Skip to main content

भोपाल पोइट्री अड्डा ग्रुप की पहली तक़रीब “सुखन की कहकशां“ के नाम से मुशायरा एवं कवि सम्मेलन का आयोजन


🙏 द्वारा, राधेश्याम चौऋषिया 🙏 

भोपाल । भोपाल, पोइट्री अड्डा ग्रुप भोपाल की पहली तक़रीब ”सुखन की कहकशां“ के नाम से 15 जून 2025 रविवार शाम 4.30 बजे दुष्यंत कुमार संग्राहलय शिवाजी नगर भोपाल में मुशायरा एवं कवि सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। 

भोपाल, पोइट्री अड्डा ग्रुप के संरक्षक साजिद प्रेमी के अनुसार इस कार्यक्रम की अध्यक्षता मध्यप्रदेश उर्दू अकादमी की डायरेक्टर डॉ. नुसरत मेंहदी करेंगी। कार्यक्रम में अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त शायर डॉ. अंजुम बाराबंकवी, डॉ. अनुसपन, डॉ. मेहताब आलम, श्री विजय तिवारी विजय और डॉ. अहसान आज़मी मुख्य अतिथि होंगे। ग्रुप के संरक्षक श्री साजिद प्रेमी ने बताया कि, इस कार्यक्रम की निज़ामत शायरा एवं लेखिका श्रीमती नफीसा सुल्ताना अना करेंगी। इस कार्यक्रम में श्री अज़ीम असर, श्री फेंकू भोपाली, सुश्री मनसवी अपर्णा, श्री कमलेश नूर, श्री इंसाफ सिरोंजी, श्री उमेश मिश्रा ‘मुख्लिस’, श्रीमती अभिलाषा श्रीवास्तव, श्रीमती रूपाली सक्सेना ‘गज़ल’, श्रीमती समीना क़मर, श्री प्रद्युम्न शर्मा, श्री बी.एन. तिवारी, श्री महावीर सिंह "नारायण", श्री अनवर मोहम्मद ‘शान’, श्री एस.एम. मुबश्शिर, श्री आदिल इमाद काव्य पाठ करेंगे। 


संरक्षक श्री साजिद प्रेमी ने यह भी बताया कि यह भोपाल पोएट्री अड्डा ग्रुप उर्दू, हिन्दी साहित्य, शाइरी एवं उर्दू हिन्दी के युवा एवं नये पुराने रचनाकारों को साहित्यिक मंच प्रदान करने का कार्य करेगा एवं प्रति माह पांच रचनाकारों को बुलाकर रचना पाठ कराया जावेगा तथा विडियोग्राफी के माध्यम से सोशल मीडिया फैसबुक, इन्स्टाग्राम एवं यूट्यूब पर वीडियो अपलोड करना तथा उसका प्रचार प्रसार करने के उद्देश्य से यह ग्रुप बनाया गया है। गुजारिश है कि इस आयोजन में ज़रूर तशरीफ़ लाएं और अपने दोस्तों को भी लाएं, आप की आमद हम सभी को हौसला देगी, धन्यवाद। 

Comments

मध्यप्रदेश समाचार

देश समाचार

Popular posts from this blog

खाटू नरेश श्री श्याम बाबा की पूरी कहानी | Khatu Shyam ji | Jai Shree Shyam | Veer Barbarik Katha |

संक्षेप में श्री मोरवीनंदन श्री श्याम देव कथा ( स्कंद्पुराणोक्त - श्री वेद व्यास जी द्वारा विरचित) !! !! जय जय मोरवीनंदन, जय श्री श्याम !! !! !! खाटू वाले बाबा, जय श्री श्याम !! 'श्री मोरवीनंदन खाटू श्याम चरित्र'' एवं हम सभी श्याम प्रेमियों ' का कर्तव्य है कि श्री श्याम प्रभु खाटूवाले की सुकीर्ति एवं यश का गायन भावों के माध्यम से सभी श्री श्याम प्रेमियों के लिए करते रहे, एवं श्री मोरवीनंदन बाबा श्याम की वह शास्त्र सम्मत दिव्यकथा एवं चरित्र सभी श्री श्याम प्रेमियों तक पहुंचे, जिसे स्वयं श्री वेद व्यास जी ने स्कन्द पुराण के "माहेश्वर खंड के अंतर्गत द्वितीय उपखंड 'कौमारिक खंड'" में सुविस्तार पूर्वक बहुत ही आलौकिक ढंग से वर्णन किया है... वैसे तो, आज के इस युग में श्री मोरवीनन्दन श्यामधणी श्री खाटूवाले श्याम बाबा का नाम कौन नहीं जानता होगा... आज केवल भारत में ही नहीं अपितु समूचे विश्व के भारतीय परिवार ने श्री श्याम जी के चमत्कारों को अपने जीवन में प्रत्यक्ष रूप से देख लिया हैं.... आज पुरे भारत के सभी शहरों एवं गावों में श्री श्याम जी से सम्बंधित संस्थाओं...

