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अपनी भाषा को जीवित रखना हम सबके जवाबदारी है - डॉ विकास दवे

राष्ट्रीय संगोष्ठी में हुआ इक्कीसवीं सदी में भारतीय भाषाएँ और देवनागरी लिपि पर मंथन

हिंदी ने सम्पूर्ण विश्व में अपनी धाक जमा दी है। इसके बोलने वाले लोग दुनिया भर में आपको मिल जाएंगे। धीरे-धीरे कई लिपियां और भाषाएं लुप्त हो रही हैं क्योंकि समय रहते उनके संरक्षण पर हमने ध्यान नहीं दिया। अपनी भाषा को जीवित रखना हम सब की जवाबदारी है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हिंदी को प्रतिष्ठा दिलाने में अखिल भारतीय स्तर पर कार्य करने वाली संस्था नागरी लिपि परिषद की महत्वपूर्ण भूमिका है। स्वतंत्र रहने की एकमात्र कुंजी है कि हम अपनी मातृभाषा का विकास करें। तुलसी, सूर और मीरा ने अपनी मातृभाषा हिंदी के बल पर ही विश्व साहित्य में अपना स्थान बनाया।

उक्त विचार राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना द्वारा आयोजित राष्ट्रीय नागरी लिपि संगोष्ठी के शुभारंभ पर मुख्य अतिथि के रूप में  हिंदी साहित्य अकादमी भोपाल के निदेशक डॉ विकास दवे में व्यक्त किए।

राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ अशोक कुमार भार्गव ने कहा कि बोलियों और भाषाओं का समृद्ध करना हमारी नैतिक जवाबदारी है। राष्ट्र को एक सूत्र में बाँधने का कार्य अखिल भारतीय नागरी लिपि परिषद ने प्रारंभ किया। आचार्य विनोबा भावे ने नारी लिपि परिषद की स्थापना 10 अप्रैल 1975 को की गई। संस्था  अपनी जवाबदारी निभा भी रही है। भारत के दूरस्थ अंचलों में स्थित व्यक्तियों की अलग-अलग भाषाओं को देवनागरी लिपि में लिखा जाए। चाहे स्वतंत्रता मिले या न मिले लेकिन भाषा की आजादी आवश्यक है। हमें दूसरों की भाषा का भी सम्मान करना चाहिए।

शिक्षाविद् श्री बृजकिशोर शर्मा ने कहा कि आपका एक संकल्प हिंदी को अपना उचित स्थान दिला देगा। चुनौतियां बहुत है लेकिन इसका सामना करने की शक्ति हिंदी भाषा में है।

सारस्वत अतिथि डा आफताब अनवर शेख पुणे ने कहा कि उच्च अध्ययन करने के बाद लोगों में निराशा रहती है किंतु यह सही नहीं है। अपने आप को आप सक्षम बनाएं‌। हिंदी माध्यम से व्यावसायिक सफलता सम्भव है। इसके जानने वालों को बहुत सम्मान मिलता है।

वरिष्ठ हिंदी सेवी डॉक्टर डी जी सरोज (कर्नाटक) ने कहा कि भारत बहुभाषिक देश है 22 भाषाओं को मान्यता प्राप्त है। हिंदी सभी भाषाओं को लेकर चलती है। कर्नाटक में 9 लाख छात्र हिंदी का अध्ययन कर रहे हैं और हम सभी हिंदी के प्रचार प्रसार में लगे हुए हैं।

जयपुर के पदमचंद गांधी ने कहा कि हिंदी भाषा ने ब्राह्मी, प्राकृत, पाली भाषा का सफर तय किया है। बंगाल, गुजरात और दक्षिण भारत के लोग भी हिंदी भाषा को सीख कर अच्छी कमाई कर रहे हैं। राष्ट्रीय स्तर पर सर्वाधिक प्रसारित प्रमुख समाचार पत्रों में से बड़ी संख्या में हिंदी एवं अन्य भारतीय भाषाओं में प्रसारित होते हैं। दुनिया के सौ से अधिक देशों में हिंदी जानने वाले हैं।   

कार्यक्रम को डॉक्टर शाकिर शेख पुणे ने भी संबोधित किया। प्रारंभ में कार्यक्रम की प्रस्तावना राष्ट्रीय शिक्षक संरचना के महामंत्री डॉ प्रभु चौधरी ने प्रस्तुत की। कार्यक्रम का सफल संचालन सुश्री गरिमा प्रपन्न उज्जैन ने किया। अंत में आभार डॉ प्रभु चौधरी ने माना।

सरस काव्य सन्ध्या का आयोजन हुआ

कार्यक्रम के दूसरे सत्र में सरस काव्य संध्या का आयोजन हुआ। जिसकी अध्यक्षता श्रीमती सुषमा शुक्ला इंदौर ने की। मुख्य अतिथि के रूप में डॉ बाबा शेख उपस्थित थे। विशिष्ट वक्ता के रूप में डा कृष्णा आचार्य, डॉ अनीता तिवारी, डॉ अरुणा सराफ, डा शहनाज़ शेख ने में भी अपनी काव्यांजलि से सभी को मोहित कर दिया। 

काव्य संध्या का काव्यात्मक संचालन सुंदरलाल जोशी 'सूरज' नागदा ने किया। आभार डा अनिता तिवारी ने व्यक्त किया।

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