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अंतरराष्ट्रीय पादप स्वास्थ्य दिवस 2025 पर विक्रम विश्वविद्यालय में पर्यावरणीय कैंपस आउटरीच कार्यक्रम आयोजित

पारिस्थितिकी तंत्र में शीघ्र सुधार की जरूरत : कुलगुरु प्रो. अर्पण भारद्वाज

उज्जैन। खाद्य और कृषि संगठन (FAO), संयुक्त राष्ट्र की एक विशेष एजेंसी, जो वैश्विक स्तर पर भुखमरी को समाप्त करने और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु कार्यरत है, द्वारा प्रतिवर्ष आयोजित अंतरराष्ट्रीय पादप स्वास्थ्य दिवस 2025 के अवसर पर पंडित जवाहरलाल नेहरू व्यवसाय प्रबंध संस्थान, विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन में पर्यावरणीय कैंपस आउटरीच कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो. डॉ. अर्पण भारद्वाज ने अपने शुभकामना संदेश में कहा कि “पादप ही जीवन का आधार हैं।” उन्होंने बताया कि पेड़-पौधे न केवल पृथ्वी का जीवन हैं, बल्कि मानव जीवन की भी अनिवार्य आवश्यकता हैं। हम इन्हीं के कारण सांस ले पाते हैं और भोजन प्राप्त करते हैं। पौधे हमारे लिए लगभग 80% भोजन और 98% ऑक्सीजन उत्पन्न करते हैं। उन्होंने चिंता जताई कि आज के दौर में मनुष्यों द्वारा अंधाधुंध शहरीकरण और विकास के चलते पौधों के अस्तित्व पर संकट गहराता जा रहा है।

कुलगुरु ने आगे कहा कि यह दिवस इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि संयुक्त राष्ट्र द्वारा 12 मई को अंतर्राष्ट्रीय पादप स्वास्थ्य दिवस घोषित किया गया है, ताकि वैश्विक, क्षेत्रीय, आंचलिक एवं स्थानीय स्तरों पर जागरूकता बढ़ाई जा सके। पौधों के स्वास्थ्य की रक्षा से न केवल भुखमरी समाप्त हो सकती है, बल्कि गरीबी कम करने, जैव विविधता के संरक्षण, पर्यावरण रक्षा और आर्थिक विकास को भी बढ़ावा मिल सकता है। यह दिवस अंतर्राष्ट्रीय पादप स्वास्थ्य वर्ष 2020 की एक प्रमुख विरासत भी है। वर्ष 2025 की थीम “स्वस्थ शुरुआत, आशापूर्ण भविष्य” है।

इस प्रसंग पर संस्थान के निदेशक प्रो. डॉ. धर्मेंद्र मेहता ने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि पौधों का स्वास्थ्य केवल खेती-बाड़ी तक सीमित नहीं है, बल्कि इससे व्यापार की सुरक्षा, डिजिटल प्रौद्योगिकी और समग्र पारिस्थितिक तंत्र भी प्रभावित होता है। उन्होंने बताया कि आज पारिस्थितिक तंत्र में तेजी से परिवर्तन हो रहा है, जिससे मानव, वनस्पति और समस्त जीव-जंतुओं के अस्तित्व पर संकट बढ़ता जा रहा है। उन्होंने कहा कि जैव विविधता से संबंधित वर्तमान चिंताएं गंभीर खतरे का संकेत हैं।

उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों – क्रमांक 1 (गरीबी उन्मूलन), 2 (भूखमरी समाप्ति), 3 (अच्छा स्वास्थ्य), 12 (सतत उपभोग और उत्पादन) एवं विशेषकर 15 (भूमि जीवन) – में भी अंतर्राष्ट्रीय पादप स्वास्थ्य दिवस के उद्देश्यों को महत्व दिया गया है।

विक्रम विश्वविद्यालय कार्य परिषद के सदस्यगण एफसीए प्रो. डॉ. दीपक गुप्ता, प्रो. डॉ. कामरान सुल्तान एवं प्रो. डॉ. डी.एम. कुमावत, अध्यक्ष – वनस्पति एवं पर्यावरण प्रबंध अध्ययनशाला, ने इस अवसर पर प्रो. डॉ. धर्मेंद्र मेहता को इस जागरूकता प्रसंग को जीवंत बनाने हेतु बधाई दी। उन्होंने कहा कि पादप स्वास्थ्य दिवस पौधों को बीमारियों, कीटों और अन्य जैविक तथा अजैविक खतरों से सुरक्षित रखने के लिए अत्यंत आवश्यक है।

इस विशिष्ट कार्यक्रम में मॉडर्न दिल्ली इंटरनेशनल स्कूल, हरियाणा के आठवीं कक्षा के प्रतिभावान विद्यार्थी मास्टर विहान तथा सामुदायिक कार्यकर्ता श्री सोनू मिश्रा, भाई भीरपाल, भाई सतेंद्र सिंह, नंदलाल भैया, राधेश्याम जी, हरपाल जी एवं बहन अन्नूकुमारी ने सक्रिय सहभागिता निभाई। सामुदायिक सहभागिता के इस अनूठे प्रयास ने कार्यक्रम को विशेष सराहना दिलाई।

यह आयोजन न केवल पौधों की रक्षा के लिए चेतना का प्रतीक बना, बल्कि भावी पीढ़ी को पर्यावरणीय जागरूकता की प्रेरणा भी प्रदान करता है।

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