केंद्रीय विधानसभा के प्रथम निर्वाचित भारतीय स्पीकर स्व. विट्ठल भाई पटेल शताब्दी वर्ष समारोह में आयोजित अखिल भारतीय पीठासीन सम्मेलन में “भारत−लोकतंत्र की जननी” विषय पर व्याख्यान
🙏🏻 द्वारा, राधेश्याम चौऋषिया 🙏🏻
भोपाल, 25 अगस्त। दिल्ली विधानसभा में आयोजित केंद्रीय विधानसभा के प्रथम निर्वाचित भारतीय स्पीकर स्व. विट्ठल भाई पटेल शताब्दी वर्ष समारोह में आयोजित अखिल भारतीय पीठासीन सम्मेलन में “भारत−लोकतंत्र की जननी” विषय पर व्याख्यान सत्र में समापन सोमवार को मध्यप्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने समापन व्याख्यान दिया।
इस सत्र का विषय प्रवर्तन राज्यसभा के उपसभापति श्री हरवंश ने रविवार को किया था। दो दिन चले व्याख्यान सत्र में देश के लगभग 12 विधानसभा अध्यक्षों/उपाध्यक्षों ने अपने विचार रखे। समापन सत्र के दाैरान लोकसभा की पूर्व स्पीकर मीरा कुमार एवं दिल्ली विधानसभा के अध्यक्ष श्री विजेंद्र गुप्ता विशेष रूप से उपस्थित थे।
अपने उद्बोधन में मध्यप्रदेश विधानसभा अध्यक्ष श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि, "भारतः लोकतंत्र की जननी," जब यह वाक्य हम सुनते हैं तो हमारे भीतर गर्व की भावना उत्पन्न होती है, लेकिन यह केवल भावनात्मक या आत्मप्रशंसा का विषय नहीं है। यह एक ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और दार्शनिक सत्य है कि भारत ने ही दुनिया को सबसे पहले लोकतंत्र का बीज दिया। लोकतंत्र हमारे लिए केवल संविधान की देन नहीं है, बल्कि यह हमारी सबसे पुरानी जीवन परंपरा का हिस्सा है, जो हजारों वर्षों से हमारी संस्कृति, हमारे समाज और हमारी राजनीति का मार्गदर्शन करता आया है।
मध्यप्रदेश विधानसभा अध्यक्ष श्री ताेमर ने कहा कि, भारत का लोकतंत्र केवल शासन पद्धति भर नहीं है, बल्कि यह हमारे जीवन की आत्मा है। यदि हम भारत की यात्रा को प्राचीन काल से देखें तो पाते हैं कि, यहाँ लोकतंत्र की जड़ें बहुत गहरी रही हैं। आज दुनिया के अनेक लोग यह मानते हैं कि, लोकतांत्रिक मूल्य यूनान से शुरू हुए, लेकिन सच यह है कि भारत में उनकी नींव बहुत पहले पड़ चुकी थी।
ऋग्वेद और अथर्ववेद में 'सभा' और 'समिति' जैसे शब्दों का उल्लेख मिलता है। ये संस्थाएँ सामूहिक विमर्श और निर्णय का प्रतीक थीं, जिनमें राजा तक को अपनी राय थोपने का अधिकार नहीं था। उपनिषद भी हमें यही शिक्षा देते हैं। "सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामयाः" जैसी प्रार्थनाएँ केवल धार्मिक मंत्र नहीं हैं। यह मानवता की साझी भलाई, समानता और समावेश का उद्घोष है। यही लोकतंत्र का मूल तत्व है। लोकतंत्र का मतलब केवल वोट देना और सरकार चुनना नहीं है, लोकतंत्र का मतलब है, ऐसी व्यवस्था जिसमें सबका कल्याण, सबकी साझेदारी और सबकी सुरक्षा सुनिश्चित हो। यही बात हमारे ऋषियों ने हजारों साल पहले कह दी थी।
