विपरीत परिस्थितियों के बीच कुशल नेतृत्व के साथ सामाजिक - सांस्कृतिक क्षेत्र में अविस्मरणीय योगदान दिया अहिल्याबाई होलकर ने – प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा
लोक माता अहिल्याबाई होलकर के 300 वें जयंती समारोह पर हुआ अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन
अहिल्यादेवी होलकर: सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक योगदान पर हुआ अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में विमर्श
अहिल्यादेवी होल्कर के 300 वें जयंती समारोह के अवसर पर देश की प्रतिष्ठित संस्था राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना द्वारा अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में अहिल्यादेवी होलकर: सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक योगदान पर विमर्श हुआ। संगोष्ठी के मुख्य वक्ता विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के हिंदी विभागाध्यक्ष एवं कुलानुशासक प्रो शैलेन्द्रकुमार शर्मा थे। मुख्य अतिथि नागरी लिपि परिषद नई दिल्ली के महामंत्री डॉ हरिसिंह पाल, विशिष्ट अतिथि श्री सुरेश चंद्र शुक्ल शरद आलोक, नॉर्वे, डॉ जे पी बघेल, श्री ब्रजकिशोर शर्मा, डॉ प्रभु चौधरी, डॉ मुक्ता कान्हा कौशिक, रायपुर ने विचार व्यक्त किए।
मुख्य वक्ता विक्रम विश्वविद्यालय के कुलानुशासक प्रो शैलेन्द्रकुमार शर्मा ने अपने उद्बोधन में कहा कि अहिल्यादेवी होलकर ने विपरीत परिस्थितियों के बीच राजनीतिक नेतृत्व के साथ सामाजिक और सांस्कृतिक क्षेत्र में अविस्मरणीय योगदान दिया। वे मालवा क्षेत्र की कुशल और दूरदर्शी शासिका थीं। उन्होंने महेश्वर को अपनी राजधानी बनाकर लगभग तीन दशकों तक शासन किया। उनके राजनीतिक योगदान ने न केवल होलकर वंश को मजबूती प्रदान की, बल्कि मालवा को समृद्ध और स्थिर क्षेत्र के रूप में स्थापित किया। उन्होंने समाज सभी वर्गों के विकास के लिए महत्वपूर्ण सुधार किए। राज्य की सैन्य शक्ति को बढ़ाया और उसमें महिलाओं को अपना योगदान देने के लिए जोड़ा। देवी अहिल्याबाई होलकर का योगदान कई रूपों में है। बालिका, स्त्री, माता, राजमाता, लोकमाता, ज्ञानी, भक्त आदि सभी रूपों में वे स्त्री शक्ति की अद्वितीय कहानी बनीं।
मुख्य अतिथि नागरी लिपि परिषद नई दिल्ली के महामंत्री डॉ हरिसिंह पाल ने अपने विचार प्रस्तुत करते हुए कहा कि अहिल्याबाई सही अर्थों में लोकमाता थीं। एक सामान्य परिवार में जन्म लेने के बाद उन्होंने अपनी दूरदर्शिता से समाज विकास के लिए अनुपम कार्य किये। वे एक राजघराने की बहू बनीं और अनेक चुनौतियों का सामना करते हुए सुशासन का उदाहरण प्रस्तुत किया।
श्रीमती सुवर्णा जाधव, पुणे ने कहा कि लोक माता अहिल्याबाई ने समाज और राज्य के विकास के साथ धर्म और आध्यात्मिक उन्नति के लिए अविस्मरणीय कार्य किया।
संगोष्ठी में ओस्लो नॉर्वे से वरिष्ठ साहित्यकार श्री सुरेश चंद्र शुक्ल शरद आलोक, डॉ जे पी बघेल, श्री ब्रजकिशोर शर्मा, डॉ प्रभु चौधरी, डॉ मुक्ता कान्हा कौशिक, रायपुर आदि सहित अनेक वक्ताओं ने अहिल्याबाई होलकर के योगदान पर अपने मत प्रस्तुत किए। सरस्वती वंदना ने की। स्वागत भाषण डॉ शहनाज शेख नांदेड़ ने दिया। प्रस्तावना उद्बोधन डॉ प्रभु चौधरी ने दिया।
संचालन श्रीमती श्वेता मिश्रा बरेली ने किया। आभार प्रदर्शन डॉ मुक्ता कान्हा कौशिक ने किया।
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