उज्जैन: विक्रम विश्वविद्यालय की प्राणिकी एवं जैव प्रौद्योगिकी अध्ययनशाला में विश्व मच्छर दिवस पर विद्यार्थियों को मच्छर के प्रभाव, उनसे जनित बीमारियों एवं उसके रोकथाम की जानकारी दी गई ।
विश्व मच्छर दिवस, जो प्रतिवर्ष 20 अगस्त को मनाया जाता हैl इसे इस दिन मनाए जाने का प्रमुख कारण यह है कि 1897 में ब्रिटिश डॉक्टर सर रोनाल्ड रॉस ने मादा एनोफिलाइन मच्छर द्वारा मनुष्यों के बीच मलेरिया फैलाए जाने की खोज की थी। विद्यार्थियों के बीच मच्छर की विभिन्न प्रजातियों की जानकारी एकत्रित कर एवं मच्छर से अपना बचाव करने के तरीके की जानकारी देने के उद्देश्य से विक्रम विश्वविद्यालय के प्राणिकी एवं जैव प्रौद्योगिकी अध्ययनशाला में विश्व मच्छर दिवस के उपलक्ष्य में शिक्षकों द्वारा मलेरिया, डेंगू जैसी घातक बीमारियों, उससे प्रमुख कारक मच्छरों की विभिन्न प्रजातियां एवं बीमारियों के रोकधाम की जानकारी विस्तार से दी । विभागाध्यक्ष डॉ सलिल सिंह ने बताया कि इस बार विश्व मच्छर दिवस का विषय “अधिक समतापूर्ण विश्व के लिए मलेरिया के विरुद्ध लड़ाई में तेजी लाना” है और विभाग के शिक्षकों द्वारा विद्यार्थियों को इसी से संबंधित जानकारी दी जाएगी ।
विभाग के शिक्षक डॉ संतोष कुमार ठाकुर ने विद्यार्थियों को मच्छर की विभिन्न प्रजातियों जैसे एनाफिलीज, एडीज कूलिक्स की जानकारी दी l उन्होंने विद्यार्थियों को मलेरिया की रोकथाम, निदान और उपचार के बारे में विस्तार से जानकारी दी ।
विभाग के अन्य शिक्षक डॉ शिवी भसीन, डॉ गरिमा शर्मा, डॉ शीतल चौहान एवं डॉ पूर्णिमा त्रिपाठी ने विद्यार्थियों को नवाचार पर ध्यान केंद्रित करके, 2025 का विषय बेहतर टीकों के विकास, बेहतर मच्छर नियंत्रण विधियों और मच्छरों द्वारा फैलने वाली बीमारियों के बोझ को कम करने के लिए जन जागरूकता को बढ़ावा देने को प्रोत्साहित किया।
विक्रम विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रोफेसर अर्पण भारद्वाज ने इस अवसर पर विद्यार्थियों से विनम्र अपील है कि वे संकल्प लें कि मच्छर के दुष्प्रभाव एवं उससे जनित बीमारियों और उनके रोकधाम के तरीके से जुड़ी जानकारी वे आम जन-मानस तक पहुंचायेंगे, ताकि समाज के हर वर्ग तक ये जानकारी पहुंच पाए।
मच्छर जनित रोगों से जुड़े जागरूकता अभियान के लिए विक्रम विश्वविद्यालय के कुलानुशासक प्रोफेसर शैलेन्द्र कुमार शर्मा ने अध्ययनशाला परिवार को बधाई दी ।
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