विधानसभा अध्यक्ष श्री तोमर ने अपने उद्बोधन में कहा कि, केंद्रीय विधानसभा के प्रथम निर्वाचित भारतीय स्पीकर स्व. विट्ठल भाई पटेल शताब्दी वर्ष समारोह के इस ऐतिहासिक अवसर पर यहां उपस्थित होकर मैं गर्व का अनुभव कर रहा हूं। स्व. विट्ठलभाई पटेल ने तत्कालीन राजनीति को नए आयाम दिए और लोकतंत्र के नए मानदंड स्थापित किए। सभी राज्यों की विधानसभाओं काे उनके बताए मार्ग का अनुसरण करना चाहिए। श्री तोमर ने कहा कि, यह भवन विपिन चंद्र पाल एवं पं. मदन मोहन मालवीय की कर्म स्थली रही है। स्व. बटुकेश्वर दत्त और स्व. भगत सिंह के बम कांड की गवाही भी यह भवन देता है, जो हमारी स्वतंत्रता आंदोलन की एक महत्वपूर्ण घटना है। आज के समय हम उनका भी पुण्य-स्मरण करते हैं।
श्री तोमर ने कहा कि आज भारत की चुनाव प्रणाली विश्व की सबसे बड़ी लोकतांत्रिक प्रक्रिया है। हर पाँच साल में करोड़ों नागरिक मतदान करके अपनी सरकार चुनते हैं। सत्ता का शांतिपूर्ण परिवर्तन इस बात का प्रमाण है कि, जनता को चुनने और बदलने का अधिकार प्राप्त है। यही लोकतंत्र की आत्मा है - जनता सर्वोपरि है। उन्होंने कहा कि, लोकतंत्र के नाम पर कभी-कभी जातिवाद, धर्मवाद और व्यक्तिवाद हावी होते हैं। सोशल मीडिया और तकनीक के इस युग में फेक न्यूज़ और अफवाहें लोकतांत्रिक प्रक्रिया को प्रभावित करती हैं। चुनाव में धनबल और बाहुबल भी चुनौती बनकर सामने आते हैं। लेकिन इन सब चुनौतियों के बावजूद भारत का लोकतंत्र मजबूत है। इसका कारण यही है कि, यह लोकतंत्र केवल संविधान तक सीमित नहीं, बल्कि भारत की जनता की चेतना और उसकी संस्कृति में गहराई से रचा-बसा है।
श्री तोमर ने कहा कि, अब यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम इस लोकतांत्रिक परंपरा को और सशक्त करें। करुणा, समानता, सहिष्णुता केवल आदर्श शब्द नहीं हैं, बल्कि इन्हें व्यवहार में लाना होगा। लोकतंत्र का अर्थ केवल सरकार को चुनना नहीं, बल्कि नागरिक के रूप में अपने दायित्वों को निभाना भी है।
उल्लेखनीय है कि, दिल्ली विधानसभा द्वारा केंद्रीय विधानसभा के प्रथम भारतीय स्पीकर के रूप में स्व. विट्ठल भाई पटेल के चुने जाने के सौ वर्ष पूर्ण होने पर दो दिवसीय अखिल भारतीय पीठासीन सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस सम्मेलन में देशभर की विधानसभाओं के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष विधान परिषदों के सभापति, उपसभापति एवं विधानसभा सचिवालयों के अधिकारी सम्मिलित हुए। सम्मलेन का शुभारंभ 24 अगस्त को माननीय गृहमंत्री भारत सरकार श्री अमित शाह जी द्वारा किया गया एवं समापन दिवस पर माननीय लोकसभा अध्यक्ष श्री ओम बिरला विशेष रूप से उपस्थित हुए।
मध्यप्रदेश विधानसभा के प्रमुख सचिव डॉ. अवधेश प्रताप सिंह भी दो दिवसीय अधिवेशन में उपस्थित रहे।
✍ राधेश्याम चौऋषिया
● सम्पादक, बेख़बरों की खबर
● राज्य स्तरीय अधिमान्य पत्रकार, जनसम्पर्क विभाग, मध्यप्रदेश शासन
● राज्य मीडिया प्रभारी, भारत स्काउट एवं गाइड मध्यप्रदेश
● मध्यप्रदेश ब्यूरों प्रमुख, दैनिक निर्णायक
● मध्यप्रदेश ब्यूरों प्रमुख, दैनिक मालव क्रान्ति
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