शरद जी स्वाभिमानी, साहसी और स्पष्टवादी व्यंग्यकार थे – डॉ. पिलकेंद्र अरोरा
हिन्दी साहित्य में जो नाम सूर- तुलसी का है वही व्यंग्य में शरद जी का है – शिव चौरसिया
प्रख्यात व्यंग्यकार शरद जोशी स्मृति प्रसंग के अंतर्गत हुआ व्यंग्य पाठ एवं संगोष्ठी का आयोजन
उज्जैन। शरद जोशी जी के व्यंग्य में विषयों का वैविध्य है और वे आम जीवन के विषय उठाते थे। सामाजिक पाखण्ड के विरुद्ध शरद जी हमेशा खड़े होते थे और यदि व्यंग्यकारों को कालजयी व्यंग्यकार बनना है तो शरद जी से सीखना होगा और उनकी तरह आम आदमी की जबान में लिखना होगा।
ये विचार मध्यप्रदेश लेखक संघ उज्जैन की व्यंग्य पुरोधा शरद जोशी की स्मृति में प्रेस क्लब में आयोजित व्यंग्य गोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में वरिष्ठ साहित्यकार और विक्रम विश्वविद्यालय के कुलानुशासक एवं विभागाध्यक्ष प्रो डॉ. शैलेन्द्रकुमार शर्मा ने व्यक्त किये। आपने कहा कि शरद जोशी सम्पूर्ण भारतीय व्यंग्य परम्परा के विलक्षण व्यंग्यकार थे।
सारस्वत अतिथि वरिष्ठ मालवी कवि प्रो. शिव चौरसिया ने कहा कि साहित्यिक चेतना की दृष्टि से उज्जैन आज भी समृद्ध है और हिन्दी साहित्य में जो नाम सूर- तुलसी का है वही व्यंग्य में शरद जी का है।
विशेष अतिथि वरिष्ठ व्यंग्यकार डॉ. पिलकेंद्र अरोरा ने कहा कि हमारा प्रदेश व्यंग्य प्रदेश है और हमारा शहर व्यंग्य की राजधानी है। शरद जी की स्मृतियों को याद करते हुए पिलकेंद्र जी ने कहा कि शरद जी स्वाभिमानी, साहसी और स्पष्टवादी व्यंग्यकार थे और टेपा सम्मेलन में शरद जी कई बार आये और टेपा सम्मेलन के संस्थापक , प्रख्यात व्यंग्यकार डॉ शिव शर्मा ने हास्य व्यंग्य की फसल को लहलहाने का अवसर प्रदान किया जो आज व्यंग्यकारों के व्यंग्य पाठ में नजर आई।
अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए मध्यप्रदेश लेखक संघ उज्जैन के अध्यक्ष प्रो. हरिमोहन बुधौलिया ने कहा कि पंडित सूर्यनारायण व्यास, शरद जी, परसाई जी और डॉ. शिव शर्मा जी की व्यंग्य परम्परा आज भी कायम है। व्यंग्य गोष्ठी में अतिविशिष्ट अतिथि पूर्व कुलपति प्रो. नागेश्वर राव एवं वरिष्ठ पत्रकार एवं स्वतंत्रता संग्राम सेनानी श्री प्रेमनारायण नागर भी अतिथि के रूप में मौजूद थे।
व्यंग्य गोष्ठी में व्यंग्यकार सर्वश्री शांतिलाल जैन, रमेश चन्द्र शर्मा, शशांक दुबे, मुकेश जोशी, डॉ. हरीशकुमार सिंह, डॉ. उर्मि शर्मा, डॉ. स्वामीनाथ पांडेय, राजेन्द्र नागर, राजेन्द्र देवधरे, संतोष सुपेकर, सूरज नागर, संदीप सृजन, डॉ. संदीप नाडकर्णी, डॉ. गिरीश पंड्या, डॉ क्षमा सिसौदिया, प्रफुल्ल शुक्ल, अरुणेश्वरी गौतम ने व्यंग्य पाठ किया जिसे उपस्थित श्रोताओं ने खूब सराहा। आरम्भ में माँ सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण और दीप आलोकन कर अतिथियों ने व्यंग्य गोष्ठी का शुभारम्भ किया। अतिथि स्वागत संयोजक मुकेश जोशी, संदीप सृजन, संतोष सुपेकर, शशांक दुबे, राजेंद्र देवधरे, डॉ. संदीप नाडकर्णी आदि ने किया। व्यंग्य गोष्ठी में साहित्यकार रमेशचन्द चांगेसिया, मानसिंह शरद, डॉ.पुष्पा चौरसिया, सीमा देवेन्द्र , नेत्रा रावणकर, श्वेतिमा निगम, अनिल कुरेल, दिलीप जैन आदि उपस्थित थे।
संचालन डॉ. हरीशकुमार सिंह ने किया और आभार मुकेश जोशी ने व्यक्त किया।
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