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क्रांति संतों के द्वारा या स्त्रियों के द्वारा ही हो सकती है – डॉ. मोहन गुप्त

कवयित्री डॉ. ऊर्मि शर्मा की दो पुस्तकों का लोकार्पण हुआ 

पिछले तेरह सौ वर्षों के हिन्दी साहित्य का अवलोकन कर डॉ. ऊर्मि शर्मा ने पुस्तकें लिखकर उपकार का कार्य किया है। क्रांति संतों के द्वारा या स्त्रियों के द्वारा ही हो सकती है और इन पुस्तकों में क्रांतिकारी स्त्री विमर्श है। ये पुस्तकें नई पीढ़ी के लिए अत्यंत उपयोगी हैं।

ये विचार मध्यप्रदेश लेखक संघ उज्जैन द्वारा, श्री राम जानकी मंदिर सभागृह में आयोजित, कवयित्री डॉ. ऊर्मि शर्मा की दो पुस्तकों, हिन्दी साहित्य के स्वर एवं मौन रहकर गूंजते हैं शब्द के लोकार्पण प्रसंग में पूर्व कुलपति डॉ. मोहन गुप्त ने प्रमुख अतिथि के रूप में अपने उद्बोधन में व्यक्त किये। 

सारस्वत अतिथि पूर्व कुलपति डॉ. बालकृष्ण शर्मा ने कहा कि शब्द अनादि है, अनन्त है और शब्द ब्रह्म है और इन पुस्तकों की रचनाओं में ईश्वर तत्व और अक्षर तत्व है। विशेष अतिथि इग्नू, नई दिल्ली के पूर्व कुलपति प्रो. नागेश्वर राव ने कहा कि पुस्तकें अपने समयकाल और आवश्यकता के अनुसार समसामयिक होकर प्रासंगिक हैं। 

विशिष्ट अतिथि मालवी साहित्यकार प्रो. शिव चौरसिया ने कहा कि ऊर्मि जी की पुस्तकों में शब्दों को ईमानदारी से कहा गया है और अगर ईमानदारी से शब्द कहे गए हों तो शब्द गूंजते हैं और बताते हैं कि उर्मि जी गंभीर लेखिका हैं। अध्यक्षीय उद्बोधन मध्यप्रदेश लेखक संघ के अध्यक्ष आचार्य प्रो. हरिमोहन बुधौलिया ने दिया। 

प्रमुख वक्ता विक्रम विश्वविद्यालय के कुलानुशासक एवं हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. शैलेन्द्रकुमार शर्मा ने कहा कि पुस्तकों के निबंध और आलेख शोधपरक, विमर्शपरक हैं। इन पुस्तकों ने लोक साहित्य और संस्कृति को छुआ है। इन पुस्तकों में स्त्री विमर्श एक नए रूप में सामने आता है और इनके आलेख सांस्कृतिक एकता, राष्ट्रीयता और समकालीन साहित्य के कई पहलुओं को उजागर करते हैं। 

पुस्तक समीक्षा करते हुए डॉ. पिलकेंद्र अरोरा ने कहा कि पुस्तकों के लेख तार्किक हैं और साहित्य के मानदंडों पर खरे उतरते हैं। ये पुस्तकें नये छात्रों के लिए ही नहीं, समाज में सभी के लिए आवश्यक हैं। 

लेखकीय वक्तव्य डॉ. ऊर्मि शर्मा ने दिया। दीप आलोकन और माता सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण कर आयोजन का शुभारंभ अतिथियों ने किया। सरस्वती वन्दना गीतकार आशीष श्रीवास्तव अश्क ने प्रस्तुत की। अतिथि स्वागत मध्यप्रदेश लेखक संघ के सचिव डॉ. हरीशकुमार सिंह, राहुल शर्मा, आशुतोष रावल, संदीप सृजन, राजेश रावल, संतोष सुपेकर, सूरज नागर, प्रफुल्ल शुक्ल, डॉ. क्षमा सिसोदिया, डॉ. पुष्पा चौरसिया, शीला व्यास, सीमा देवेन्द्र, डॉ. तारा परमार, डॉ. उमा वाजपेयी, माया बदेका आदि ने किया। आयोजन में डॉ. श्रीकृष्ण जोशी, डॉ. बी के शर्मा, डॉ. विमल गर्ग, मुकेश जोशी, शशांक दुबे, डॉ. अभिलाषा शर्मा, नीलेश शर्मा, अनिल कुरेल, हरिहर शर्मा, डॉ. प्रभु चौधरी, दिलीप जैन, सुगनचन्द्र जैन, एच. एल. माहेश्वरी, सुरेश यादव, सुन्दरलाल मालवीय आदि उपस्थित थे।

संचालन डॉ. हरीशकुमार सिंह ने किया और आभार डॉ. पुष्पा चौरसिया ने व्यक्त किया। 

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