आधे अधूरे - मोहन राकेश : पाठ और समीक्षाएँ | मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे : मध्यवर्गीय जीवन के बीच स्त्री पुरुष सम्बन्धों का रूपायन

  आधे अधूरे - मोहन राकेश : पीडीएफ और समीक्षाएँ |  Adhe Adhure - Mohan Rakesh : pdf & Reviews मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न नाट्य लेखक और कथाकार मोहन राकेश का जन्म  8 जनवरी 1925 को अमृतसर, पंजाब में  हुआ। उन्होंने  पंजाब विश्वविद्यालय से हिन्दी और अंग्रेज़ी में एम ए उपाधि अर्जित की थी। उनकी नाट्य त्रयी -  आषाढ़ का एक दिन, लहरों के राजहंस और आधे-अधूरे भारतीय नाट्य साहित्य की उपलब्धि के रूप में मान्य हैं।   उनके उपन्यास और  कहानियों में एक निरंतर विकास मिलता है, जिससे वे आधुनिक मनुष्य की नियति के निकट से निकटतर आते गए हैं।  उनकी खूबी यह थी कि वे कथा-शिल्प के महारथी थे और उनकी भाषा में गज़ब का सधाव ही नहीं, एक शास्त्रीय अनुशासन भी है। कहानी से लेकर उपन्यास तक उनकी कथा-भूमि शहरी मध्य वर्ग है। कुछ कहानियों में भारत-विभाजन की पीड़ा बहुत सशक्त रूप में अभिव्यक्त हुई है।  मोहन राकेश की कहानियां नई कहानी को एक अपूर्व देन के रूप में स्वीकार की जाती ...

दुर्गादास राठौड़ : जिण पल दुर्गो जलमियो धन बा मांझल रात - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा

अमरवीर दुर्गादास राठौड़ : जिण पल दुर्गो जलमियो धन बा मांझल रात। - प्रो शैलेन्द्रकुमार शर्मा माई ऐड़ा पूत जण, जेहड़ा दुरगादास। मार मंडासो थामियो, बिण थम्बा आकास।। आठ पहर चौसठ घड़ी घुड़ले ऊपर वास। सैल अणी हूँ सेंकतो बाटी दुर्गादास।। भारत भूमि के पुण्य प्रतापी वीरों में दुर्गादास राठौड़ (13 अगस्त 1638 – 22 नवम्बर 1718)  के नाम-रूप का स्मरण आते ही अपूर्व रोमांच भर आता है। भारतीय इतिहास का एक ऐसा अमर वीर, जो स्वदेशाभिमान और स्वाधीनता का पर्याय है, जो प्रलोभन और पलायन से परे प्रतिकार और उत्सर्ग को अपने जीवन की सार्थकता मानता है। दुर्गादास राठौड़ सही अर्थों में राष्ट्र परायणता के पूरे इतिहास में अनन्य, अनोखे हैं। इसीलिए लोक कण्ठ पर यह बार बार दोहराया जाता है कि हे माताओ! तुम्हारी कोख से दुर्गादास जैसा पुत्र जन्मे, जिसने अकेले बिना खम्भों के मात्र अपनी पगड़ी की गेंडुरी (बोझ उठाने के लिए सिर पर रखी जाने वाली गोल गद्देदार वस्तु) पर आकाश को अपने सिर पर थाम लिया था। या फिर लोक उस दुर्गादास को याद करता है, जो राजमहलों में नहीं,  वरन् आठों पहर और चौंसठ घड़ी घोड़े पर वास करता है और उस पर ही बैठकर बाट...