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देवनागरी लिपि लोकनागरी बने, इसके लिए स्वाभिमान जगाना होगा - प्रो शैलेन्द्र कुमार शर्मा


नागरी लिपि की वैज्ञानिकता और नई संभावनाएं पर केंद्रित अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी सम्पन्न

देश की जानी मानी संस्था नागरी लिपि परिषद् नई दिल्ली की मध्य प्रदेश इकाई एवं राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना के संयुक्त तत्वावधान में अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसका विषय नागरी लिपि की वैज्ञानिकता और नई संभावनाएं था। 

संगोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में अपना मंतव्य देते हुए विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के कुलानुशासक एवं विभागाध्यक्ष डॉ. शैलेन्द्र कुमार शर्मा ने कहा हमें हमारी लिपियों पर गर्व होना चाहिए। देवनागरी लिपि लोकनागरी बने, इसके लिए स्वाभिमान जगाना होगा। बड़ी संख्या में लिपिविहीन लोक और जनजातीय भाषाओं को देवनागरी में लिखे जाने के लिए हम प्रयासरत हैं। इस दिशा में पहला विशाल लोक सम्पदा को देवनागरी में लाने का है। दूसरा व्याकरण के स्तर पर और तीसरा शब्द कोश के माध्यम से देवनागरी लिपि में अंकन की दिशा में कार्य हो रहा है। संचार क्रांति और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के दौर में देवनागरी लिपि की वैज्ञानिकता का साक्ष्य मिल रहा है। 

मोरीशस से जुड़े शिक्षाविद डॉ. सोमदत्त काशीनाथ ने कहा देवनागरी लिपि के फॉन्ट न बदलने के आलस में लोग रोमन में लिखते हैं यह उचित नहीं। उन्होंने कहा कि फ्रेंच भाषा के जटिल शब्दों को देवनागरी लिपि प्रस्तुत किया जा सकता है। 

डॉ. हरिसिंह पाल, महामंत्री, नागरी लिपि परिषद, नई दिल्ली ने कहा नागरी लिपि राष्ट्र को एकता में बांधती है। भारत की 125 भाषा एवं लिपियों ने नागरी लिपि को अपनाया है। देश की कई अन्य भाषाओं के लिए भी तैयारी जारी है।

पूर्व आईएएस डॉ. अशोक कुमार भार्गव, भोपाल ने कहा कि हमें अहिन्दी भाषी क्षेत्रों में भी नागरी लिपि की वैज्ञानिकता आदि विशेषताओं का प्रचार प्रसार करना चाहिए। श्री बी के शर्मा, पूर्व संयुक्त संचालक - शिक्षा, उज्जैन ने कहा कि स्कूली शिक्षा में भी नागरी लिपि की विशेषताओं को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए।

अध्यक्षीय भाषण में श्रीमती सुवर्णा जाधव, पुणे, महाराष्ट्र, अध्यक्ष, राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना ने कहा कि अब एआई  के लिए देवनागरी लिपि का प्रयोग होगा।

गोवा के प्राध्यापक डॉ शंभु देसाई ने बताया गोवा यूनिवर्सिटी में अच्छा कार्य चल रहा है। उन्होंने पत्रकारिता एवं जनसंचार माध्यमों में नागरी लिपि के प्रसार का सुझाव भी रखा। दर्शन के अध्येता डॉ. प्रवीण जोशी ने कहा कि हमारी भावनाओं के संप्रेषण में सक्षम है देवनागरी लिपि।

डॉ. दक्षा जोशी, सचिव राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना, गुजरात ने कहा कि नागरी लिपि विलक्षण लिपि है। यह रोमन, अरबी, चीनी आदि की अपेक्षा अधिक वैज्ञानिक है।

डॉ. रश्मि चौबे, गाजियाबाद, राष्ट्रीय प्रवक्ता, राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना ने सुव्यवस्थित संचालन करते हुए सभी से वाट्सएप एवं सोश्यल मीडिया पर नागरी लिपि के प्रयोग के लिए आग्रह किया।

कार्यक्रम की संकल्पना और आभार प्रदर्शन डॉ. प्रभु चौधरी, कोषाध्यक्ष, राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना ने प्रस्तुत की। शुभारंभ डॉ. मुक्ता कान्हा कौशिक, छत्तीसगढ़ प्रभारी नागरी लिपि परिषद् की सरस्वती वंदना से हुआ। स्वागत भाषण डॉ. शहनाज़ शेख, नांदेड़, महाराष्ट्र, सचिव राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना ने किया। प्रस्तावना डॉ. मुमताज, हिंदी विभाग में कार्यरत, पुणे, महाराष्ट्र ने प्रस्तावित की। 

कार्यक्रम में डॉ विजय लक्ष्मी, कुमारी सुषमा, डॉ. शंकर सिंह, ललिता, डॉ. शिप्रा, डॉ. अशोक कुमार, गंगा, डॉ. शारदा, सुधीर चंद्र, मोहनलाल वर्मा, अंजली मिश्रा, दीनबंधु आर्या, रतिराम गढ़वाली, उपमा आर्या, डॉ प्रियंका कुमारी, सोनू कुमार, शमिता देव वर्मा, मनोज कंजी, बिट्टू गुर्जर, अशोक अभिषेक, पुष्पा श्रीवास्तव आदि अनेक  गणमान्य जन उपस्थित रहे।

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