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एनआईटीटीटीआर भोपाल में “भारतीय ज्ञान परंपरा” पर प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन

जो मूल है वही बहुमूल्य है: डॉ. ललित बिहारी गोस्वामी 

ज्ञान वैश्विक हो सकता है लेकिन शिक्षा राष्ट्र के अनुरूप ही होना चाहिए: डॉ. अवनीश भटनागर

सही आचरण ही समाज को संगठित रखेगा: डॉ. उत्तम द्विवेदी

Bhopal | एनआईटीटीटीआर भोपाल में उच्च शिक्षा विभाग मध्य प्रदेश के शासकीय महाविद्यालयों में पदस्थ प्राध्यापकों हेतु भारतीय ज्ञान परम्परा पर चल रहे प्रशिक्षण कार्यक्रमों की श्रृंखला में प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस व्याख्यान के मुख्य वक्ता डॉ. अवनीश भटनागर, डॉ. ललित बिहारी गोस्वामी एवं डॉ. उत्तम द्विवेदी थे।  कार्यक्रम के मुख्य वक्ता श्री अवनीश भटनागर ने भारतीय शिक्षा दर्शन की अवधारणा को विस्तार से प्रस्तुत करते हुए बताया कि शिक्षा केवल सूचना देना नहीं, बल्कि एक समग्र व्यक्तित्व निर्माण की प्रक्रिया है। श्री भटनागर ने शिक्षकों को ‘टीचिंग के मूलमंत्र’ भी दिए और कहा कि शिक्षक का उद्देश्य केवल पढ़ाना नहीं, बल्कि जीवन मूल्यों का संवाहक बनना होना चाहिए। 


दूसरे वक्ता प्रो. ललित बिहारी गोस्वामी ने कहा कि जो मूल है वही बहुमूल्य है। भारत में ज्ञान के प्रति अनुराग या साक्षात्कार की विशेषता हमेशा से रही है। ज्ञान अहंकार दे सकता हे लेकिन विद्या विनय देती हे। उन्होंने कहा कि शिक्षक क्लास में शंका लेकर नहीं जिज्ञासा लेकर जाएँ। प्रो. उत्तम द्विवेदी ने कहा कि सही आचरण ही समाज को संगठित रखेगा। शिक्षा का उद्देश्य केवल व्यावसायिक दक्षता नहीं, बल्कि चरित्र और मूल्यों की स्थापना भी है। अब समय आ गया है कि हम अपने स्वर्णिम अतीत की जड़ों को पुनः भारतीय जीवन मूल्यों से सिंचित करें और भारत को पुनः विश्वगुरु बनाने का संकल्प लें।

निटर भोपाल के निदेशक डॉ. सी.सी त्रिपाठी ने कहा कि भारतीय दृष्टिकोण युक्त, मूल्य-आधारित एवं समग्र शिक्षा को वैज्ञानिक तथ्यों के साथ समकालीन रूप से प्रासंगिक बनाना हम सभी की सामूहिक जिम्मेदारी है। डीन साइंस एवं आईकेएस हेड प्रो. पी.के पुरोहित ने कहा कि यह पहल न केवल भारत की समृद्ध धरोहर को पुनर्स्थापित करने का प्रयास है, बल्कि राष्ट्रगौरव को जागृत करने का एक सशक्त सांस्कृतिक संदेश भी है। कार्यक्रम का संचालन श्री संजय त्रिपाठी ने किया।

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