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ग्यारहवां अंतरराष्ट्रीय योग दिवस : एक पृथ्वी एक स्वास्थ्य के लिए योग

योग स्वास्थ्य एवं कल्याण का पूर्णता वादी दृष्टिकोण है

21 जून 2025 को ग्यारहवां अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस एक पृथ्वी एक स्वास्थ्य के  विषय पर संपूर्ण  विश्व में वसुधैव कुटुंबकम की भावना से एक साथ मुख्य समारोह में मनाया जाएगा। योग प्राचीन भारतीय परंपरा एवं संस्कृति की अमूल्य देन है। आचार्य पतंजलि के अनुसार योग चित्त वृत्ति निरोध: चित्त की वृत्तियों का निरोध ही योग कहलाता है। योग स्वस्थ जीवन की कला एवं विज्ञान है योग अभ्यास शरीर एवं मन ,विचार एवं कर्म ;आत्म संयम एवं पूर्णता की एकात्मकता तथा मानव एवं प्रकृति के बीच सामंजस्य प्रदान करता है। योग केवल व्यायाम नहीं है बल्कि स्वयं के साथ विश्व और प्रकृति के साथ एकत्व खोजने का भाव है। योग हमारी जीवन शैली में परिवर्तन लाकर हमारे अंदर जागरूकता उत्पन्न करता है तथा प्राकृतिक परिवर्तनों से शरीर में होने वाले बदलावों को सहन करने में सहायक होता है। योग एक विज्ञान है जो शारीरिक मानसिक आध्यात्मिक रूप से स्वस्थ रहने का ज्ञान करता है यह किसी प्रजाति आयु लिंग धर्म जाति के प्रतिबंधन से मुक्त है। योग के अनुसार अधिकांश रोग मानसिक मनो शारीरिक एवं शारीरिक होते हैं जो सोच विचार रहन-सहन तथा खान-पान की गलत आदतों के कारण मन में उत्पन्न होते हैं जिसका कारण स्वयं से लगाव है योग का मुख्य उद्देश्य जीवन की सभी परिस्थितियों में तार्किक सकारात्मक तथा आध्यात्मिक विचारधारा से जीवन शैली में सुधार लाना है। योग साधनाओं में यम नियम आसन प्राणायाम प्रत्याहार धारणा ध्यान समाधि बंध मुद्रा एवं षट्कर्म युक्तआहार मंत्र जाप युक्त कर्म आदि साधनाओं का अभ्यास सबसे अधिक किया जाता है। यम प्रतिरोधक एवं नियम अनुपालन है इन्हें योग अभ्यास के लिए पूर्व अपेक्षित एवं अनिवार्य माना गया है, आसन का अभ्यास शरीर एवं मन में स्थायित्व लाने में सक्षम है, प्राणायाम श्वास प्रश्वास प्रक्रिया का  सुव्यवस्थित एवं नियमित अभ्यास है ,यह मन पर नियंत्रण स्थापित करने में सहायता करता है प्रत्याहार के अभ्यास से व्यक्ति स्वयं की इंद्रियों के माध्यम से सांसारिक विषय का त्याग कर अपने मन तथा चैतन्य केंद्र के एकीकरण का प्रयास करता है ,धारणा का अभ्यास मनोयोग के व्यापक आधार क्षेत्र के एकीकरण का प्रयास करता है यह एकीकरण बाद में ध्यान में परिवर्तित हो जाता है और इसी ध्यान में चिंतन (शरीर एवं मन के भीतर केंद्रित ध्यान)एवं एकीकरण रहने पर कुछ समय पश्चात समाधि की अवस्था में परिवर्तित हो जाता है।

उल्लेखनीय है कि 11 दिसंबर वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के प्रस्ताव को संयुक्तराष्ट्र महासभा में 177 देशों के पूर्ण समर्थन के साथ पूरे विश्व में 21 जून को विश्व योग दिवस मनाने की सहमति के साथ ही 2015 से प्रथम विश्व योग दिवस को प्रारंभ करके भारत सरकार आयुष मंत्रालय ने लगातार भारत ही नहीं विदेशों में जन सामान्य के बीच योग की परंपरा को सतत रूप से वैश्विक पटल पर रखा और इस वर्ष हम  एकादश अंतरराष्ट्रीय विश्व योग दिवस मनाने जा रहे हैं।

इस वर्ष अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के एक दशक पूर्ण होने पर काउंटडाउन का आयोजन किया जा रहा है इस संबंध में आयुष मंत्रालय भारत सरकार द्वारा निर्देश जारी किए गए हैं ।योग समावेशन के अंतर्गत दिव्यांगों ,बच्चों, वरिष्ठ नागरिकों के लिए विशेष योग कार्यक्रम रखा गया है। इसका उद्देश्य योग के लिए समावेशिता एवं सुलभता को बढ़ावा देना है।

हरित योग, योग के सिद्धांतों को पर्यावरणीय अवधारणा के साथ जोड़ना और प्रतिष्ठित प्राकृतिक स्थानों पर योग सत्र का आयोजन वृक्षारोपण एवं स्वच्छता अभियान है।

योग अनप्लग्ड के अंतर्गत युवा पीढ़ी को योग की ओर आकर्षित करना, योग की उपलब्धियां को सोशल मीडिया पर साझा करने के लिए प्रोत्साहित करना, सामुदायिक भावना को बढ़ावा देना, योग के मूल सिद्धांतों और इसके लाभों को बताने के लिए व्याख्यान करना और सम योग के अंतर्गत योग का दूसरी प्राकृतिक चिकित्सा पद्धतियों के साथ समन्वय कर चिकित्सा में उपयोग करना है

।। आइए हम सभी स्वस्थ एवं खुशहाल दुनिया की समग्र यात्रा की ओर एक ओर कदम बढ़ाए,

विशेषज्ञ के निर्देशन में योग अपनाए और स्वास्थ्य पाएं।।


 ✍️ डॉ जितेंद्र जैन 

 आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी, आयुष्मान आरोग्य मंदिर 

 करोहन जिला उज्जैन मध्यप्रदेश 


 ✍️ डॉ प्रकाश जोशी

 व्याख्याता, शरीर रचना विभाग

 शासकीय धन्वंतरि आयुर्वेद चिकित्सा महाविद्यालय

 उज्जैन मध्य प्रदेश

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