मन को नियमित करना एवं हृदय आधारित गुणों को बढ़ाना मेडिटेशन का प्रमुख उद्देश्य है - प्रोफेसर अंशु भारद्वाज
प्राणिकी एवं जैवप्रौद्योगिकी अध्ययनशाला में तीन दिवसीय योग एवं मेडिटेशन शिविर का आयोजन
विक्रम विश्वविद्यालय के प्राणिकी एवं जैव प्रौद्योगिकी अध्ययनशाला में दिनांक 21 से 23 अगस्त तक तीन दिवसीय योग एवं मेडिटेशन शिविर का आयोजन किया जा रहा है। विभागाध्यक्ष डॉ सलिल सिंह ने बताया कि विभाग सदैव विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास पर ध्यान देता आया है और इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम भी उठाता है, ये आयोजन उसी दिशा में एक प्रयास था। विद्यार्थियों को मेडिटेशन के विषय में बताते हुए माधव कला महाविद्यालय की प्रोफेसर एवं हार्टफुलनेस संस्था की सदस्य प्रोफेसर अंशु भारद्वाज ने बताया कि विद्यार्थी जीवन को संतुलित एवं नियमित बनाने में योग एवं मेडिटेशन की प्रमुख भूमिका है। मेडिटेशन मन को नियमित एवं संतुलित करने का सबसे प्रशस्त मार्ग है। उन्होंने कहा कि विचार मन से ही निकलते है और हृदय आधारित गुणों को बढ़ाने में मेडिटेशन एक अहम भूमिका निभाता है। उन्होंने कहा कि नियमित योग एवं ध्यान के अभ्यास से चित प्रसन्न रहता है और शरीर में हैप्पी हार्मोन की मात्रा भी बढ़ जाती है, अतः इसके अभ्यास से जीवन में संयम एवं प्रसन्नता आती है।
हार्टफुलनेस संस्था की सदस्य डॉ स्मिता भावलकर ने विद्यार्थियों को ध्यान के बारे में बताते हुए उन्हें लगभग आधे घंटे तक ध्यान का अभ्यास कराया। उन्होंने बताया कि आने वाले दो दिनों तक विद्यार्थियों को ऐसे और भी अभ्यास कराए जाएंगे।
विक्रम विश्वविद्यालय के कुलगुरु
प्रोफेसर अर्पण भारद्वाज ने इस आयोजन को एक सार्थक पहल बताते हुए कहा कि विद्यार्थी को नियमित योग एवं ध्यान का अभ्यास करने का प्रयास करें। कार्यक्रम का संचालन ख्वाइश जायसवाल एवं गर्विता सोलंकी ने किया एवं आभार डॉ संतोष कुमार ठाकुर ने माना। कार्यक्रम में डॉ शिवी भसीन, डॉ गरिमा शर्मा, डॉ शीतल चौहान एवं डॉ पूर्णिमा त्रिपाठी सहित विभाग के कर्मचारी गण उपस्थित रहे।
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