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वर्ल्ड नो टोबैको डे पर जेएनआईबीएम में जागरूकता अभियान: "स्वयं को आग मत लगाएं" का संदेश

उद्योगों की रणनीति पर परिसंवाद और युवाओं को तंबाकू से दूर रहने का आह्वान

तंबाकू से हर साल 80 लाख से अधिक मौतें – प्रो. डॉ. अर्पण भारद्वाज, कुलगुरू

थीम: "अनमास्किंग द अपील" – उद्योगों की रणनीति पर प्रकाश

उज्जैन – पंडित जवाहरलाल नेहरू व्यवसाय प्रबंध संस्थान (जेएनआईबीएम), विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन में वर्ल्ड नो टोबैको डे की पूर्व संध्या पर एक विशेष आयोजन किया गया जिसमें तंबाकू निषेध को लेकर शपथ ग्रहण और परिसंवाद आयोजित किया गया। इस अवसर पर शिक्षकों, स्टूडेंट्स, स्टाफ और स्कॉलर्स को तंबाकू एवं उससे बने पदार्थों का सेवन नहीं करने और दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करने की शपथ दिलाई गई।

संस्थान ने इस पहल के माध्यम से विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और संयुक्त राष्ट्र संघ (UN) द्वारा घोषित सतत विकास लक्ष्य (SDG) के तहत स्वास्थ्य संबंधी जागरूकता बढ़ाने का प्रयास किया है। इस अवसर पर जेएनआईबीएम के निदेशक प्रो. डॉ. धर्मेंद्र मेहता ने तंबाकू मुक्त समाज के निर्माण में सहयोग देने का आह्वान करते हुए बताया कि जगह-जगह बैनर, पोस्टर, संगोष्ठी व रैलियों के माध्यम से इस जागरूकता अभियान को गति दी जा रही है। उन्होंने युवाओं से तंबाकू के हानिकारक प्रभावों से बचने की अपील की और आम जनता से इस अभियान में सक्रिय भागीदारी की भी अपील की।

तंबाकू से हर साल 80 लाख से अधिक मौतें – प्रो. डॉ. अर्पण भारद्वाज, कुलगुरू 

तंबाकू दिवस प्रसंग संदेश में प्रो. डॉ. अर्पण भारद्वाज, कुलगुरू, विक्रम विश्वविद्यालय ने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुमान के अनुसार तंबाकू के कारण हर साल दुनिया में 80 लाख से अधिक लोगों की मृत्यु होती है। इसके सेवन से फेफड़ों, मुंह, गले और पेट का कैंसर, दिल की बीमारियां, सांस की समस्याएं, और महिलाओं-पुरुषों में प्रजनन संबंधी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। उन्होंने बताया कि तंबाकू के सेवन से न केवल व्यक्तिगत स्वास्थ्य बल्कि सामुदायिक और आर्थिक स्थिति पर भी विपरीत प्रभाव पड़ता है।

इस अवसर पर विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के प्रबंध संकाय अध्यक्ष व कार्यपरिषद सदस्य प्रो. डॉ. कामरान सुल्तान ने कहा कि विश्व तंबाकू निषेध दिवस के अंतर्गत आयोजित इस अभियान का उद्देश्य आमजन, विशेषकर युवाओं को तंबाकू के दुष्परिणामों से अवगत कराना और उन्हें तंबाकू छोड़ने के लिए प्रेरित करना है। उन्होंने युवाओं से अपनी आदतों और संगति पर निरंतर निगरानी रखने की सलाह भी दी।

थीम: "अनमास्किंग द अपील" – उद्योगों की रणनीति पर प्रकाश

विश्व तंबाकू निषेध दिवस 2025 की थीम – “अनमास्किंग द अपील: तंबाकू और निकोटीन उत्पादों पर उद्योग की रणनीति को उजागर करना” – अत्यंत प्रासंगिक मानी जा रही है। इस वर्ष का फोकस तंबाकू उद्योग द्वारा अपनाई जा रही भ्रामक और आकर्षक रणनीतियों को उजागर करना है, जिससे युवा वर्ग को लक्ष्य बनाकर उन्हें इन उत्पादों के प्रति आकर्षित किया जाता है।

इस आयोजन में अपर्णा वशिष्ठ, श्री गोविंद तोमर, अजय जायसवाल, पल्लवी शर्मा, संकीता जैन, वसीम खान, ओमप्रकाश यादव, दिनेश सिंगार, सत्यनारायण सहित कई शोधार्थियों ने भी अपने विचार साझा किए और युवाओं से इस सामाजिक बुराई से दूर रहने का आग्रह किया।

उल्लेखनीय है कि डब्ल्यूएचओ द्वारा तंबाकू सेवन से होने वाली बीमारियों और मौतों को रोकने हेतु वर्ष 1987 में विश्व तंबाकू निषेध दिवस की शुरुआत की गई थी, और पहली बार 31 मई 1988 को इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मनाया गया था। तभी से यह दिवस हर वर्ष तंबाकू और इससे जुड़ी बीमारियों जैसे कैंसर, हृदय रोग, स्ट्रोक और फेफड़ों की बीमारियों के प्रति जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से मनाया जा रहा है।

पंडित जवाहरलाल नेहरू व्यवसाय प्रबंध संस्थान द्वारा आयोजित यह आयोजन तंबाकू के विरुद्ध एक सामुदायिक आव्हान था – “स्वयं को आग मत लगाएं” – जो युवाओं को चेतावनी देता है कि तंबाकू का सेवन आत्मघात के समान है।

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