प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय, ऋषि नगर उज्जैन में हुआ सफल आयोजन
उज्जैन। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय, ऋषि नगर में आयोजित ज्ञान वर्षा प्रवचन माला के चतुर्थ व अंतिम दिवस का आयोजन अत्यंत प्रेरणादायक रहा। इस दिन का विषय था "चुनौतियों से ना भागें, खुद पर रखें विश्वास", जिसने उपस्थित जनसमूह को आत्मबल, आत्मविश्वास और परमात्मा पर अटूट विश्वास रखने का सशक्त संदेश दिया। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन के साथ हुआ।
इस शुभ अवसर पर अनेक विशिष्ट अतिथियों की गरिमामयी उपस्थिति रही, जिनमें डॉ. सुमेधा जैन (गाइनेकोलॉजिस्ट), सुनील खत्री (न्यू ऑक्सफोर्ड जूनियर कॉलेज के डायरेक्टर), सुरेश मोड (वरिष्ठ समाजसेवी एवं अंजूश्री होटल के ओनर), वरुण श्रीमाल (मध्यांचल न्यूज़पेपर के संपादक), शोभा मिश्रा (माधव कॉलेज की प्रोफेसर, आर्ट एंड साइंस विभाग), तथा ब्रह्माकुमारी संस्थान से राजयोगिनी उषा दीदी एवं रुबी दीदी विशेष रूप से शामिल हुए।
रुबी बहन का प्रेरणादायक वक्तव्य: आत्मविश्वास और मुस्कान ही हैं असली शक्ति
ब्रह्माकुमारी रुबी बहन ने विषय को विस्तारपूर्वक समझाते हुए बताया कि जीवन की हर चुनौती का सामना करने के लिए हौंसला जरूरी है। उन्होंने तीन महत्वपूर्ण बिंदुओं के माध्यम से विषय को स्पष्ट किया:
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स्वयं को करें स्वीकार – खुद की कमियों को पहचानकर उन्हें खूबी में बदलना ही सच्चा आत्मविकास है। 
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मुश्किलों में भी मुस्कुराएं – मुस्कान एक ऐसी शक्ति है, जो तन्हाई को भी रोशन कर सकती है। 
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खुद को पसंद करें – जिस प्रकार हम दूसरों को सम्मान देते हैं, वैसा ही सम्मान स्वयं को देना चाहिए। खुद को पसंद करना और आत्म-प्रेम ही आत्मबल का मूल है। 
उन्होंने आगे कहा कि परमात्मा को आमंत्रित करने के लिए हमें प्रेममय स्वरूप बनना होगा और इसके लिए राजयोग मेडिटेशन अत्यंत आवश्यक है, जिसकी 27 सितंबर 2025 से ब्रह्माकुमारीज संस्था में शुरुआत हो रही है।
उषा दीदी का सारगर्भित संदेश: "हिम्मते मर्दा मददे खुदा"
राजयोगिनी उषा दीदी ने अपने वक्तव्य में कहा कि जीवन में यदि परिस्थितियां ही ना हों तो जीवन अधूरा सा लगेगा। लेकिन जब परमात्मा पर अटूट विश्वास हो, तब उनकी मदद भी अवश्य मिलती है। उन्होंने स्पष्ट किया कि चुनौतियां हमें कभी आगे ले जाती हैं तो कभी पीछे धकेलती हैं, परंतु अगर हमारे हौंसले बुलंद हों तो सफलता निश्चित है। परमात्मा का वचन है – हिम्मते मर्दा, मददे खुदा।
अन्य अतिथियों के विचार: आत्मविश्वास, सहयोग और स्वास्थ्य पर विशेष बल
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शोभा मिश्रा ने कार्यक्रम के प्रति शुभकामनाएं देते हुए एक अत्यंत सुंदर कविता की प्रस्तुति दी, जिसने सबका मन मोह लिया। 
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वरुण श्रीमाल ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि जीवन में आने वाली चुनौतियों का सामना हम केवल सहयोग से ही कर सकते हैं। 
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सुनील खत्री ने विषय को चार भागों में विभाजित करते हुए गहराई से समझाया: - 
चुनौतियां – एक ही चुनौती किसी के लिए सहज, किसी के लिए कठिन हो सकती है। 
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भाग – यह व्यक्ति पर निर्भर करता है कि वह चुनौतियों से भागता है या उसमें भाग लेता है। 
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आत्मविश्वास – आत्मा की पहचान जरूरी है, जो ब्रह्माकुमारीज में सिखाई जाती है। 
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विश्वास – उन्होंने ब्रह्माकुमारी संस्था के संस्थापक दादा लेखराज का उदाहरण देते हुए समझाया कि उनका परमात्मा पर अटूट विश्वास ही उनके कार्यों की सफलता का आधार बना। 
 
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डॉ. सुमेधा जैन ने कहा कि चुनौतियां हर आयु वर्ग के जीवन में आती हैं और उनके समाधान के लिए आत्मनिरीक्षण, सकारात्मक सोच, सतत प्रयास और आत्मविश्वास की आवश्यकता है। उन्होंने वर्तमान समय में स्वास्थ्य को सबसे बड़ी चुनौती बताया और आहार-विहार व व्यवहार में संतुलन की आवश्यकता पर बल दिया। साथ ही कहा कि हमें स्वयं का टीचर स्वयं बनना होगा। 
कार्यक्रम का सफल संचालन और सहभागिता
इस प्रेरणादायक कार्यक्रम का संचालन ब्रह्माकुमारी बीके कौशिकी बहन ने अत्यंत कुशलता से किया। कार्यक्रम में सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालुओं और नागरिकों ने सहभागिता निभाई और जीवन को नई दिशा देने वाले विचारों को आत्मसात किया।
यह समापन दिवस न केवल एक कार्यक्रम का अंत था, बल्कि जीवन में आत्मबल, सकारात्मकता और ईश्वरीय विश्वास के साथ आगे बढ़ने की नई शुरुआत भी सिद्ध हुआ।


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