हिंदी और भारत का गौरवशाली स्थान है विश्व पटल पर – डॉ गोपाल बघेल
भारतीय संस्कृति, मूल्य और बंधुत्व के सन्देश को वैश्विक विस्तार दिया है हिंदी ने - प्रो शर्मा
कनाडा के वरिष्ठ साहित्यकार डॉ गोपाल बघेल मधु का हुआ सारस्वत सम्मान
सम्राट विक्रमादित्य विश्वविद्यालय, उज्जैन में हिंदी पखवाड़े के अवसर पर कनाडा से आए वरिष्ठ साहित्यकार डॉक्टर गोपाल बघेल मधु के मुख्य आतिथ्य में अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता सम्राट विक्रमादित्य विश्वविद्यालय के कुलानुशासक प्रोफेसर शैलेंद्र कुमार शर्मा ने की। आयोजन में प्रोफेसर जगदीश चंद्र शर्मा, कबीर गायक श्री दयाराम सारोलिया, देवास, देवकरण मालवीय आदि ने विचार व्यक्त किए। यह संगोष्ठी वैश्विक पटल पर हिंदी की नवीन सम्भावनाओं पर केंद्रित थी।
विश्वविद्यालय की हिंदी अध्ययनशाला एवं ललित कला अध्ययनशाला के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम में अंतरराष्ट्रीय लेखक, कवि एवं अनुवादक डॉक्टर गोपाल बघेल मधु टोरंटो को अतिथियों द्वारा शॉल, अंग वस्त्र, साहित्य एवं पुष्पमाला अर्पित कर उनका सारस्वत सम्मान किया गया।
अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी को संबोधित करते हुए डॉ गोपाल बघेल मधु ने कहा कि दुनिया भर में आज हिंदी और भारत का गौरवशाली स्थान है। हमें भाषा के बंधन से बंधकर समस्त भाषाओं को सीखना है। इससे दूसरों को समझने में आसानी होती है। विश्व पटल सूक्ष्म सत्ता की अभिव्यक्ति है। संपूर्ण ब्रह्मांड में एक ही सत्ता है एक ही परमात्मा है जो कि प्रत्येक मनुष्य की आत्मा में विराजित है। यदि मनुष्य अपना स्वरूप विराट कर ले तो वह भी ब्रह्म कहलाएगा। अपने शरीर की इंद्रियों को समझ कर हम अपने मन पर नियंत्रण पा सकते हैं। जो आध्यात्मिक अवस्था से ऊपर चला जाता है वह ईश्वर में मिल जाता है।
कुलानुशासक एवं हिंदी विभागाध्यक्ष प्रोफेसर शैलेंद्र कुमार शर्मा ने कहा कि हिंदी ने भारतीय संस्कृति, मूल्य प्रणाली और बंधुत्व के सन्देश को वैश्विक विस्तार दिया है। सम्पूर्ण दुनिया में विविध माध्यमों से हिंदी पहुंची है। भारत दुनिया का सबसे पारंपरिक एवं चैतन्य देश है, जो सभी दिशाओं में अग्रसर है। अनेक सहस्राब्दियों से यहां के प्रवासी भारत की संस्कृति की महक लेकर गए और वहां जाकर समस्त मानवता के कल्याण के लिए प्रवृत्त हैं। दुनिया भर में सामुदायिक जीवन का सन्देश भारतवासी दे रहे हैं।
कबीर पंथी गायक दयाराम सारोलिया ने गुरु वंदना एवं कबीर के पद की सुमधुर प्रस्तुति की। उन्होंने "बारी जाऊं रे बलिहारी जाऊं रे म्हारा सतगुरु आंगन आया मैं बारी जाऊं रे" के माध्यम से उपस्थित जनों को मंत्रमुग्ध कर दिया। संगोष्ठी में अतिथियों ने विद्यार्थियों से संवाद करते हुए उनके प्रश्नों का समाधान भी किया। प्रारम्भ में अतिथियों द्वारा वाग्देवी का पूजन किया गया। इस अवसर पर श्री देवकरण मालवीय, देवास, संगीता मिर्धा, श्यामलाल चौधरी, अजय सूर्यवंशी आदि सहित अनेक शोधार्थी एवं विद्यार्थी उपस्थित थे।
कार्यक्रम का संचालन श्री श्याम लाल चौधरी ने किया। आभार प्रदर्शन ललित कला अध्ययनशाला के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर जगदीश चंद्र शर्मा ने किया।
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