उज्जैन । ऋषि नगर स्थित प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय में आज मातृ दिवस के दिन उमंग छू ले आसमान समरकैंप का आयोजन किया गया।जिसमें मातृ दिवस बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनाया गया।इस कार्यक्रम के अंतर्गत राजयोगिनी उषा दीदी जी ,अनीता चौहान ऑडी गाड़ी मेडिकल कॉलेज फिजियोलॉजी डिपार्टमेंट की एच ओ डी,डॉक्टर सुलेखा जैन गायनोलॉजिस्ट स्पेशलिस्ट और कृष्ण वर्मा जीमालवा लोक कलन राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित शामिल हुए ।
सर्वप्रथम बच्चों का स्वागत बैच और तिलक के द्वारा किया गया तत्पश्चात सेल्फ रिलाइजेशन आत्मभूति का पाठ पढ़ाया गया।
डॉ अनीता चौहान जी ने बताया कि जिंदगी की पहली टीचर पहली दोस्त होती है मां जिंदगी ही मां होती है, क्योंकि जिंदगी ही मां से मिली हुई है मां अपना घर और अपने बच्चों का पूरा ध्यान रखती है उनकी हर जरूरत को पूरा करती है ।इसीलिए हम सब का कर्तव्य है ।कि हम भी अपना थोड़ा सा समय अपनी मां को दे, उनके पास बैठे ,उनका ख्याल रखें।
डॉ सुलेखा जैन जी ने कहा कि मां को हम जीवन भर के लिए अपना बेस्ट फ्रेंड बनाकर रखें ।उनसे सारी बातें शेयर करें।एक छोटी सी बच्ची है पहले बहन फिर पत्नी और मां बन जाती है। मां केवल करुणा ममता नहीं अपितु वो शक्ति भी है जिसका एग्जांपल हम सिंदूर ऑपरेशन में देख रहे हैं।
कृष्णा बहन जी ने बताया कि मां जीवन की सबसे बड़ी प्रेरणा है ।मां वह शक्ति है जो अपने बच्चों की हर अरमान को पूरा करती है। अगर बच्चा कहे मुझे चांद तारे चाहिए ।और अगर यह मां के वश में हो तो मां उसे जरूर पूर्ण करेगी।
आदरणीय उषा दीदी जी ने बताया कि हमारी तीन मां होती है ।👩🦳सर्वप्रथम जन्म देने वाली मां 👩🦳दूसरी भारत मां 👩🦳तीसरी परमात्मा
जन्म देने वाली मां जो अपना संपूर्ण जीवन हमें छोटे से बड़ा करने में और हमें अच्छे संस्कार देने में लगा देती है। तो उनका हमें रोज धन्यवाद शुक्रिया करना चाहिए। उनकी हर बात माननी चाहिए ।दूसरी मां भारत माता आज हम सब देख रहे हैं। की बॉर्डर पर भारत मां की रक्षा के लिए कई सैनिक भाई बंधु अपनी जान की परवाह किए बिना मातृभूमि की रक्षा कर रहे हैं तभी हम चैन के नींद सो पा रहे हैं तो हमें भी अपनी मातृभूमि के प्रति कृतज्ञ होना चाहिए और बॉर्डर पर लड़ने वाले भाई और बहनों के लिए परमात्मा से प्रार्थना करना चाहिए कि वह कुशल रहे
तीसरी मां परमात्मा शब्द के अंतिम में मां आता है परमात्मा ही हमारा हमारी माता-पिता सर्वस्व है अगर हम अपने मन बुद्धि की तार उनसे जोड़ लें तो वह निस्वार्थ भाव से बिना किसी शर्त के हमारे सर्व मनोकामनाओं को पूर्ण कर सकते हैं।
ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी जी ने संपूर्ण कार्यक्रम को सुचारू रूप से संचालित किया। समर कैंप में 100 बच्चे शामिल हुए।
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