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"एआई, रोबोटिक्स और डिजिटल तकनीक से कार्यस्थल पर सुरक्षा और मानसिक स्वास्थ्य में होगा सुधार" — कुलगुरु प्रो. अर्पण भारद्वाज

स्मार्ट सिटी में स्वास्थ्य और सुरक्षा क्रांति : एआई व स्मार्ट उपकरणों की बढ़ती भूमिका

विश्व दिवस: कार्यस्थल पर स्वास्थ्य और सुरक्षा

उज्जैन। विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के पंडित जवाहरलाल नेहरू व्यवसाय प्रबंध संस्थान में "विश्व दिवस: कार्यस्थल पर स्वास्थ्य और सुरक्षा" (World Day for Safety and Health at Work) का आयोजन किया गया। इस वर्ष की थीम "स्वास्थ्य और सुरक्षा में क्रांति: कार्यस्थल पर एआई और डिजिटलाइजेशन की भूमिका" रही, जिस पर विविध विषय विशेषज्ञों ने अपने विचार व्यक्त किए।

कार्यक्रम के अवसर पर विक्रम विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो. डॉ. अर्पण भारद्वाज ने अपने शुभकामना संदेश में कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, रोबोटिक्स, वर्चुअल रियलिटी और इंटरनेट ऑफ थिंग्स जैसी अत्याधुनिक तकनीकों का उपयोग कर कार्यस्थल पर न केवल सुरक्षा को सुदृढ़ किया जा सकता है, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य को भी बेहतर बनाया जा सकता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि भविष्य में ये स्मार्ट तकनीकें कार्यस्थल के वातावरण को अधिक सुरक्षित और स्वास्थ्यकर बनाने में सहायक सिद्ध होंगी।

इस अवसर पर स्मार्ट सिटी उज्जैन के सक्रिय युवा चिकित्सक एवं दर्द रोग विशेषज्ञ डॉ. अविनाश बूंदीवाल ने विद्यार्थियों को लाइव डिमॉन्स्ट्रेशन के माध्यम से यह बताया कि डेस्कटॉप पर लंबे समय तक काम करने, मोबाइल के अत्यधिक प्रयोग, कॉलर बोन व सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस जैसी समस्याएं आज आम होती जा रही हैं। इनसे बचाव के लिए शारीरिक सक्रियता, मार्शल आर्ट, जूडो-कराटे और ओपन आउटडोर खेलों की नियमित प्रैक्टिस आवश्यक है।

संस्थान के निदेशक प्रो. डॉ. धर्मेन्द्र मेहता ने बताया कि वर्ष 2025 की थीम विशेष रूप से इस बात पर केंद्रित है कि कैसे नवीन तकनीकें कार्यस्थल को सुरक्षित और स्वस्थ बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। उन्होंने कार्यस्थल को तनावमुक्त और सहयोगी बनाए रखने के लिए मनोवैज्ञानिक सिद्धांतों के उपयोग की आवश्यकता पर भी बल दिया। उन्होंने कहा कि यह दिन हमें कार्यस्थल पर स्वास्थ्य और सुरक्षा के महत्व को समझने और उसे प्राथमिकता देने का अवसर प्रदान करता है। 

अतिथि वक्ता, संस्थान संकाय सदस्य व निदेशक, भारत अध्ययन केंद्र डॉ. सचिन राय ने कार्यस्थल पर उपयोग होने वाले स्मार्ट हेलमेट, सुरक्षा सेंसर, स्वचालित निगरानी प्रणालियों, सुरक्षा बेल्ट्स, लॉक्स और मिर्ची पाउडर जैसे सुरक्षा उपकरणों के उपयोग की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि इन तकनीकों और उपकरणों के उपयोग से कार्यस्थल पर महिला और पुरुष दोनों कर्मचारियों की सुरक्षा में वृद्धि की जा सकती है। साथ ही, उन्होंने सुझाव दिया कि विभिन्न कॉर्पोरेट संगठनों को कार्यस्थल पर सुरक्षा और स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता लाने हेतु कार्यक्रमों का आयोजन करना चाहिए।

उन्होंने यह भी कहा कि कर्मचारियों को सुरक्षा नियमों और उपकरणों के बारे में प्रशिक्षण देना तथा नियमित स्वास्थ्य और सुरक्षा चर्चाएँ करना बेहद आवश्यक है। इससे संभावित दुर्घटनाओं को रोका जा सकता है और कर्मचारियों में सुरक्षा के प्रति जिम्मेदारी की भावना विकसित की जा सकती है।

कार्यक्रम के अंत में प्रश्नोत्तर सत्र का आयोजन हुआ जिसमें विद्यार्थियों और स्टाफ सदस्यों ने सक्रिय सहभागिता दिखाई। प्रमुख रूप से दीपांशु नागपाल, प्रिंसी जैन, तान्या तिवारी, बुलबुल राठौर, तनीषा खत्री, युवराज सिंह, मुकुल उपाध्याय, ख्याति मिश्रा और कली राठौर ने अपने विचार और प्रश्न प्रस्तुत किए। स्टाफ सदस्य श्री गोविंद तोमर ने भी आयोजन में अपनी सक्रिय भूमिका निभाई।

इस सफल आयोजन ने कार्यस्थल पर सुरक्षा और स्वास्थ्य के प्रति समाज को जागरूक करने में एक महत्वपूर्ण कदम साबित किया।

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