संचार प्रौद्योगिकी और कृत्रिम बुद्धिमत्ता के क्षेत्र में कौशल विकसित कर आगे बढ़ें भाषा - साहित्य से जुड़े युवा - प्रो शर्मा
विधागत विशेषज्ञता के दौर में अच्छे जॉब अवसर प्राप्त कर सकते हैं युवा – डॉ पांडेय
हिंदी पखवाड़े के अंतर्गत राष्ट्रीय संगोष्ठी में हुआ हिंदी भाषा और साहित्य में करियर की नई दिशाएँ पर मंथन
नागपुर विश्वविद्यालय के प्राध्यापक डॉ मनोज पांडेय का हुआ सारस्वत सम्मान
उज्जैन। हिंदी पखवाड़े के अंतर्गत सम्राट विक्रमादित्य विश्वविद्यालय उज्जैन की हिंदी अध्ययनशाला और ललित कला अध्ययनशाला के संयुक्त तत्वावधान में राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित की गई। यह संगोष्ठी हिंदी भाषा और साहित्य में करियर की नई दिशाएँ पर केंद्रित थी। संगोष्ठी के मुख्य अतिथि वक्ता राष्ट्रसंत तुकडो जी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय, नागपुर के हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ मनोज कुमार पांडेय थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलानुशासक प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा ने की। इस अवसर पर ललित कला विभागाध्यक्ष प्रो जगदीश चंद्र शर्मा, आयुष सिंघाड़, इंदौर आदि ने विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर नागपुर विश्वविद्यालय के प्राध्यापक डॉ मनोज कुमार पांडेय को शॉल, साहित्य एवं पुष्पमाला अर्पित कर उनका सारस्वत सम्मान किया गया।
विभागाध्यक्ष प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा ने अध्यक्षता करते हुए कहा कि इक्कीसवीं सदी में युवाओं को भाषा और साहित्य के क्षेत्र में करियर के नए अवसर प्राप्त हो रहे हैं। भाषा और साहित्य के विद्यार्थी संचार प्रौद्योगिकी और कृत्रिम बुद्धिमत्ता के क्षेत्र में कौशल विकसित कर आगे बढ़ें। हिंदी भारत के साथ दुनिया के कई देशों में व्यापक रूप से प्रयोग में लाई जाने भाषा है। हिंदी डिजिटल क्रांति के दौर में सोशल मीडिया, वेबसाइट्स और अनेक प्रकार के ऐप्स में व्यापक रूप से उपयोग की जा रही है। यूनिकोड और टाइपिंग टूल्स ने डिजिटल संचार में हिंदी की पहुंच को बढ़ाया है। हिंदी सांस्कृतिक मूल्यों, परंपराओं और भावनाओं को व्यक्त करने के प्रभावी माध्यम के साथ भूमंडलीकरण के दौर में दुनिया के कई विकसित देशों के लिए जरूरत बन गई है।
डॉ मनोज कुमार पांडेय, नागपुर ने कहा कि हम जितना बड़ा लक्ष्य रखेंगे उतनी बड़ी प्राप्ति होगी। यह दौर विधागत विशेषज्ञता का है, जिसे प्राप्त कर अच्छे जॉब अवसर प्राप्त किए जा सकते हैं। प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के साथ कौशल आधारित प्रशिक्षण प्राप्त करना आवश्यक है। विद्यार्थी ऑनलाइन माध्यमों के साथ पुस्तकालयों का लाभ लें।
कार्यक्रम में अनेक साहित्यकार एवं शोधकर्ता उपस्थित थे।
संचालन शोधार्थी सुजल जायसवाल ने किया। आभार प्रदर्शन ललित कला विभागाध्यक्ष प्रो जगदीश चंद्र शर्मा ने किया।
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