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कालजयी है प्रेमचंद का कथा साहित्य – प्रो शर्मा

नॉर्वे से अंतरराष्ट्रीय प्रेमचंद सम्मान 2025 अर्पित

प्रेमचंद जयंती के अवसर पर नॉर्वे से अन्तरराष्ट्रीय प्रेमचंद सम्मान डिजिटल मंच से भारतीय- नार्वेजीय सूचना एवं सांस्कृतिक फोरम के अध्यक्ष सुरेश चन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' और पूर्व कुलपति डॉ. निर्मला एस. मौर्य ने प्रदान किए।  मुख्य अतिथि नोबल पुरस्कार से अलंकृत कैलाश सत्यार्थी एवं मुख्य वक्ता विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के कुलानुशासक प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा थे। श्री सत्यार्थी ने अपने वक्तव्य में लेखकों को प्रेमचंद की तरह देश-दुनिया की समस्याओं को हल करने के लिए नेतृत्व करने का आह्वान किया।  

मुख्य वक्ता प्रो. शैलेन्द्र कुमार शर्मा ने कहा कि प्रेमचंद का कथा साहित्य कालजयी है। वे अपनी सर्जना और विचारों के साथ वर्तमान विश्व के संघर्षों और चुनौतियों के बीच पथप्रदर्शक बने हुए हैं। किसान जीवन की दृष्टि से अगर प्रेमचन्द के कथा साहित्य को पुन: देखा जाए तो कई अर्थों में प्रेमचन्द अपने समय से आगे दिखाई देते हैं। किसान, स्त्री और वंचित वर्ग के जीवन के यथार्थ चित्रण में वे साहित्य जगत में अद्वितीय दिखाई देते हैं। हाल के दशकों में उभरे कई विमर्शों के मूल सूत्र प्रेमचंद के यहां मौजूद हैं।

सुरेश चन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' ने दुनिया के लेखकों को उनके योगदान के लिए शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि अपने समय का सच लिखने वाले रचनाकार अपने लेखन के माध्यम से समाज को राह दिखाते हैं। 

प्रो. उपकुलपति  प्रो. किरण हजारिका ने सम्मानित लेखकों की तरफ से आभार व्यक्त किया। उपकुलपति प्रो. योजना रावत ने सभी को  धन्यवाद दिया। कार्यक्रम के दूसरे चरण में कवि सम्मेलन संपन्न हुआ।

आयोजन में अंतरराष्ट्रीय प्रेमचंद सम्मान - 2025 से लेखकों अलंकृत किए जाने की घोषणा की गई। इनमें लेखन के क्षेत्र में डॉ. सूर्यकांत लखनऊ, डॉ. संजीव कुमार नोएडा, डॉ. सुधाकर अदीब लखनऊ, पंकज चतुर्वेदी गाजियाबाद, डॉ. दीपक पाण्डेय दिल्ली, डॉ. रेनू यादव ग्रेटर नोएडा, डॉ. सोपान दाहतोंडे पुणे और डॉ. शिवम् तिवारी अमेठी। शिक्षण एवं शोध के क्षेत्र में प्रो. पवन कुमार अग्रवाल लखनऊ, प्रो. अनिल कुमार सिंह मुंबई, प्रो. जगदीश चन्द्र शर्मा उज्जैन, प्रो रिपुसूदन सिंह लखनऊ, प्रो. सुनील अमृतसर, प्रो. सीताराम पवार धारवाड़, डॉ. हाशमबेग मिर्झा उस्मानाबाद महाराष्ट्र, डॉ. कल्पना गवली बड़ौदा, डॉ. राम प्रवेश रजक कोलकाता, डॉ. रवि कुमार गोड़ दिल्ली, डॉ. महेन्द्र प्रजापति दिल्ली सम्मिलित हैं।पूर्वोत्तर राज्य हिंदी प्रचार-प्रसार, लेखन, शिक्षण के क्षेत्र में प्रो. ओकेन लेगो अरुणाचल प्रदेश, डॉ. अखिलेश शंखधर मणिपुर, प्रो. किरण हजारिका असम, डॉ. बीपी फिलिप नागालैंड, डॉ. चुकी भूटिया सिक्किम, डॉ. शिप्रा शुक्ला असम, डॉ. लोङ्जम रोमी देवी, मणिपुर सम्मिलित हैं। कवि एवं गीतकार संतोष आनंद , राम अवतार बैरवा एवं कीर्ति काले दिल्ली, हसन काज़मी लखनऊ, रंग सम्मान श्री प्रकाश बाजपेयी, रत्ना अग्रवाल लखनऊ, पत्र-पत्रिकाएँ डॉ. नूतन पांडेय दिल्ली, डॉ. मोहन बैरागी उज्जैन, मनोज भावुक ग्रेटर नोएडा,  डॉ. दिलीप मेहरा आनन्द गुजरात, डॉ. हरी सिंह पाल दिल्ली शामिल हैं। विदेश से प्रो. मोहनकांत गौतम, नीदरलैंड, डॉ. सरस्वती जोशी फ्रांस, डॉ. विवेक कुमार शुक्ला डेनमार्क, सुमन घई कनाडा, डॉ. शैल अग्रवाल  यू. के. सम्मिलित थे।

दूसरे चरण में अन्तर्राष्ट्रीय कवि सम्मेलन संपन्न हुआ

कार्यक्रम के दूसरे चरण में अन्तर्राष्ट्रीय कवि सम्मेलन संपन्न हुआ कवि सम्मेलन संपन्न हुआ जिसमें  भाग लेने वाले कवियों में मुख्य थे, विदेश से डॉ. सरस्वती जोशी फ़्रांस, प्रो. साधना जोशी  एवं नीरजा शुक्ला कनाडा, डॉ. राम बाबू गौतम यू एस ए, सांद्रा लुटावन सूरीनाम, डॉ. शैल अग्रवाल यू के और सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'।

भारत से काव्य पाठ करने वालों में प्रमुख थे राम अवतार बैरवा, शशि पराशर, प्रमिला कौशिक  दिल्ली,  डॉ. रश्मी चौबे गाजियाबाद, डॉ. ऋषि कुमार मणि त्रिपाठी कबीर नगर, डॉ. अर्जुन पांडेय अमेठी, निर्मल जसवाल चंडीगढ़, प्रो अर्जुन चौहान कोल्हापुर, प्रो कामेश्वर पंकज कटिहार, आशीष रंजन सीतामढ़ी, सुब्रमण्यम मंगीपुडी विशाखापटनम।

धन्यवाद ज्ञापन अनिल शुक्ला एवं डॉ. अर्जुन पांडेय ने दिया।

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