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शिक्षक सोच बदलते हैं और दृष्टिकोण गढ़ते हैं – प्रो. शैलेन्द्र कुमार भारल

भारतीय कॉलेज में फैकेल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम आयोजित

उज्जैन। शिक्षक केवल ज्ञान देने वाले नहीं होते, वे चरित्र निर्माणकर्ता होते हैं। वे विद्यार्थियों के भीतर आत्मविश्वास, जिज्ञासा और नैतिक मूल्यों का बीज बोते है। शिक्षक हर पीढ़ी को बेहतर नागरिक बनने की ओर ले जाते हैं। शिक्षक सोच बदलते हैं, दृष्टिकोण गढ़ते हैं और समाज को दिशा देते हैं।

उक्त विचार प्रो. शैलेन्द्र कुमार भारल ने भारतीय कॉलेज में आयोजित फैकेल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम में मुख्य अतिथि के रूप में व्यक्त किए।


प्रो. भारल ने कहा कि, एक शिक्षक का प्रभाव केवल पाठ्यपुस्तकों तक सीमित नहीं होता, बल्कि वह विद्यार्थी के जीवन में सोचने का ढंग, निर्णय लेने की क्षमता और समाज के प्रति उत्तरदायित्व का भाव भी विकसित करता है। उन्होंने कहा, "शिक्षक वह दीपक है, जो स्वयं जलकर विद्यार्थियों के भविष्य को उजाले से भरता है। वह हर विद्यार्थी में छिपी संभावनाओं को पहचानता है और उसे आकार देता है।"

उन्होंने यह भी कहा कि आज आवश्यकता है ऐसे शिक्षकों की जो स्वयं नवाचार करें, सीखते रहें और विद्यार्थियों को सिर्फ परीक्षाओं के लिए नहीं, बल्कि जीवन के लिए तैयार करें। शिक्षक की भूमिका अब केवल अध्यापन तक सीमित नहीं है, वह समाज के हर पहलू को प्रभावित करने वाला प्रेरक तत्व बन चुका है।

प्रो. भारल ने इस अवसर पर कॉलेज की सभी असिस्टेंट प्रोफेसर्स को उनके एकेडमिक डेवलपमेंट के लिए मार्गदर्शन प्रदान किया एवं उन्हें शोध कार्यों के प्रति गतिविधियों को जारी रखने के लिए प्रेरित किया।

स्वागत उद्बोधन एकैडमिक डायरेक्टर डॉ. गिरीश पंड्या ने दिया।

इस अवसर पर विक्रम विश्वविद्यालय के वाणिज्य विभाग के डीन बनने पर प्रोफेसर भारल का भारतीय कॉलेज की ओर से शाल और श्रीफल भेंट कर सम्मान किया गया।

अतिथि स्वागत डॉ. खुशबू बाफना एवं डॉ. रेहाना शेख द्वारा किया गया।

कार्यक्रम का संचालन डॉ. चैताली वेद ने किया तथा आभार प्रदर्शन प्राचार्य डॉ. नीलम महाडिक ने किया।

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