती राजकुमारी चोकसे, डॉ. दीप्ति भटनागर, सुश्री दिव्या दवे, सुश्री मनीषा दवे, श्रीमती मधुलता शर्मा आदि ने भी सम्बोधित किया। श्रेष्ठ शिक्षक सम्मान से 51 मातृशक्ति एवं शिक्षको को शाल, श्रीफल, अभिनंदन पत्र एवं स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।
संचालन डॉ. अनीता तिवारी ने किया एवं आभार श्रीमती संगीता हडके राष्ट्रीय सचिव ने माना।
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